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coronavirus pandemic US scientist says Donald Trump ignores concerns over import of hydroxychloroquine from India and Pakistan
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अमेरिका ने भारत से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन आयात करने वाले अफसरों को हटाया, गुणवत्ता से समझौता करने का आरोप
पीटीआई, वाशिंगटन
Published by: देव कश्यप
Updated Wed, 06 May 2020 12:33 PM IST
अमेरिका के एक बर्खास्त वैज्ञानिक ने आरोप लगाया है कि ट्रंप प्रशासन ने कोरोना से जुड़ी चेतावनियों को नजरअंदाज किया और भारत तथा पाकिस्तान के बिना जांच की गई फैक्ट्रियों से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा आयात किया। इसके बाद देश को अप्रमाणित तथा संभावित रूप से खतरनाक मलेरिया रोधी दवा से भर दिया।
व्हिसलब्लोअर्स की सुरक्षा संबंधी कार्यालय यूएस ऑफिस ऑफ स्पेशल काउंसेल के समक्ष मंगलवार को की गई शिकायत में रिक ब्राइट ने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य एवं मानव सेवा विभाग के शीर्ष अधिकारियों ने खासतौर से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन जैसी दवाइयां और निजी सुरक्षा उपकरण के संबंध में उनके तथा अन्य लोगों के संदेशों को बार-बार नजरअंदाज किया।
जब ब्राइट को बर्खास्त किया गया तब वह स्वास्थ्य एवं मानव सेवा (एचएचएस) विभाग के साथ काम करने वाली अनुसंधान एजेंसी बायोमेडिकल एडवांस्ड रिसर्च एंड डेवलेपमेंट एजेंसी के प्रमुख थे। शिकायत में कहा गया है कि डॉ. ब्राइट पाकिस्तान और भारत से दवा के आयात को लेकर अत्यधिक चिंतित थे क्योंकि एफडीए ने दवा या उसे बनाने वाली फैक्ट्री का निरीक्षण नहीं किया था।
इसमें आरोप लगाया गया है कि जिन कारखानों की जांच नहीं हुई है वहां बनने वाली ये दवाएं मिलावटी हो सकती हैं और यह दवा को लेने वाले लोगों के लिए खतरनाक बात हो सकती है। ट्रंप प्रशासन ने मलेरिया के इलाज में दशकों से इस्तेमाल होती आ रही दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की करीब पांच करोड़ गोलियों का आयात किया था जिसे मार्च में अमेरिकी खाद्य एवं औषध प्रशासन (एफडीए) से आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिली थी।
शिकायत में आरोप लगाया गया कि ट्रंप प्रशासन ब्राइट और उनके विभाग की बात सुनने का इच्छुक नहीं था। ब्राइट ने आरोप लगाया कि उन्हें इसलिए बर्खास्त किया गया क्योंकि उन्होंने कोरोना वायरस संकट से निपटने के लिए सुरक्षित और वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित समाधानों पर निधि खर्च करने पर जोर दिया न कि ऐसी दवाओं, टीकों और अन्य तकनीकों पर जो वैज्ञानिक मानकों पर खरे नहीं उतरते।
कोरोना वायरस वैश्विक महामारी से अमेरिका में 70,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और 12 लाख से अधिक लोग इससे संक्रमित पाए गए हैं।
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