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UN: दुनिया को लोकतंत्र और मानवाधिकार सिखाने की कोशिश न करे पाकिस्तान, यूएनएचआरसी में बोला भारत

एजेंसी, जिनेवा। Published by: Jeet Kumar Updated Thu, 23 Mar 2023 10:43 PM IST
सार

तुलसीदास ने पाकिस्तान से व्यर्थ के प्रचार में न पड़ने और भारत में सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा देने के प्रयास के बजाय अपने अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा और कल्याण पर ध्यान केंद्रित करने को कहा।

India said in UNHRC that pakistan should not try to teach democracy and human rights to the world
बलूचों पर अत्याचारों का उठा मुद्दा - फोटो : ANI

विस्तार

आतंक और हिंसा के निर्यात में उल्लेखनीय योगदान देने वाले पाकिस्तान से दुनिया को लोकतंत्र व मानवाधिकारों पर सबक लेने की जरूरत नहीं है। यहां आतंकवादी फलते-फूलते हैं और सड़कों पर बेखौफ घूमते हैं। यह बात जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के 52वें सत्र में भारत के अवर सचिव डॉ. पीआर तुलसीदास ने बृहस्पतिवार को कही। डॉ. तुलसीदास ने पाकिस्तान से भारत में सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा देने के प्रयास के बजाय अपने अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा और कल्याण पर ध्यान केंद्रित करते हुए बेहतर कार्य करने के लिए कहा है। 



ओसामा को सरकार ने दिया था संरक्षण
डॉ. तुलसीदास ने कहा, पाकिस्तान इससे इन्कार नहीं कर सकता है कि 26/11 के मुंबई आतंकी हमलों के अपराधी वहां खुले घूम रहे हैं। दुनिया का सबसे वांछित आतंकी ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान में एक सैन्य अकादमी के पास रह रहा था। उसे सरकार ने आश्रय और संरक्षण दिया था।


जम्मू-कश्मीर में सुधर रही महिलाओं की स्थिति
सामाजिक कार्यकर्ता तस्लीमा अख्तर ने भारत के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विकास, शांति व जमीनी लोकतंत्र के प्रसार के बारे में संयुक्त राष्ट्र को सूचित किया। उन्होंने बताया, महिलाओं के लिए शैक्षणिक व व्यावसायिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए नए रास्ते खुल रहे हैं। घाटी में आतंकियों की भर्तियों में 2021 की स्थिति की तुलना में लगभग 40% की कमी आई है।

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा बलूच लोगों के लिए बड़ी चिंता
जेनवा में बलूच वॉयस एसोसिएशन के अध्यक्ष मुनीर मेंगल ने कहा कि बलूचिस्तान, पाकिस्तान में मानव अधिकारों के व्यवस्थित दुरुपयोग और अपने लोगों की बुनियादी स्वतंत्रता और स्वतंत्रता की अवहेलना के कारण तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। बलूचिस्तान के लोगों को सैन्य अभियानों, जबरन गायब करने, उनके बुनियादी मानवाधिकारों के व्यवस्थित दुरुपयोग के अधीन किया गया है। 

आगे कहा कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा बलूच लोगों के लिए बड़ी चिंता का विषय रहा है। अरबों डॉलर की इस परियोजना को बलूच लोगों को उनकी जमीन से खत्म करने, उनके संसाधनों को लूटने और उनकी आवाज दबाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। बलूच लोग बड़े पैमाने पर विस्थापन, जबरन लापता होने और सैन्य अभियानों का सामना कर रहे हैं क्योंकि उन्हें व्यवस्थित रूप से उपेक्षित, दबाया और दमन किया जा रहा है।

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