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Imran Khan arrived in Beijing, china on Thursday and return to Pakistan from Sunday, During his visit will talk with Chinese President Xi Jinping also
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इमरान का बीजिंग दौरा: पाकिस्तान की टकटकी लगी है कि प्रधानमंत्री चीन से क्या लेकर आते हैं
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Fri, 04 Feb 2022 06:23 PM IST
सार
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पाकिस्तान में विशेषज्ञ ये शिकायत जता जा रहे हैं कि सीपीईसी के तहत हुए समझौतों की शर्तें चीन की तरफ झुकी हुई हैं। कराची स्थित संस्था सोशल पॉलिसी एंड डेवलपमेंट सेंटर से जुड़े जाने-माने अर्थशास्त्री कैसर बंगाली ने वेबसाइट एशिया टाइम्स से कहा- ‘बिजली खरीद के समझौते पूरी तरह से चीन के फायदे में हैं। इनके जरिए पाकिस्तान की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर वैसा बोझ डाला गया है, जिसे बर्दाश्त करने में वह अक्षम है।’...
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान विंटर (शीत कालीन) ओलिंपिक खेलों के उद्घाटन समारोह में भाग लेने के लिए चीन गए हैं। लेकिन पाकिस्तान की निगाहें इस पर टिकी हुई हैं कि वहां ओलिंपिक से अलग चीनी नेताओं से होने वाली अपनी बातचीत में वे कितनी आर्थिक सहायता बटोर पाते हैं। इसके अलावा पर्यवेक्षकों की इस पर भी नजर है कि चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) प्रोजेक्ट पर पाकिस्तान में चल रहे कार्यों को लेकर चीन के साथ हाल में उभरे मतभेदों को दूर करने में उन्हें कितनी कामयाबी मिलती है।
कर्ज वापसी के लिए मिले ज्यादा वक्त
इमरान खान गुरुवार को बीजिंग पहुंचे। वे अगले रविवार को वहां से पाकिस्तान लौटेंगे। इस दौरान उनकी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से सीधी बातचीत भी होगी। यहां जानकारों का कहना है कि इस वार्ता के दौरान शी से इमरान खान गुजारिश करेंगे कि पाकिस्तान को चीनी कंपनियों का कर्ज चुकाने के लिए और वक्त दिया जाए। अभी चीनी कंपनियों का पाकिस्तान पर डेढ़ बिलियन डॉलर का बकाया है। इन कंपनियों ने बीआरआई के हिस्से चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) के तहत पाकिस्तान में बिजली संयंत्र बनाए हैं।
सीपीईसी अथॉरिटी के अधिकारियों ने पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ हुई अपनी बैठक में ये चेतावनी दी थी कि अगर बकाये की रकम जल्द नहीं चुकाई गई, तो पाकिस्तान में बने बिजली संयंत्रों को डिफॉल्टर घोषित कर दिया जाएगा। तब चीनी कंपनियां पाकिस्तान में अपना काम रोक देंगी। बताया जाता है कि ये कंपनियां भी कोयले के भाव में हो रही बढ़ोतरी से परेशान हैं।
इस बीच पाकिस्तान में विशेषज्ञ ये शिकायत जता जा रहे हैं कि सीपीईसी के तहत हुए समझौतों की शर्तें चीन की तरफ झुकी हुई हैं। कराची स्थित संस्था सोशल पॉलिसी एंड डेवलपमेंट सेंटर से जुड़े जाने-माने अर्थशास्त्री कैसर बंगाली ने वेबसाइट एशिया टाइम्स से कहा- ‘बिजली खरीद के समझौते पूरी तरह से चीन के फायदे में हैं। इनके जरिए पाकिस्तान की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर वैसा बोझ डाला गया है, जिसे बर्दाश्त करने में वह अक्षम है।’
चीन उठा रहा है फायदा
विशेषज्ञों ने ध्यान दिलाया है कि चीन और पाकिस्तान के बीच जो व्यापार समझौते हुए, उनमें यह प्रावधान रखा गया कि चीन से आयात होने वाली चीजों पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। पाकिस्तान से होने वाले निर्यात को भी यह छूट दी गई। इस तरह देखने में ऐसा लगता है कि ये समझौते समान आधार पर हैं, लेकिन असल में ऐसा नहीं है। पाकिस्तान मे उच्च मूल्य के ऐसे कोई उत्पाद तैयार नहीं होते, जिन्हें चीन को निर्यात किया जा सके। इसलिए इनका सारा लाभ चीन को मिल रहा है।
इस बीच विदेशी मुद्रा भंडार के खाली होने से पाकिस्तान की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। इस संकट को टालने के लिए पाकिस्तान पहले ही चीन से 15 बिलियन डॉलर के कर्ज ले चुका है। उसने सऊदी अरब से सात बिलियन डॉलर का कर्ज लिया है। इन सारे कर्ज पर पाकिस्तान को ब्याज भी चुकाना पड़ रहा है। इस तरह वह कर्ज के जाल में फंसता जा रहा है। इसीलिए पाकिस्तान में इस मुख्य चर्चा इस बात पर हो रही है कि क्या इमरान खान चीन से कोई ऐसी सहायता पाने में सफल होंगे, जिससे पाकिस्तान राहत की सांस ले सके।
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