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Myanmar: म्यांमार के गृह युद्ध में सेना को भारी नुकसान, घटती जा रही है फौजियों की तादाद

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, यंगून Published by: Harendra Chaudhary Updated Mon, 05 Jun 2023 12:40 PM IST
सार

विश्लेषकों के मुताबिक म्यांमार के नौजवान अब सेना में शामिल होने को लेकर अनिच्छुक हैं। इसलिए सेना नई भर्तियां नहीं कर पा रही है। इसका कारण पिछले दशक में देश में रहा लोकतांत्रिक शासन है। लोकतांत्रिक शासन का स्वाद लगने के बाद अब नौजवान सेना की नौकरी में जाने को इच्छुक नहीं रह गए हैं...

Heavy loss to the army in Myanmar civil war, the number of soldiers is decreasing
म्यांमार जनरल मिन आंग हलिंग - फोटो : Agency (File Photo)

विस्तार
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म्यांमार के गृह युद्ध में दोनों पक्षों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। सैनिक शासन ने इस दौरान अपने विरोधियों को कमजोर करने की योजनाबद्ध कोशिश की है। दो महीने पहले उसने देश की प्रमुख पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) को भंग कर दिया था। विद्रोही गुटों के खिलाफ उसने अपनी कार्रवाई को ज्यादा बेरहम बना दिया है। इसके बावजूद सेना को हुए नुकसान की भरपाई वह नहीं कर पा रहा है।  

अमेरिकी थिंक टैंक यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ पीस में विजिटिंग स्कॉलर ये मयो हिन हाल में एक विश्लेषण में लिखा- ‘म्यांमार में सैनिकों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है।’ इस विश्लेषण में अनुमान लगाया गया है कि गृह युद्ध में म्यांमार की सेना को 13 हजार जवान गंवाने पड़े हैं। उनके अलावा आठ हजार सैनिक ड्यूटी छोड़ कर भाग गए हैं।

इसके पहले विश्लेषकों का अनुमान था कि म्यांमार की सेना में तीन से चार लाख तक फौजी हैं। मयो हिन का कहना है कि सेना को जो नुकसान हुआ है, उन जगहों को भरने के लिए नई भर्ती करने में वह नाकाम रही है। सेना में आखिरी भर्ती फरवरी 2021 में हुए सैनिक तख्ता पलट से पहले हुई थी। फिलहाल सेना के कई बटालियन अपनी पूरी क्षमता के बिना काम कर रहे हैँ।

मयो हिन ने लिखा है- ‘सेना में फौजियों की कमी को पूरा करने के लिए सैनिक शासकों ने नौसैनिकों और वायु सैनिकों की मदद गृह युद्ध में ली है। इसके अलावा सहायक दस्तों की मदद ली गई है। फिलहाल म्यांमार के सशस्त्र सेनाओं में डेढ़ लाख जवान ही मौजूद हैं।’

उधर बैंकाक स्थित विश्लेषक और म्यांमार की सुरक्षा स्थिति के विशेषज्ञ एंथनी डेविस ने अनुमान लगाया है कि म्यांमार की पैदल सेना में एक लाख से एक लाख 20 हजार तक जवान और अधिकारी हैं। उन्होंने कहा है- ‘मैं इस बात से सहमत हूं कि पहले म्यांमार की सेना के आकार को लेकर जो अनुमान लगाए गए थे, उनमें संख्या को बढ़ा-चढ़ा कर बताया गया था।’

विश्लेषकों के मुताबिक म्यांमार के नौजवान अब सेना में शामिल होने को लेकर अनिच्छुक हैं। इसलिए सेना नई भर्तियां नहीं कर पा रही है। इसका कारण पिछले दशक में देश में रहा लोकतांत्रिक शासन है। लोकतांत्रिक शासन का स्वाद लगने के बाद अब नौजवान सेना की नौकरी में जाने को इच्छुक नहीं रह गए हैं। बल्कि सेना की ज्यादतियों को लेकर उनमें गुस्से की भावना है।

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थल सैनिकों की संख्या घटने के कारण सैनिक शासक गृह युद्ध में लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टरों का अधिक इस्तेमाल करने लगे हैँ। अप्रैल में वायु सेना ने सगायंग इलाके में जुटी लोकतंत्र समर्थकों की भीड़ पर हवाई बमबारी की थी। ये लोग विपक्षी समूहों की तरफ से बनाई गई वैकल्पिक सरकार- नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट के कार्यालय के उद्घाटन के मौके पर इकट्ठे हुए थे। बताया जाता है कि इस घटना में 160 से ज्यादा लोग मारे गए।

लोकतंत्र समर्थक विद्रोही गुटों ने भी अपने हमले तेज कर रखे हैं। इन गुटों ने पीपुल्स डिफेंस फोर्स का गठन किया है। ये लोग गुरिल्ला वॉर का तरीका अपना कर सैनिक ठिकानों को निशाना बना रहा है। सैनिक शासन का दावा है कि ये विद्रोही गुट 5,400 से अधिक नागरिकों की हत्या कर चुके हैं।

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