रूसी मीडिया में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को लंबे समय से एक दबंग नेता के रूप में दिखाया जाता है जो रूस को पश्चिमी दुनिया से बचाते हैं। लेकिन अब रूसी मीडिया में उनकी छवि एक मसीहा के रूप में गढ़ी जा रही है।
रूस में इसी साल मार्च में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में सरकारी टेलीविजन चैनल धार्मिक मुलम्मा चढ़ाकर उन्हें एक मसीहा के रूप में दिखाना चाह रहे हैं जिन्होंने ऐतिहासिक मतभेदों को मिटाते हुए देश को बचाया और विकास की ओर लेकर गए हैं।
इस काम के लिए देश के सबसे बड़े सरकारी चैनल रोसिया 1 पर एक डॉक्यूमेन्ट्री चलाई जा रही है। ये डॉक्यूमेंट्री वलाम नाम के एक मठ से जुड़ी है जो उत्तर में मौजूद झील लादोगा के नजदीक एक द्वीप पर स्थित है। इसे पुतिन का पसंदीदा स्थान माना जाता है।
सोवियत सरकार के दौर में बंद रहने और सालों तक देखरेख ना होने के कारण ये मठ पूरी तरह से टूटकर खंडहर बन गया था। डॉक्यूमेन्ट्री के मुताबिक, सोवियत संघ के विघटन के बाद इसे राष्ट्रपति पुतिन की मदद से फिर से पूरी तरह बनाया गया है।
डॉक्यूमेन्ट्री में वलाम को बार-बार 'रूस का आईना' कहा गया है। 1917 में हुई अक्तूबर क्रांति के बाद इस मठ को क्षति पहुंची थी और इसके पुनरुद्धार को पुतिन के नेतृत्व में देश की प्रगति का प्रतीक कहा गया है।
वीडियो में एक दृश्य में पुतिन मठ की यात्रा कर रहे हैं। यहां पर वॉयसओवर में कहा गया है, "जब महान रूस को तबाह कर दिया गया, वलाम भी खत्म हो गया। लेकिन इसमें दोबारा जान फूंक दी गई और हमारा देश दोबारा अपने घुटनों पर खड़ा हो गया।"
पुनर्जन्म
इन द्वीपों पर राष्ट्रपति की पहली यात्रा को एक दैवीय घटना की तरह दिखाया गया है। संगीत के साथ आवाज सुनाई देती है, "इस जगह पर नाव आकर रुकी और व्लादिमीर पुतिन नजर आए।" मठ के प्रमुख बिशप पैन्क्राति याद करते हैं कि कैसे यहां पर घूमने आई एक पेंशनभोगी महिला ने अपनी आंखे मलकर देखा कि 'ये कोई सपना नहीं था, ये सच था' और पुतिन ने मठ में आने के बाद घोषणा की कि वो जंगल के बीच मौजूद इस पवित्र स्थान को फिर से सुंदर और बेहतर बना देंगे।
वीडियो में बार-बार इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि कैसे पहले से बदहाल पड़े एक मठ को भव्य रूप में फिर से बनाया गया। इसकी तुलना 1990 के दशक के बाद रूस में जारी तनाव और राष्ट्र के सम्मान के साथ जोड़ दिया गया है।
वीडियो में एक और बात पर जोर दिया गया है कि पुतिन के नेतृत्व में सोवियत संघ सैन्य नास्तिकता के दौर से वापस आस्था के दौर में लाया गया। ये डॉक्यूमेंट्री बताती है कि कैसे पुतिन ने सोवियत संघ के दौर वाले शक्तिशाली रूस को याद करने वाले रूसी नागरिकों और क्रांति से पहले के रूस में धार्मिक आस्थाओं से संबंधित परंपराओं का सम्मान करने वालों को जोड़ने का काम किया।
फिल्म में पुतिन कह रहे हैं कि बुरे से बुरे दौर में भी सुलह का रास्ता मौजूद था क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सोवियत सेना ने मठ में काम करने वाले पुजारियों को मठ छोड़ने से पहले वहां से पवित्र अवशेष ले जाने की इजाजत दी थी।
इसके बाद वीडियो में वो कहते हैं कि साम्यवाद और ईसाइयत एक जैसे ही विचार हैं। वो बोल्शेविक क्रांति के नेता व्लादिमीर लेनिन की तुलना ईसाई धर्म में चर्च के पवित्र अवशेषों से करते हैं।
इसी तरह की थीम से जुड़ी एक और डॉक्यूमेन्ट्री हाल में सरकारी टीवी पर दिखाई गई थी। इसमें भी पुतिन को देश को बचाने वाले महान नेता और सोवियत और क्रांति से पहले मानी जाने वाली परंपराओं के बीत समन्वय बनाने वाले की तरह पेश किया गया है।
