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Bhutan PM Lotay Tshering remarks China equal say in Doklam dispute raises concerns in India
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Doklam Dispute: भूटान ने डोकलाम पर भारत को दिया झटका, कहा- सीमा विवाद सुलझाने में चीन बराबर का साझेदार
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, थिम्पू
Published by: गुलाम अहमद
Updated Wed, 29 Mar 2023 12:39 AM IST
सार
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भारत का मानना है कि चीन ने अवैध रूप से इस उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्र में कब्जा किया है। छह साल पहले डोकलाम में चीनी सैनिकों के अतिक्रमण को लेकर भारत-चीन के बीच तनाव काफी बढ़ गया था और लंबे समय तक भारतीय और चीनी सैनिक आमने-सामने थे। अब भूटानी पीएम के इस बयान से भारत की दिक्कतें बढ़ सकती हैं।
भूटान के प्रधानमंत्री लोते थेरिंग ने डोकलाम विवाद का समाधान निकालने में चीन को बराबर का पक्षकार बताया है। भूटानी पीएम का कहना है कि डोकलाम के विवाद को सुलझाने में भूटान, भारत और चीन बराबर के साझेदार हैं और तीनों देशों को मिलकर इसका हल निकालना होगा। भूटान के इस रुख से भारत को झटका लग सकता है, क्योंकि भारत का मानना है कि चीन ने अवैध रूप से इस उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्र में कब्जा किया है।
बता दें, छह साल पहले डोकलाम में चीनी सैनिकों के अतिक्रमण को लेकर भारत-चीन के बीच तनाव काफी बढ़ गया था और लंबे समय तक भारतीय और चीनी सैनिक आमने-सामने थे। दोनों देशों के बीच लंबी कूटनीतिक वार्ता के बाद डोकलाम में चीनी सैनिक पीछे हटे थे।
भूटान के प्रधानमंत्री ने कहा है कि हम तैयार हैं। जब अन्य दो पक्ष भी तैयार हों, हम चर्चा कर सकते हैं। इससे साफ संकेत मिलता है कि भारत, चीन और भूटान के बीच डोकलाम में ट्राई-जंक्शन की स्थिति पर बातचीत करने को थिम्पू तैयार है, जो इस विवाद में अहम साझेदार भी है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भूटान के पीएम थेरिंग ने बेल्जियम के एक न्यूज पोर्टल को दिए इंटरव्यू में कहा कि डोकलाम विवाद का हल भूटान अकेले नहीं निकाल सकता है। इसमें तीन देश भागीदार हैं और इसमें कोई भी देश छोटा नहीं है। सब बराबर के भागीदार हैं।
रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है डोकलाम
दरअसल, ट्राइजंक्शन डोकलाम से भारत, भूटान और चीन की सीमाएं लगती हैं। खास बात है कि डोकलाम का क्षेत्र सिलीगुड़ी कॉरिडोर में आता है और यह रणनीतिक रूप से काफी संवेदनशील जगह मानी जाती है। चीन भी इस क्षेत्र पर अपना दावा जता रहा है, लेकिन भारत का मानना है कि यह उसके और भूटान के बीच का मामला है। चीन माउंट गिपमोची समेत पूरा डोकलाम क्षेत्र ही कब्जा करना चाहता है। यह सीधे तौर पर भारत और भूटान की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करेगा।
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