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Aung San Suu Kyi: if she is found guilty of all the charges could bring her a cumulative sentence of more than 100 years
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आंग सान सू की: म्यांमार की अपदस्थ नेता पर कई आरोप, दोषी साबित हुईं तो मिल सकती है 100 साल कैद की सजा
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, लंदन
Published by: मुकेश कुमार झा
Updated Wed, 08 Dec 2021 11:19 AM IST
सार
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Aung San Suu Kyi: म्यांमार की जननेता आंग सान सू की पर कई आरोप हैं। सू की अगर सभी आरोपों में दोषी पाई जाती हैं तो उन्हें 100 साल से अधिक की सजा मिल सकती है।
नोबेल विजेता और म्यांमार की अपदस्थ नेता आंग सान सू की को कोरोना नियमों के उल्लंघन करने के लिए दो साल की जेल की सजा सुनाई गई है। पहले चार साल की सजा सुनाई गई थी लेकिन बाद में इसे दो साल कम कर दिया गया। स्टेट टीवी के मुताबिक, सू की को मूल रूप से चार साल की सजा सुनाई गई थी, लेकिन देश के सैन्य प्रमुखों द्वारा उसे आधा कर दिया गया यानी दो साल की सजा को कम कर दिया गया। दरअसल, आंग सान सू की पर कई आरोप हैं। सू की अगर सभी आरोपों में दोषी पाई जाती हैं तो उन्हें 100 साल से अधिक की सजा मिल सकती है।
बता दें कि आंग सान सू पर भ्रष्टाचार, आधिकारिक गुप अधिनियम उल्लंघन, दूरसंचार कानून और कोरोना नियमों के उल्लंघन सहित कई आरोप लगे हैं। हालांकि, सू की ने सेना द्वारा लगाए गए आरोपों से इनकार किया है। संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और यूके सरकार सहित कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने कोर्ट के इस फैसले और जेल की सजा की निंदा की है। सभी ने मुकदमे को राजनीति से प्रेरित बताया। अदालत के इस फैसले के बाद म्यांमार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आंग सान सू की को दी गई सजा से यह पता चलता है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है और सेना प्रमुख ने केवल 'मानवता के आधार' पर उनकी सजा को कम कर दिया है।
बता दें कि बीते दिनों म्यांमार की अदालत ने नागरिक वहां की जननेता आंग सान सू की को सेना के खिलाफ असंतोष भड़काने और कोरोना नियमों का उल्लंघन करने के लिए चार साल जेल की सजा सुनाई थी जिसे बाद में दो साल कर दिया गया। जानकारी के मुताबिक, आंग सान सू की के खिलाफ मामलों को व्यापक रूप से उन्हें बदनाम करने और अगला चुनाव लड़ने से रोकने के लिए साजिश के रूप में देखा जा रहा है।
देश का संविधान किसी को भी जेल की सजा सुनाए जाने पर उच्च पद पर आसीन होने या सांसद-विधायक बनने से रोकता है। म्यामांर में गत नवंबर में हुए चुनाव में सू ची की पार्टी को एकतरफा जीत मिली थी, जबकि सेना से संबद्ध दल को कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। उस समय सेना ने मतदान में धांधली का आरोप लगाया था लेकिन स्वतंत्र चुनाव पर्यवेक्षकों को जांच में धांधली का पता नहीं चला।
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