रूस में नए साल की छुट्टियों के दौरा सरकारी टेलीविजन चैनल रोसिया 24 पर वयोवृद्ध राष्ट्रवादी एलेक्जेंडर प्रोखानोव के बनाए पांच कड़ी वाले इस कार्यक्रम को प्रसारित किया गया था। इसमें ये तर्क दिया गया है कि रूसी में आम लोगों की जिंदगी का केंद्र सत्ता प्रतिष्ठान रहा है जिसने ऐतिहासिक रूप से कई बार आपदाओं का सामना किया है। लेकिन हर बार दैवीय हस्तक्षेप से रूस को नया जीवन मिला है।
प्रोखानोव के मुताबिक, अक्तूबर क्रांति के बाद इस चमत्कार के केंद्र में जोसेफ स्टालिन थे जिन्होंने एक नए और शक्तिशाली सोवियत संघ की स्थापानी की। इस तरह स्टालिन के मानवाधिकार उल्लंघन पर पर्दा डाला गया। इसके बाद सोवियत संघ के विघटन के बाद व्लादिमीर पुतिन अगले मसीहा थे जिसकी वजह से रूस अपने स्वर्णिम दौर में पहुंच गया है।
18 मार्च को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले ये सब कुछ इसलिए हो रहा है ताकि पुतिन चौथी बार छह साल का राष्ट्रपति चुनाव जीत पाएं। कम से कम क्रेमलिन की ओर से ऐसी कोशिश की जा रही है। शायद ये किसी तरह का इत्तेफाक नहीं है कि वलाम डॉक्यूमेंट्री को बनाने और जारी करने वाले एक नामी पत्रकार पुतिन के प्रवक्ता बन गए हैं।
बीते साल भ्रष्टाचार के तमाम आरोपों और जीवन स्तर में कमी आने से लोगों में आ रही असंतुष्टता के बावजूद रूसी जनता के बीच राष्ट्रीय पुनर्जीवन की बात ज्यादा प्रभावशाली ढंग से काम कर रही है। इसके साथ ही सरकारी पोल में पुतिन को 80% समर्थन मिल रहा है।
लेकिन क्रेमलिन अभी भी जीत के लिए आश्वस्त नहीं है। पुतिन के खिलाफ चुनाव में भ्रष्टाचार विरोधी अलेक्सी नेवलेन्यी को एक आपराधिक मामले में अभियुक्त बनाकर चुनाव में खड़ा होने से रोक दिया गया है जिसे कई लोग राजनीतिक हथकंडे के रूप में देख रहे हैं।
रूसी मीडिया में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को लंबे समय से एक दबंग नेता के रूप में दिखाया जाता है जो रूस को पश्चिमी दुनिया से बचाते हैं। लेकिन अब रूसी मीडिया में उनकी छवि एक मसीहा के रूप में गढ़ी जा रही है।
रूस में इसी साल मार्च में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में सरकारी टेलीविजन चैनल धार्मिक मुलम्मा चढ़ाकर उन्हें एक मसीहा के रूप में दिखाना चाह रहे हैं जिन्होंने ऐतिहासिक मतभेदों को मिटाते हुए देश को बचाया और विकास की ओर लेकर गए हैं।
इस काम के लिए देश के सबसे बड़े सरकारी चैनल रोसिया 1 पर एक डॉक्यूमेन्ट्री चलाई जा रही है। ये डॉक्यूमेंट्री वलाम नाम के एक मठ से जुड़ी है जो उत्तर में मौजूद झील लादोगा के नजदीक एक द्वीप पर स्थित है। इसे पुतिन का पसंदीदा स्थान माना जाता है।
सोवियत सरकार के दौर में बंद रहने और सालों तक देखरेख ना होने के कारण ये मठ पूरी तरह से टूटकर खंडहर बन गया था। डॉक्यूमेन्ट्री के मुताबिक, सोवियत संघ के विघटन के बाद इसे राष्ट्रपति पुतिन की मदद से फिर से पूरी तरह बनाया गया है।
डॉक्यूमेन्ट्री में वलाम को बार-बार 'रूस का आईना' कहा गया है। 1917 में हुई अक्तूबर क्रांति के बाद इस मठ को क्षति पहुंची थी और इसके पुनरुद्धार को पुतिन के नेतृत्व में देश की प्रगति का प्रतीक कहा गया है।
वीडियो में एक दृश्य में पुतिन मठ की यात्रा कर रहे हैं। यहां पर वॉयसओवर में कहा गया है, "जब महान रूस को तबाह कर दिया गया, वलाम भी खत्म हो गया। लेकिन इसमें दोबारा जान फूंक दी गई और हमारा देश दोबारा अपने घुटनों पर खड़ा हो गया।"
पुनर्जन्म
