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Concern raises on using antibody test for coronavirus in USA experts unsure about its effect
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कोरोना: एंटीबॉडी परीक्षण को लेकर अमेरिका में उठे सवाल
न्यूयॉर्क टाइम्स न्यूज सर्विस
Published by: Rajeev Rai
Updated Wed, 06 May 2020 03:53 AM IST
अमेरिका में लोगों को घरों में बंद रहने के दिशा-निर्देशों के बीच अर्थव्यवस्था को दोबारा खोलने के संबंध में एंटीबॉडी परीक्षण को सबसे ज्यादा अहम माना जा रहा है। लेकिन अमेरिका में विशेषज्ञों का एक खेमा यह मान रहा है कि पुख्तातौर पर यह कहना जल्दबाजी होगी एंटीबॉडीज परीक्षण से कोविड-19 के विरुद्ध इम्यूनिटी का पता चलता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 एक नया वायरस है और सार्स समेत दूसरे वायरसों के अनुभवों के आधार पर यह पता चलता है कि एंटीबॉडीज का होना कुछ सुरक्षा तो देता है। लेकिन यह साफ नहीं है कि कितने वक्त तक। माउंट सिनाई हैल्थ सिस्टम के क्लीनिकल लैबोरोट्रीज एंड ट्रासफ्यूजन सर्विसेस के निदेशक डॉ. जैफरी झांग के मुताबिक, परेशानी यह है कि अभी तक ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला है, जो यह बताए कि एंटीबॉडीज दोबारा बीमार होने से बचा सकते हैं। मुझे लगता है कि कई लोग सोचते हैं कि कई मामलों में एंटीबॉडीज सुरक्षा प्रदान करेगी। लेकिन हर वक्त ऐसा नहीं होता। यह बात उस वक्त सही साबित होती दिखाई देती है जब एक नई शोध रिपोर्ट को देखते हैं। इसके मुताबिक अब तक हुए कई एंटीबॉडी परीक्षण के नतीजे गलत आए हैं, क्योंकि टेस्ट इसका होता है कि व्यक्ति कोरोना की चपेट में आ सकता है या नहीं।
आम ब्लड टेस्ट की तरह है
विशेषज्ञ डॉ. जैफरी झांग के मुताबिक, आमतौर पर एंटीबॉडीज बनने में एक हफ्ते से 14 दिन तक का समय लगता है। इनका स्तर इम्यून सिस्टम और संपर्क में आने के समय पर निर्भर करता है। हालांकि कम एंटीबॉडीज होने का यह मतलब भी नहीं है कि व्यक्ति संक्रमित नहीं हैं। यह एक आम ब्लड टेस्ट की तरह ही होता है।
इसलिए जरूरी है यह परीक्षण
एंटीबॉडीज स्तर यह पता करने में मदद करता है कि व्यक्ति कोरोना वायरस के संपर्क में हैं या नहीं। इसका मतलब यह नहीं कि उसका इम्यून बेहतर है। उसे लगातार सावधानी बरतनी होगी, लेकिन एंटीबॉडीज टेस्ट के जरिए पता किया जा सकता है कि व्यक्ति कॉन्वालैसेंट प्लाज्मा डोनेट कर सकता है या नहीं। यह प्लाज्मा कोरोना से जूझ रहे मरीजों के जल्दी ठीक होने में निश्चित ही मदद करता है।
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