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बांग्लादेश में अभिव्यक्ति की आजादी पर पहरा बढ़ता जा रहा है। बुधवार से शुरू हो रहे देश के सबसे बड़े पुस्तक मेले से एक प्रमुख प्रकाशक को बाहर रखने की जैसी कोशिश की गई है, उसकी कई हलकों में कड़ी आलोचना हुई है। आदर्श प्रकाशनी नाम का यह प्रकाशक घराना असंतुष्ट लेखकों की किताबों को प्रकाशित करने के लिए बहुचर्चित है।
एकुशेय बुक फेयर नाम के महीने भर चलने वाले पुस्तक मेले का आयोजन सरकारी संस्था बांग्ला एकेडमी करती है। एकेडमी का दावा है कि उसका मकसद वह बांग्ला भाषा और साहित्य को प्रोत्साहित करना है। इस बार एकेडमी ने यह कहते हुए आदर्श प्रकाशनी को पुस्तक मेले में भाग लेने की इजाजत नहीं दी है कि उसकी कुछ किताबों में ऐसी बातें हैं, जो एकेडमी के नियमों और नीतियों के खिलाफ जाती हैं। एकेडमी के निदेशक जाहिदुल इस्लाम ने वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम को बताया कि एकेडमी के पास कुछ किताबों को आपत्ति दर्ज कराई गई थी। लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि आपत्ति किसने दर्ज कराई थी। इस्लाम ने कहा कि आदर्श प्रकाशनी की कुछ किताबों की जांच के बाद फैसला किया गया कि उसे पुस्तक मेले में स्टॉल लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
आदर्श प्रकाशनी ने 2020 के बाद से कम से कम तीन ऐसी किताबें प्रकाशित की हैं, जिनमें प्रधानमंत्री बेगम शेख हसीना वाजेद की कड़ी आलोचना की गई है। ये तीनों किताबें विदेशों में रहने वाले लेखकों ने लिखी है। उनमें से दो किताबों में इस धारणा को चुनौती दी गई है कि हसीना सरकार के तहत देश का उल्लेखनीय विकास हुआ है। उन किताबों में दावा किया गया है कि ऐसी धारणा फर्जी आंकड़ों के जरिए बनाई गई है। तीसरी किताब में शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग की बांग्ला पहचान और राष्ट्रवाद की धारणा की पड़ताल की गई है।
पर्यवेक्षकों के मुताबिक, यह कोई पहला मौका नहीं है, जब बांग्ला एकेडमी ने किताबों या किसी प्रकाशक पर रोक लगाई हो। लेकिन पहले वैसी किताबों को निशाना बनाया जाता था, जिनमें धर्म का अपमान किया गया हो या जिनमें उग्रवादी विचार पेश किए गए हों। लेकिन इस बार एक प्रकाशक को वर्तमान सरकार की आलोचना वाली पुस्तक के प्रकाशन के कारण पुस्तक मेले से बाहर रखा जा रहा है।
आदर्श प्रकाशनी के मालिक महबूब रहमान हैं। उन्होंने निक्कई एशिया से कहा- ‘जब मैंने देखा कि पुस्तक मेले के लिए प्रकाशकों की जारी सूची में हमारा नाम नहीं है, तो मुझे झटका लगा। बाद में बांग्ला एकेडमी के दो अधिकारियों ने मुझसे बातचीत में इस बात की पुष्टि कर दी कि एकेडमी की बैठक में बुक फेयर कमेटी ने उन तीन किताबों के कारण पुस्तक मेले से बाहर रखने का फैसला किया है।’
यह जानकारी मिलने के बाद रहमान ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर इस घटनाक्रम की जानकारी दी। जब इसको लेकर सरकार की कड़ी आलोचना होने लगी, तो एकेडमी ने एक बयान जारी किया। लेकिन उसमें सिर्फ एक किताब पर आपत्ति जताई गई। बयान में फहम अब्दुस्सलाम की किताब ‘इन सर्च ऑफ बंगाली मेडियोक्रेटी’ का जिक्र किया गया है। एकेमी ने कहा है कि उस पुस्तक में अश्लील, अरुचिकर और व्यंग्यात्मक भाषा का इस्तेमाल किया गया है, जो मुक्त अभिव्यक्ति की संवैधानिक परिभाषा के तहत संरक्षित नहीं है।