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Bangladesh: Hindu community angry with the petition filed for the rights of Hindu women! Know the matter
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Bangladesh: हिंदू महिलाओं के अधिकार के लिए दायर याचिका से हिंदू समुदाय नाराज! जानें क्या है मामला
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: श्वेता महतो
Updated Thu, 01 Jun 2023 05:14 PM IST
याचिका में दलील दी गई है कि हिंदू महिलाएं परंपरागत कानून से संचालित होती हैं। उन्हें ‘समाज पर एक बोझ’ समझा जाता है।
Bangladesh
- फोटो : Social Media
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बांग्लादेश में हिंदू महिलाओं के 'कानूनी अधिकारों की रक्षा और उनके लिए गरिमापूर्ण जीवन को सुरक्षित करने' के लिए बांग्लादेश के हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। लेकिन इससे हिंदू समुदाय का एक हिस्सा नाराज हो गया है। इस खेमे की तरफ से आशंका जताई गई है कि इस याचिका के जरिए हिंदू परिवारों को तोड़ने की कोशिश की जा रही है। इसके पीछे मकसद हिंदुओं को देश से खदेड़ना है।
हाईकोर्ट में याचिका तीन हिंदू व्यक्तियों और छह मानव अधिकार संगठनों ने दी है। मानव अधिकार संगठन आईन ओ सलिश केंद्र के अध्यक्ष जेडआई खान पन्ना ने ईसाई समुदाय की एक संस्था के बुलेटिन- यूनियन ऑफ कैथोलिक एशियन न्यूज (यूसीए न्यूज) से बातचीत में कहा- ‘हम ज्यादा कुछ नहीं मांग रहे हैं। हम सिर्फ बुनियादी मानव अधिकारों की मांग कर रहे हैँ।’ यह संस्था भी याचिकाकर्ताओं में शामिल है।
याचिका में दलील दी गई है कि हिंदू महिलाएं परंपरागत कानून से संचालित होती हैं। उन्हें ‘समाज पर एक बोझ’ समझा जाता है। जबकि पांच दशक पहले अस्तित्व में आए बांग्लादेश के राज्य ने धर्म, लिंग, नस्ल, जाति, जन्म स्थान का बिना ख्याल किए सबसे समान व्यवहार करने का वादा किया था। लेकिन हिंदू महिलाओं के बारे में इस वादे को पूरा नहीं किया गया है।
बांग्लादेश 1971 में अस्तित्व में आया था। एक दशक पहले हिंदू विवाह पंजीकरण अधिनियम- 2012 पारित किया गया था। आलोचकों का कहना है कि यह कानून दोषपूर्ण है, क्योंकि इसमें हिंदू विवाह के परंपरागत कर्मकांडों को स्वीकृति दी गई है। साथ ही इसमें हिंदुओं के लिए विवाह रजिस्ट्रेशन को वैकल्पिक बना दिया गया है। यानी यह विवाह का रजिस्ट्रेशन वे कराएं या नहीं, यह उन पर ही छोड़ दिया गया है।
याचिका में कहा गया है कि हिंदू महिलाओं को तलाक, गुजारा भत्ता और बच्चों को गोद लेने का अधिकार मिलना चाहिए। उन्हें बच्चों के अभिभावक के रूप में मान्यता मिलनी चाहिए और साथ ही पैतृक संपत्ति में उन्हें समान उत्तराधिकार मिलना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि हिंदू महिलाओं के जीवन के सभी पक्ष आधुनिक कानून से संचालित होने चाहिए।
पन्ना ने कहा है कि हिंदू बहुल पड़ोसी देश भारत सहित बाकी पूरी दुनिया में हिंदू महिलाओं का जीवन आधुनिक कानून से संचालित होता है। इसलिए यह जरूरी है कि बांग्लादेश में भी इस दिशा में कदम उठाए जाएं।
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लेकिन हिंदुओं की संस्था बांग्लादेश हिंदू ग्रैंड एलायंस ने कहा है कि वह इस याचिका कानूनी तौर पर पुरजोर विरोध करेगा। इसके अलावा इसके विरोध में सार्वजनिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। एलायंस के महासचिव गोविंद चंद्र प्रामाणिक ने याचिकाकर्ताओं की आलोचना करते हुए कहा है- ‘ये लोग शांति नहीं चाहते। वे हमारे परिवारों को तोड़ना चाहते हैं, ताकि हमें देश से खदेड़ा जा सके।’ उन्होंने कहा कि कुछ एनजीओज ने अपने बिजनेस स्वार्थों से प्रेरित होकर यह याचिका दायर की है।
बांग्लादेश हिंदू, बौद्ध, ईसाई एकता परिषद नाम के एक संगठन के महासचिव राना दासगुप्ता ने यूसीए न्यूज से कहा कि उनका संगठन स्थिति पर नजर रख रहा है। उन्होंने कहा- ‘मैं निजी रूप से महसूस करता हूं कि हिंदू महिलाएं अधिकारों से वंचित हैं और स्थिति बदलनी चाहिए।’
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