अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट के जज ट्रंप प्रशासन के उस विवादित फैसले पर विचार करने को तैयार हो चुके हैं जिसके तहत बचपन में बिना वैध दस्तावेज अमेरिका आकर बसे प्रवासियों को निर्वासित करना सुनिश्चित किया जाना है। अमेरिका में ऐसे लोग अब वयस्क हो चुके हैं। इन्हें ड्रीमर्स कहा जाता है। ट्रंप एक आदेश के जरिए इन्हें अब तक मिल रही कानूनी मदद (डीएसीए) बंद करना चाहते हैं।
अमेरिका में ऐसे ड्रीमर्स की संख्या करीब सात लाख है जिनमें भारतीयों की संख्या सात हजार के आसपास है। अमेरिकी अदालत के उदार न्यायविदों ने डीएसीए कार्यक्रम को खत्म करने के प्रशासनिक औचित्य की जांच की और ऐसा करने पर संदेह जताया लेकिन ट्रंप द्वारा नियुक्त दो जजों ने कहा है कि वे इसके स्पष्टीकरण को पर्याप्त मानते हुए प्रशासन के तर्क का दूसरा अनुमान नहीं लगाएंगे।
न्यायपालिका इस पर सहमत हुई दिखाई दी कि जो युवा बचपन में हुई गलती के कारण कार्रवाई के शिकार हो रहे हैं वे सहानुभूति के पात्र हैं और उन पर उनके परिवारों, स्कूलों और नियोक्ताओं ने भरोसा किया था। न्यायमूर्ति गोर्सुच ने इसकी पुष्टि भी की। जबकि चीफ जस्टिस जॉन जी. रॉबर्ट्स ने संकेत दिए कि डीएसीए भले ही गैरकानूनी हो लेकिन सुप्रीम कोर्ट मानवीय ढंग से ही व्यवस्था दे सकता है।
ट्रंप ने बंद किया डीएसीए
ट्रंप ने घोषणा की थी कि लाखों ड्रीमर्स को वैधता प्रदान करने के लिए अब समझौता नहीं किया जाएगा। बचपन में अवैध ढंग से अमेरिका लाए गए हालों प्रवासियों को देश में अस्थायी संरक्षण के लिए बने कानून डेफर्ड एक्शन फॉर चाइल्डहुड अराइवल (डीएसीए) को जारी रखने के पक्षधर नहीं थे और इसीलिए उनके प्रशासन ने पूर्ववर्ती राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा शुरू यह कार्यक्रम बंद कर दिया।
बंद होंगी कई सुविधाएं
ड्रीमर्स नीति पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 2012 में शुरू की थी जिसमें गैरकानूनी ढंग से अमेरिका पहुंचे बच्चों को अस्थायी रूप से रहने, पढ़ने और काम करने का अधिकार दिया गया। यह नीति आप्रवासियों की कानूनी स्थिति में कोई बदलाव नहीं करती है लेकिन उन्हें निर्वासन से जरूर बचाती है। ड्रीमर्स को ड्राइविंग लाइसेंस, कॉलेज में दाखिला, वर्क परमिट की अनुमति मिल जाती है। यह अब खत्म हो जाएगी।
खास बातें
- अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने साल 2012 में शुरू किया था ड्रीमर्स कार्यक्रम
- इसमें अवैध ढंग से अमेरिका पहुंचे बच्चों को रहने, पढ़ने और काम का अधिकार दिया गया
- ट्रंप एक आदेश के जरिए इन्हें अब तक मिल रही कानूनी मदद (डीएसीए) बंद करना चाहते हैं
- अमेरिका में ऐसे ड्रीमर्स की संख्या करीब सात लाख, भारतीयों की संख्या करीब सात हजार
अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट के जज ट्रंप प्रशासन के उस विवादित फैसले पर विचार करने को तैयार हो चुके हैं जिसके तहत बचपन में बिना वैध दस्तावेज अमेरिका आकर बसे प्रवासियों को निर्वासित करना सुनिश्चित किया जाना है। अमेरिका में ऐसे लोग अब वयस्क हो चुके हैं। इन्हें ड्रीमर्स कहा जाता है। ट्रंप एक आदेश के जरिए इन्हें अब तक मिल रही कानूनी मदद (डीएसीए) बंद करना चाहते हैं।
अमेरिका में ऐसे ड्रीमर्स की संख्या करीब सात लाख है जिनमें भारतीयों की संख्या सात हजार के आसपास है। अमेरिकी अदालत के उदार न्यायविदों ने डीएसीए कार्यक्रम को खत्म करने के प्रशासनिक औचित्य की जांच की और ऐसा करने पर संदेह जताया लेकिन ट्रंप द्वारा नियुक्त दो जजों ने कहा है कि वे इसके स्पष्टीकरण को पर्याप्त मानते हुए प्रशासन के तर्क का दूसरा अनुमान नहीं लगाएंगे।
न्यायपालिका इस पर सहमत हुई दिखाई दी कि जो युवा बचपन में हुई गलती के कारण कार्रवाई के शिकार हो रहे हैं वे सहानुभूति के पात्र हैं और उन पर उनके परिवारों, स्कूलों और नियोक्ताओं ने भरोसा किया था। न्यायमूर्ति गोर्सुच ने इसकी पुष्टि भी की। जबकि चीफ जस्टिस जॉन जी. रॉबर्ट्स ने संकेत दिए कि डीएसीए भले ही गैरकानूनी हो लेकिन सुप्रीम कोर्ट मानवीय ढंग से ही व्यवस्था दे सकता है।
ट्रंप ने बंद किया डीएसीए
ट्रंप ने घोषणा की थी कि लाखों ड्रीमर्स को वैधता प्रदान करने के लिए अब समझौता नहीं किया जाएगा। बचपन में अवैध ढंग से अमेरिका लाए गए हालों प्रवासियों को देश में अस्थायी संरक्षण के लिए बने कानून डेफर्ड एक्शन फॉर चाइल्डहुड अराइवल (डीएसीए) को जारी रखने के पक्षधर नहीं थे और इसीलिए उनके प्रशासन ने पूर्ववर्ती राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा शुरू यह कार्यक्रम बंद कर दिया।
बंद होंगी कई सुविधाएं
ड्रीमर्स नीति पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 2012 में शुरू की थी जिसमें गैरकानूनी ढंग से अमेरिका पहुंचे बच्चों को अस्थायी रूप से रहने, पढ़ने और काम करने का अधिकार दिया गया। यह नीति आप्रवासियों की कानूनी स्थिति में कोई बदलाव नहीं करती है लेकिन उन्हें निर्वासन से जरूर बचाती है। ड्रीमर्स को ड्राइविंग लाइसेंस, कॉलेज में दाखिला, वर्क परमिट की अनुमति मिल जाती है। यह अब खत्म हो जाएगी।