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Former Prime Ministers of Nepal increased the pressure on PM pushpa kamal Dahal before his visit to India
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Nepal: नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्रियों ने भारत यात्रा से पहले पीएम दहल पर बढ़ाया दबाव
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काठमांडो
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Mon, 29 May 2023 01:31 PM IST
भारत में नेपाल के राजदूत रह चुके दुर्गेश मान सिंह ने कहा कि नेपाल के प्रधानमंत्री जब भारत जाते हैं, तो उन्हें वहां सिर्फ मांगों की लंबी लिस्ट पेश नहीं करनी चाहिए। उन्हें ऐसा संकेत देने से बचना चाहिए कि नेपाल सिर्फ दूसरे देशों से सिर्फ मदद मांगता है...
Nepal PM India visit: Nepal PM Pushpa Kamal Dahal meet PM Narendra Modi
- फोटो : Agency (File Photo)
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्रियों ने मांग की है कि प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल अपनी अगली भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने इमिनेंट पर्सन्स ग्रुप (ईपीजी) की रिपोर्ट को स्वीकार करने और दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का मसला जरूर उठाएं। गणमान्य नागरिकों की समिति (ईपीजी) दोनों के बीच संबंध की दिशा पर सुझाव देने के लिए 2018 में बनाई गई थी।
आरोप है कि भारत इसकी रिपोर्ट को ग्रहण करने में अनुच्छुक बना हुआ है। इस समिति में दोनों देशों के चार-चार सदस्य थे।
दहल 31 मई से भारत यात्रा पर जा रहे हैं। एक जून को नई दिल्ली में उनकी मुलाकात मोदी से होगी। पिछले दिसंबर में प्रधानमंत्री बनने के बाद से यह उनकी पहली भारत यात्रा है। इस यात्रा के बारे में सुझाव लेने के लिए उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्रियों को आमंत्रित किया था। दहल ने इस सिलसिले में पूर्व प्रधानमंत्रियों शेर बहादुर देउबा, केपी शर्मा ओली, झलानाथ खनाल और बाबूराम भट्टराई से बातचीत की। इस बैठक के दौरान कई पूर्व विदेश मंत्री भी उपस्थित रहे। इसके अलावा दहल ने भारत में राजदूत रह चुके नेपाली राजनयिकों से भी राय-मशविरा किया है।
भारत में नेपाल के राजदूत रह चुके दुर्गेश मान सिंह ने कहा कि नेपाल के प्रधानमंत्री जब भारत जाते हैं, तो उन्हें वहां सिर्फ मांगों की लंबी लिस्ट पेश नहीं करनी चाहिए। उन्हें ऐसा संकेत देने से बचना चाहिए कि नेपाल सिर्फ दूसरे देशों से सिर्फ मदद मांगता है। बाकी नेताओं ने जो सुझाव भी दिए, उनमें भी कुल मिला कर इसी तरह की बातें थीं।
केपी शर्मा ओली ने अपनी बात को मुख्य रूप से ईपीजी रिपोर्ट, सीमा विवाद और पंचेश्वर पनबिजली परियोजना पर केंद्रित रखा। ओली के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल के वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री प्रदीप गयावली ने कहा- ‘हमने प्रधानमंत्री को सुझाव दिया है कि भारतीय प्रधानमंत्री के साथ बातचीत के दौरान अपने अपने को आधा दर्जन मुद्दों तक सीमित रखें। इनमें ईपीजी रिपोर्ट को प्राप्त करना, और नेपाल को लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी इलाकों का उपयोग करने देना प्रमुख हैँ। हमने प्रधानमंत्री से कहा है कि राष्ट्रीय मुद्दे पर दो-टूक बातचीत करके वे आपसी संबंधों में भरोसे का माहौल बनाएं।’
प्रधानमंत्री के साथ भारत जा रहे दल में चार दर्जन मंत्री और सरकारी अधिकारी शामिल होंगे। दहल तीन जून तक भारत में रहेंगे। प्रधानमंत्री निवास में हुई बैठक के दौरान पूर्व प्रधानमंत्रियों और अन्य राजनेताओं ने दहल से कहा कि वे भारत के सामने नेपाल की चिंताओं को आत्म-सम्मान की भावना के साथ व्यक्त करें, ताकि दोनों देशों के बीच सद्भावपूर्ण और भरोसे का संबंध बन सके।
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूनिफाइड सोशलिस्ट) की ओर से पूर्व प्रधानमंत्री झलानाथ खनाल 19 सूत्री सुझाव दहल को सौंपे। इनमें सीमा विवाद को हल करना, 1950 की संधि की समीक्षा, ईपीजी रिपोर्ट को स्वीकार करना और नेपाल का व्यापार घाटा कम करना शामिल है।
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विश्लेषकों के मुताबिक ये सभी विवादित मुद्दे हैं। पूर्व प्रधानमंत्रियों ने इन पर जोर डाल कर दहल पर दबाव बनाने की कोशिश की है। संकेत हैं कि दहल अपनी भारत यात्रा को विवाद से दूर रखने की कोशिश में हैं, जबकि पूर्व प्रधानमंत्रियों ने ऐसी सूरत बनाने की कोशिश की है, जिससे यात्रा से लौटने के बाद उनकी पार्टियां दहल को उग्र राष्ट्रवादी मुद्दों से घेर सकें।
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