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Britain: अमेरिका से व्यापार रियायतें नहीं पा सके ऋषि सुनक, अब देश में हो रही है आलोचना

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, लंदन Published by: Harendra Chaudhary Updated Sat, 10 Jun 2023 03:34 PM IST
सार

ब्रिटिश विश्लेषकों ने राय जताई है कि ‘अटलांटिक घोषणापत्र’ प्रतीकात्मक रूप में भले महत्वपू्र्ण हो, लेकिन इससे यह भी संकेत मिला है कि अमेरिका के साथ मुक्त व्यापार समझौते की अब कोई उम्मीद नहीं बची है...

Britain: Rishi Sunak could not get trade concessions from United states, now there is criticism in country
ऋषि सुनक और जो बाइडन। - फोटो : Agency (File Photo)

विस्तार
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ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक को अमेरिका यात्रा में अपने प्रमुख मकसद में कामयाबी नहीं मिल सकी। जबकि व्हाइट हाउस में सुनक का स्वागत कर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन यह संदेश देने में सफल रहे कि चीन के खिलाफ लामबंदी में ब्रिटेन उनके साथ है और उनका अभियान आगे बढ़ रहा है।

ब्रिटिश अखबार द गार्जियन की एक रिपोर्ट में कहा गया है- ‘ऋषि सुनक और जो बाइडन ने दोनों देशों के बीच सहयोग के एक करार का एलान किया है, जिससे ब्रिटेन बाइडन प्रशासन के आर्थिक दायरे में और मजबूती से शामिल हो जाएगा। इससे ब्रेग्जिट के समय आपसी रिश्तों में हुई उथल-पुथल से आगे निकलते हुए दोनों देशों के बीच अब पहले जैसे संबंध बहाल हो जाएंगे।’

दोनों नेताओं ने अपनी बातचीत के बाद संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में ‘अटलांटिक घोषणापत्र’ जारी किया। इस मौके पर सुनक ने दो टूक कहा कि दोनों देशों ने चीन और रूस की तरफ से आ रहे खतरों को देखते हुए अपनी ‘आर्थिक सुरक्षा’ को मजबूत करने का फैसला किया है। सुनक ने कहा- ‘चीन और रूस अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सकेंगे।’

लेकिन ब्रिटिश विश्लेषकों ने राय जताई है कि ‘अटलांटिक घोषणापत्र’ प्रतीकात्मक रूप में भले महत्वपू्र्ण हो, लेकिन इससे यह भी संकेत मिला है कि अमेरिका के साथ मुक्त व्यापार समझौते की अब कोई उम्मीद नहीं बची है। जबकि ब्रिटेन में सत्ताधारी कंजरवेटिव पार्टी ने 2019 के आम चुनाव में अमेरिका के साथ ऐसा समझौता करने का वादा किया था।

ब्रिटेन में प्रमुख विपक्षी दल लेबर पार्टी ने आरोप लगाया है कि कंजरवेटिव पार्टी ने जिस व्यापक व्यापार समझौते का वादा किया था, उसे पूरा करने में वह नाकाम रही है। शैडो कैबिनेट (ब्रिटेन में विपक्षी पार्टी एक समानांतर मंत्रिमंडल बनाती है, जो सरकार के कामकाज पर नजर रखती है) में विदेश मंत्री डेविड लैमी ने कहा है- ‘प्रधानमंत्री सुनक अमेरिका के इन्फ्लेशन रिडक्शन एक्ट के तहत ब्रिटेन को सहयोगी देश का दर्जा दिलवाने में भी नाकाम रहे, जबकि ब्रिटेन के ऑटोमोटिव सेक्टर और ग्रीन एनर्जी उद्योग के लिए यह बेहद महत्त्वपूर्ण मकसद है।’ अमेरिका में बने इस कानून के तहत वहां उद्योग लगाने वाली कंपनियों को भारी सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया है।

लेकिन कंजरवेटिव पार्टी ने इसे सुनक की बड़ी उपलब्धि बताया है कि जो बाइडन ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री की इस योजना को स्वीकृति दे दी, जिसके तहत वे ब्रिटेन को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विनियम का केंद्र बनाना चाहते हैं। बाइडेन ने कहा- ‘हमें आशा है कि ब्रिटेन इस कार्य में नेतृत्व देगा।’

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विश्लेषकों के मुताबिक अमेरिका ने पूर्ण व्यापार समझौते की मांग नहीं मानी। इस कारण ब्रिटेन को अब अलग-अलग क्षेत्रों के लिए अलग समझौते की राह अपनानी होगी। इनमें रक्षा, डाटा और पेशेवर डिग्रियों से जुड़े क्षेत्र शामिल हैं। ब्रिटिश अधिकारियों ने कहा है कि अमेरिका अब भूमंडलीकरण की नीति से हट चुका है और अपनी अर्थव्यवस्था को नीतिगत संरक्षण देने की राह पर चल रहा है। इसी वजह से ब्रिटेन की मुक्त व्यापार समझौते की उम्मीद पूरी नहीं हुई।

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