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चीन अगले साल तिब्बत में दुनिया के सबसे बड़े प्लैनेटेरियम का निर्माण कार्य शुरू करेगा। स्थानीय अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी।
तिब्बत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने बताया कि इस प्लैनेटेरियम में क्षेत्र की सबसे बड़ी ऑप्टिकल खगोलीय दूरबीन होगी, जिसमें एक मीटर व्यास वाला एक लेंस लगा होगा।
पढ़ें: अजहर को 'बचाकर' अब चीन कर रहा भारत को मनाने की कोशिश, द्विपक्षीय संबंधों की दी दुहाई
यह प्लैनेटेरियम खगोलीय अनुसंधान और विज्ञान शिक्षा के लिए एक प्रमुख क्षेत्रीय केंद्र बन जाएगा।
चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने विभाग के हवाले से रविवार को कहा कि इस दूरबीन को संयुक्त रूप से प्लैनेटेरियम और नेशनल एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्जर्वेटरीज द्वारा विकसित किया जाएगा।
पढ़ें: एक साल बाद चीन ने की नॉर्थ कोरिया से बात, परमाणु हथियार बने थे रिश्तों में खटास की वजह
विभाग के उप प्रमुख वांग जुंजी ने बताया, ‘इस यंत्र की स्थापना से यह प्लैनेटेरियम पेशेवर खगोलीय अनुसंधान करने में सक्षम हो सकेगा।’ वांग ने बताया, ‘दुनिया का सबसे ऊंचाई पर स्थित प्लैनेटेरियम लोगों के लिए तारों और ब्रह्मांड को जानने तथा समझने का एक बेहतर माध्यम बन सकेगा।’ विभाग ने बताया कि यह परियोजना 2019 में पूरी हो जाएगी।
चीन अगले साल तिब्बत में दुनिया के सबसे बड़े प्लैनेटेरियम का निर्माण कार्य शुरू करेगा। स्थानीय अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी।
तिब्बत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने बताया कि इस प्लैनेटेरियम में क्षेत्र की सबसे बड़ी ऑप्टिकल खगोलीय दूरबीन होगी, जिसमें एक मीटर व्यास वाला एक लेंस लगा होगा।
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यह प्लैनेटेरियम खगोलीय अनुसंधान और विज्ञान शिक्षा के लिए एक प्रमुख क्षेत्रीय केंद्र बन जाएगा।
चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने विभाग के हवाले से रविवार को कहा कि इस दूरबीन को संयुक्त रूप से प्लैनेटेरियम और नेशनल एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्जर्वेटरीज द्वारा विकसित किया जाएगा।
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विभाग के उप प्रमुख वांग जुंजी ने बताया, ‘इस यंत्र की स्थापना से यह प्लैनेटेरियम पेशेवर खगोलीय अनुसंधान करने में सक्षम हो सकेगा।’ वांग ने बताया, ‘दुनिया का सबसे ऊंचाई पर स्थित प्लैनेटेरियम लोगों के लिए तारों और ब्रह्मांड को जानने तथा समझने का एक बेहतर माध्यम बन सकेगा।’ विभाग ने बताया कि यह परियोजना 2019 में पूरी हो जाएगी।