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Afghanistan Rockets still heard in capital Kabul target not known
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काबुल में हमला: एयरपोर्ट के पास दागे गए छह रॉकेट, अमेरिकी सैनिकों की वापसी का आखिरी दिन आज
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, काबुल
Published by: प्रांजुल श्रीवास्तव
Updated Mon, 30 Aug 2021 06:41 PM IST
सार
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रॉकेट्स के कारण अलग-अलग जगहों पर धुएं का गुबार उठने लगे, कई जगह आग भी लग गई थी और कई वाहनों को नुकसान पहुंचा है। फिलहाल अमेरिका ने सभी रॉकेट को डिफ्यूज कर दिया है। बता दें कि अमेरिका 31 अगस्त तक अपने सैनिकों और लोगों को अफगान से निकालने का दावा कर चुका है। इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन आईएस ने ली है।
हवाई अड्डे के बाहर रॉकेट से हमला
- फोटो : सोशल मीडिया
अफगानिस्तान में काबुल हवाईअड्डे के एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह करने और अमेरिकी सैनिकों को निशाना बनाने के लिए सोमवार सुबह एक के बाद एक छह रॉकेट दागे गए। हालांकि अमेरिकी एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम ने हमलों को नाकाम कर दिया और रॉकेटों को हवा में ही मार गिराया। इन रॉकेट हमलों की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली है। इस बीच, अफगान सरजमीं से अमेरिकी सैनिकों की वापसी भी जारी रही।
अफगान मीडिया के मुताबिक, ये रॉकेट हमले खुर्शीद प्राइवेट यूनिवर्सिटी के पास से एक गाड़ी से दागे गए। प्रारंभिक जांच से पता चला है कि रॉकेट हमला काबुल के हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के एयर डिफेंस सिस्टम को बर्बाद करने और अमेरिकी सैनिकों को निशाना बनाने के लिए दागे गए। हालांकि अभी किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।
अमेरिकी सैनिकों की वापसी का आखिरी दिन आज
अमेरिका ने 20 साल बाद मंगलवार तक वहां से हटने की तैयारी में हवाईअड्डे की सुरक्षा के लिए अत्याधुनिक डिफेंस सिस्टम सी-रैम लगा रखा है। इस सिस्टम का इस्तेमाल वह इराक से लेकर सीरिया तक में कर रहा है। व्हाइट हाउस ने एक बयान में बताया कि राष्ट्रपति जो बाइडन को हमले की जानकारी दी गई और उन्होंने कमांडरों को अपने सुरक्षा बलों की सुरक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाने का आदेश दिया है। साथ ही उन्हें यह भी जानकारी दी कि हवाईअड्डे से अमेरिकी सैनिकों को निकालने की प्रक्रिया लगातार जारी है। अमेरिकी सैनिकों की वापसी के लिए 31 अगस्त समयसीमा तय की गई है।
एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि उन्होंने तीन धमाकों की आवाज सुनी और फिर आसमान में आग की तरह चमक उठती देखी। धमाकों के बाद लोग दहशत में हैं। आतंकियों ने यह हमला ऐसे वक्त पर किया है जब एक दिन पहले ही अमेरिका ने ड्रोन हमला करके आईएसआईएस-के के आतंकियों की कार को निशाना बनाया था। अमेरिका का कहना है कि कार में सवार आत्मघाती हमलावर हवाईअड्डे पर अमेरिकी सेना के सैन्य निकासी अभियान को निशाना बनाना चाहते थे। इससे पहले बृहस्पतिवार को इस्लामिक स्टेट-खुरासान प्रांत के आत्मघाती हमले में 13 अमेरिकी सैनिकों समेत 170 से ज्यादा लोगों की जान गई थी।
आईएस का दावा, छह रॉकेट दागे
इस्लामिक स्टेट के नशेर न्यूज ने अपने टेलीग्राम पर चैनल पर काबुल हवाईअड्डे पर रॉकेट हमले की जिम्मेदारी ली। उसने छह रॉकेट दागने का दावा किया। उसने कहा कि अल्लाह की मेहरबानी से खलीफा के सैनिकों ने काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे को कत्यूष रॉकेट से निशाना बनाया।
यह है सी-रैम सिस्टम
सी-रैम का पूरा नाम काउंटर रॉकेट, आर्टिलरी एंड मोर्टार है। इस सिस्टम को रॉकेट, तोप के गोले और मोर्टार राउंड की हवा में पहचान करने या उसे नष्ट करने के लिए तैनात किया जाता है। यह रडार और अत्याधुनिक कैमरे की मदद से अपने लक्ष्य की पहचान करता है। सी-रैम सिस्टम में 20 एमएम का अत्यधिक विस्फोट वाला गोला इस्तेमाल किया जाता है। यह गोला हवा में ही फटकर अपने लक्ष्य को नष्ट कर देता है। यह सिस्टम खुद ही खतरे को भांप लेता है और फिर हमला करके उसे नष्ट कर दिया जाता है। यह सिस्टम एक मिनट में 4500 राउंड फायर कर सकता है ताकि मिसाइल, रॉकेट या तोप के गोले को तबाह किया जा सके। एक सी-रैम सिस्टम एक से डेढ़ मिलियन डॉलर का आता है। इसकी एक मिसाइल की कीमत 30 से 60 हजार डॉलर है।
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ड्रोन हमले में नागरिकों की मौत मामले की अमेरिका कर रहा जांच
अल जजीरा ने रविवार को किए गए अमेरिकी ड्रोन हमले में बच्चों समेत कम से कम 12 लोगों के मारे जाने की बात कही है जबकि अफगानिस्तान के तोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, 10 लोगों की मौत हुई है। सीएनएन के मुताबिक, छह बच्चों समेत नौ नागरिकों की जान गई। वहीं अमेरिकी सेंट्रल कमान ने कहा है कि वह उसके हमले में आम लोगों के मारे जाने की रिपोर्ट की जांच कर रहा है। उसने कहा कि वाहन के तबाह होने पर शक्तिशाली धमाका हुआ था। इससे पता चलता है कि वाहन के अंदर बड़ी मात्रा में विस्फोटक था।
भारतीय-अमेरिकियों ने काबुल में अमेरिकी सैनिकों की मौत पर जताया शोक
भारतीय-अमेरिकियों ने पिछले सप्ताह काबुल में हुए आतंकवादी हमले में 13 अमेरिकी सैनिकों की मौत पर शोक प्रकट करते हुए अमेरिका के कई शहरों में सोमवार को कैंडल लाइट शांति कार्यक्रम का आयोजन किया गया और बाइडन प्रशासन से दोषियों को सजा देकर न्याय सुनिश्चित करने की मांग की।
यूएस कैपिटल के सामने लगभग 20 भारतीय-अमेरिकियों के एक समूह ने कैंडल लाइट कार्यक्रम आयोजन किया। इस दौरान सामुदायिक कार्यकर्ता अदापा प्रसाद ने बताया, हम काबुल में अपने सैनिकों की मौत पर शोक जताने के लिए यहां एकत्रित हुए हैं। यह जघन्य आतंकवादी कृत्य था। हम आतंकवाद से पीड़ित भारत से संबंध रखते हैं और अमेरिकी सरकार से आतंकवाद में शामिल सभी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की अपील करते हैं।
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