इन द्वीपों पर राष्ट्रपति की पहली यात्रा को एक दैवीय घटना की तरह दिखाया गया है। संगीत के साथ आवाज सुनाई देती है, "इस जगह पर नाव आकर रुकी और व्लादिमीर पुतिन नजर आए।" मठ के प्रमुख बिशप पैन्क्राति याद करते हैं कि कैसे यहां पर घूमने आई एक पेंशनभोगी महिला ने अपनी आंखे मलकर देखा कि 'ये कोई सपना नहीं था, ये सच था' और पुतिन ने मठ में आने के बाद घोषणा की कि वो जंगल के बीच मौजूद इस पवित्र स्थान को फिर से सुंदर और बेहतर बना देंगे।
वीडियो में बार-बार इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि कैसे पहले से बदहाल पड़े एक मठ को भव्य रूप में फिर से बनाया गया। इसकी तुलना 1990 के दशक के बाद रूस में जारी तनाव और राष्ट्र के सम्मान के साथ जोड़ दिया गया है।
वीडियो में एक और बात पर जोर दिया गया है कि पुतिन के नेतृत्व में सोवियत संघ सैन्य नास्तिकता के दौर से वापस आस्था के दौर में लाया गया। ये डॉक्यूमेंट्री बताती है कि कैसे पुतिन ने सोवियत संघ के दौर वाले शक्तिशाली रूस को याद करने वाले रूसी नागरिकों और क्रांति से पहले के रूस में धार्मिक आस्थाओं से संबंधित परंपराओं का सम्मान करने वालों को जोड़ने का काम किया।
फिल्म में पुतिन कह रहे हैं कि बुरे से बुरे दौर में भी सुलह का रास्ता मौजूद था क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सोवियत सेना ने मठ में काम करने वाले पुजारियों को मठ छोड़ने से पहले वहां से पवित्र अवशेष ले जाने की इजाजत दी थी।
इसके बाद वीडियो में वो कहते हैं कि साम्यवाद और ईसाइयत एक जैसे ही विचार हैं। वो बोल्शेविक क्रांति के नेता व्लादिमीर लेनिन की तुलना ईसाई धर्म में चर्च के पवित्र अवशेषों से करते हैं।
इसी तरह की थीम से जुड़ी एक और डॉक्यूमेन्ट्री हाल में सरकारी टीवी पर दिखाई गई थी। इसमें भी पुतिन को देश को बचाने वाले महान नेता और सोवियत और क्रांति से पहले मानी जाने वाली परंपराओं के बीत समन्वय बनाने वाले की तरह पेश किया गया है।
रूस में नए साल की छुट्टियों के दौरा सरकारी टेलीविजन चैनल रोसिया 24 पर वयोवृद्ध राष्ट्रवादी एलेक्जेंडर प्रोखानोव के बनाए पांच कड़ी वाले इस कार्यक्रम को प्रसारित किया गया था। इसमें ये तर्क दिया गया है कि रूसी में आम लोगों की जिंदगी का केंद्र सत्ता प्रतिष्ठान रहा है जिसने ऐतिहासिक रूप से कई बार आपदाओं का सामना किया है। लेकिन हर बार दैवीय हस्तक्षेप से रूस को नया जीवन मिला है।
प्रोखानोव के मुताबिक, अक्तूबर क्रांति के बाद इस चमत्कार के केंद्र में जोसेफ स्टालिन थे जिन्होंने एक नए और शक्तिशाली सोवियत संघ की स्थापानी की। इस तरह स्टालिन के मानवाधिकार उल्लंघन पर पर्दा डाला गया। इसके बाद सोवियत संघ के विघटन के बाद व्लादिमीर पुतिन अगले मसीहा थे जिसकी वजह से रूस अपने स्वर्णिम दौर में पहुंच गया है।
राष्ट्रपति चुनाव
18 मार्च को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले ये सब कुछ इसलिए हो रहा है ताकि पुतिन चौथी बार छह साल का राष्ट्रपति चुनाव जीत पाएं। कम से कम क्रेमलिन की ओर से ऐसी कोशिश की जा रही है। शायद ये किसी तरह का इत्तेफाक नहीं है कि वलाम डॉक्यूमेंट्री को बनाने और जारी करने वाले एक नामी पत्रकार पुतिन के प्रवक्ता बन गए हैं।
बीते साल भ्रष्टाचार के तमाम आरोपों और जीवन स्तर में कमी आने से लोगों में आ रही असंतुष्टता के बावजूद रूसी जनता के बीच राष्ट्रीय पुनर्जीवन की बात ज्यादा प्रभावशाली ढंग से काम कर रही है। इसके साथ ही सरकारी पोल में पुतिन को 80% समर्थन मिल रहा है।
लेकिन क्रेमलिन अभी भी जीत के लिए आश्वस्त नहीं है। पुतिन के खिलाफ चुनाव में भ्रष्टाचार विरोधी अलेक्सी नेवलेन्यी को एक आपराधिक मामले में अभियुक्त बनाकर चुनाव में खड़ा होने से रोक दिया गया है जिसे कई लोग राजनीतिक हथकंडे के रूप में देख रहे हैं।