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Teesta River: बांग्लादेश ने कहा- भारत से प्रतिक्रिया मिलने के बाद तीस्ता नदी मुद्दे पर होगी भविष्य की कार्रवाई

पीटीआई, ढाका। Published by: देव कश्यप Updated Fri, 24 Mar 2023 12:04 AM IST
सार

पश्चिम बंगाल सरकार ने जलपाईगुड़ी और कूचबिहार जिलों में सिंचाई के लिए तीस्ता के पानी को मोड़ने के लिए दो नई नहरें खोदने का फैसला किया है, जिसे लेकर बांग्लादेश ने दावा किया है कि इस वजह से नदी का प्रवाह कम हो गया है। 

Bangladesh said Future course of action on Teesta river issue after getting response from India
तीस्ता हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट। - फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार

बांग्लादेश ने गुरुवार को कहा कि वह तीस्ता नदी पर पश्चिम बंगाल सरकार की प्रस्तावित परियोजनाओं को लेकर पिछले सप्ताह नई दिल्ली को भेजे गए राजनयिक टिप्पणी पर भारत की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहा है। 


 

पश्चिम बंगाल सरकार ने जलपाईगुड़ी और कूचबिहार जिलों में सिंचाई के लिए तीस्ता के पानी को मोड़ने के लिए दो नई नहरें खोदने का फैसला किया है, जिसे लेकर बांग्लादेश ने दावा किया है कि इस वजह से नदी का प्रवाह कम हो गया है। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता सहेली सबरीन (Seheli Sabrin) ने संवाददाताओं से कहा कि हमें अभी तक राजनयिक टिप्पणी पर कोई जवाब नहीं मिला है। नई दिल्ली से जवाब मिलने के बाद हमारी अगली कार्रवाई तय की जाएगी।



बांग्लादेश के विदेश कार्यालय ने कहा कि ढाका नई दिल्ली से प्रतिक्रिया मिलने के बाद इस मुद्दे को हल करने के लिए अपनी कार्रवाई का निर्धारण करेगा। सबरीन ने कहा कि ढाका लंबे समय से प्रतीक्षित तीस्ता जल-साझाकरण संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए लंबे समय से नई दिल्ली के साथ जुड़ा हुआ है।

यह पूछे जाने पर कि क्या ढाका ने न्यूयॉर्क में चल रहे संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन में सीमा पार नदियों के जल बंटवारे के मुद्दे को उठाया था। सबरीन ने कहा कि बांग्लादेश ने बैठक में सतत विकास पर अपनी राष्ट्रीय नीतियों पर प्रकाश डाला। 

वहीं, इस मामले में पश्चिम बंगाल सरकार की सिंचाई और जलमार्ग राज्यमंत्री सबीना यास्मीन से जब कोलकाता में संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि नहरें मुख्य रूप से आसपास के क्षेत्रों में कृषि की मदद के लिए खोदी गई थीं और यह एक पुरानी परियोजना का हिस्सा थीं। जब बांग्लादेश ने इस मुद्दे को उठाया था तब यास्मीन ने 16 मार्च को कहा था कि यह एक पुराना प्रोजेक्ट है जो भूमि अधिग्रहण संबंधी कुछ समस्याओं और केंद्र सरकार से मिलने वाले धन की कमी के कारण अटका हुआ था। हमने जमीन संबंधी समस्याओं का समाधान कर केंद्र को रिपोर्ट भेजी है।

यास्मीन ने बताया कि इन नहरों को स्थानीय कृषि में मदद के लिए खोदा जा रहा है। अगर हमें केंद्र से कोई शिकायत मिलती है, तो हम परियोजना के लिए वैज्ञानिक तर्क दिल्ली के साथ साझा करेंगे। लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि जल बंटवारा संधि दो देशों के बीच का मामला है, राज्य सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है। अन्य अधिकारियों ने बताया कि नदी की सूक्ष्म पनबिजली परियोजनाएं (Micro Hydel Projects ) शायद ही किसी नदी के प्रवाह को प्रभावित कर सकती हैं।

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