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अफगानिस्तान: दो साल से बंधक नौसैनिक फ्रेरिच को रिहा करे तालिबान, बाइडन बोले- यह क्रूरता मंजूर नहीं

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वॉशिंगटन Published by: सुरेंद्र जोशी Updated Mon, 31 Jan 2022 07:34 AM IST
सार

फ्रेरिच अमेरिका के इलिनॉय के रहने वाले हैं। बाइडन ने कहा कि फ्रेरिच का परिवार बीते दो सालों से यह दर्द सह रहा है और उनकी सुरक्षा के लिए प्रार्थना कर रहा है। 

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन - फोटो : ANI

विस्तार

राष्ट्रपति जो बाइडन ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार से अपील की है कि वह दो साल से बंधक अमेरिकी नौसैनिक मार्क फ्रेरिच को तत्काल रिहा करे। बाइडन ने बयान जारी कर कहा कि सिविल इंजीनियर फ्रेरिच अफगानिस्तान में एक दशक से ज्यादा समय से जनता की मदद कर रहे थे। उन्होंने कुछ गलत नहीं किया फिर भी उन्हें तालिबान ने बंधक बनाकर रखा है। तालिबान की यह क्रूरता बर्दाश्त नहीं की जा सकती।



फ्रेरिच को बंधक बनाए जाने के दो साल पूरे होने के मौके पर सोमवार को बाइडन ने कहा कि अमेरिकी लोगों या किसी भी निर्दोष नागरिक की सुरक्षा को खतरा हमेशा अस्वीकार्य है। हमारा मानना है कि बंधक बनाना क्रूरता और कायरता का कार्य है। फ्रेरिच अमेरिका के इलिनॉय के रहने वाले हैं। बाइडन ने कहा कि फ्रेरिच का परिवार बीते दो सालों से यह दर्द सह रहा है और उनकी सुरक्षा के लिए प्रार्थना कर रहा है। वह सोच रहा है कि वह कहां व किस हालत में है। उनकी वापसी के इंतजार में है। 


अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि तालिबान सरकार को मान्यता एवं वैधता प्राप्त करने की अपनी आकांक्षाओं पर किसी भी प्रकार की उम्मीद करने से पहले फ्रेरिच को रिहा कर देना चाहिए। इसको लेकर कोई बातचीत नहीं होगी। अमेरिकियों या किसी भी निर्दोष नागरिक की सुरक्षा को खतरा कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही बाइडन ने चेतावनी दी है कि फ्रेरिच व दूसरे देशों में गलत ढंग से बंधक बनाए गए अन्य सभी अमेरिकी जब तक अपने घर नहीं लौट जाते तब तक उनकी सरकार इस मामले में लगातार कदम उठाती रहेगी।  

तालिबान ने 15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान पर फिर नियंत्रण कर लिया था। 20 साल बाद अमेरिका ने यह देश उसके हवाले कर अपनी सेना को वहां से निकाल लिया। उसके बाद से अफगानिस्तान भारी आर्थिक, मानवीय व सुरक्षा संकट से गुजर रहा है। दुनियाभर में अफगान सरकार की संपत्तियों को जब्त करने, विदेशी मदद स्थगित होने व तालिबान पर अंतररराष्ट्रीय पाबंदियों के चलते पहले से बेहद गरीबी झेल रहा अफगानिस्तान बड़े वित्तीय संकटों का सामना कर रहा है।  

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