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debate in Pakistan on the legacy of General Pervez Musharraf
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Pervez Musharraf: पाकिस्तान में छिड़ी है जनरल मुशर्रफ की विरासत पर तीखी बहस
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Tue, 07 Feb 2023 07:03 PM IST
सार
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लोग जनरल मुशर्रफ के समय देश में रही राजनीतिक स्थिरता को सकारात्मक रूप से याद कर रहे हैं। इस्लामाबाद के एक 70 वर्षीय दुकानदार ने कहा- ‘वे अच्छे शासक थे। उनके जैसा नेता ना तो देश में पहले कभी हुआ था, ना बाद में कोई हुआ है।’
पाकिस्तान के पूर्व सैनिक तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ का शव अंत्येष्टि के लिए दुबई से पाकिस्तान आ गया है। इस बीच देश में जनरल मुशर्रफ की विरासत पर बहस छिड़ी हुई है। समाज के एक तबके में उन्हें देश को नुकसान पहुंचाने वाले शख्स के रूप में याद किया जा रहा है, लेकिन देश के एक हलके में उन्हें भाव-भीनी श्रद्धांजलि दी गई है। मुशर्रफ की तारीफ करने वाले लोगों की राय है कि पूर्व तानाशाह ने पाकिस्तान को आर्थिक स्थिरता प्रदान की थी। जबकि आलोचकों का कहना है कि मुशर्रफ ने लोकतंत्र का गला घोंटा और सत्ता का खुल कर दुरुपयोग किया।
न्यूज एजेंसी एएफपी के साथ बातचीत में 24 वर्षीय छात्र मोहम्मद वकास ने कहा कि जनरल मुशर्रफ ने देश का विकास किया। उन्होंने कहा- ‘लेकिन दूसरी तरफ उनके शासनकाल में देश को आतंकवाद के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ा। अफगानिस्तान के खिलाफ अमेरिका के युद्ध में शामिल होने के उनके फैसले से पाकिस्तान कमजोर हुआ था।’
पाकिस्तान फिलहाल गहरे आर्थिक संकट में है। साथ ही देश में राजनीतिक अस्थिरता भी बढ़ती चली गई है। तय कार्यक्रम के मुताबिक इस वर्ष अक्तूबर में आम चुनाव होना है, लेकिन उसके पहले देश का भविष्य अंधकारमय नजर रहा है। विश्लेषकों के मुताबिक इस हाल में जी रहे लोग जनरल मुशर्रफ के समय देश में रही राजनीतिक स्थिरता को सकारात्मक रूप से याद कर रहे हैं। इस्लामाबाद के एक 70 वर्षीय दुकानदार ने कहा- ‘वे अच्छे शासक थे। उनके जैसा नेता ना तो देश में पहले कभी हुआ था, ना बाद में कोई हुआ है।’
पंजाब प्रांत के पूर्व मुख्यमंत्री परवेज इलाही ने कहा है- ‘वे एक अच्छे शासक थे। उन्हें अपने काम से लगाव था और अगर कोई नई पहल करता था, तो उसकी वे तारीफ करते थे।’ इलाही जनरल मुशर्रफ के निकट सहयोगियों में शामिल रहे थे।
जब 11 सितंबर 2001 को अमेरिका में हुए आतंकवादी हमलों के बाद तत्कालीन जॉर्ज डब्ल्यू बुश प्रशासन ने अफगानिस्तान में ‘आतंक के खिलाफ युद्ध’ छेड़ा, तो जनरल मुशर्रफ ने उसमें पाकिस्तान को अमेरिका का सहयोगी बना लिया। उसके बाद अपने पूरे कार्यकाल में उन्होंने पाकिस्तान को अमेरिका का सहयोगी बनाए रखा। 2006 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बुश ने मुशर्रफ की खुली तारीफ की थी। उन्होंने मुशर्रफ को एक मजबूत नेता बताया था और कहा था कि मुशर्रफ को उन लोगों ने निशाना बनाया, जो उनकी उदारवादी नीतियों को नहीं चाहते थे।
लेकिन मुशर्रफ के करियर पर एक निर्वाचित सरकार का तख्ता पलट देने और लंबे समय तक संविधान को निलंबित रखने का ऐसा दाग है, जिसे धोना संभव नहीं हुआ है। रिटायर्ड प्रशासनिक अधिकारी नईम उल हक सत्ती ने कहा है- ‘मुशरर्फ अपने उसी काम के लिए याद रखे जाएंगे। उन्होंने संविधान का उल्लंघन किया था, जबकि किसी देश के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण बात यही होती है कि वहां एक संविधान रहे।’
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मुशर्रफ ने अपने कार्यकाल के बीच में संविधान को वापस लागू किया था। लेकिन जब उनके खिलाफ आंदोलन छिड़ा तो 2007 में उन्होंने फिर से संविधान को निलंबित कर दिया और सुप्रीम कोर्ट तत्कालीन चीफ जस्टिस को बर्खास्त कर दिया। कारोबारी अब्दुल बस्ती ने एएफपी से कहा- ‘जनरल मुशर्रफ उन सैनिक तानाशाहों में थे, जिन्होंने देश को खराब शासन दिया। वे चापलूसों से घिरे रहे और देश को बर्बादी की तरफ ले गए।’
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