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33 years of Kashmiri Pandit genocide observed in UK Parliament
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Britain: कश्मीरी पंडितों के नरसंहार के 33 साल पूरे, ब्रिटेन संसद में उठी हितों की आवाज
एएनआई, लंदन
Published by: Jeet Kumar
Updated Fri, 27 Jan 2023 12:03 AM IST
सार
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नरसंहार को लेकर क्रॉस-पार्टी सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित एक अर्ली डे मोशन पेश किया गया। जिसका उद्देश्य नरसंहार से पीड़ित लोगों को न्याय दिलाना है।
ब्रिटेन की ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री ग्रुप के कश्मीरी पंडित प्रवासियों और सहयोगियों ने बुधवार को कश्मीरी पंडितों पर हुए नरसंहार के 33 साल पूरे होने पर घटनाक्रम को याद किया। इस कार्यक्रम का आयोजन बुधवार को लंदन के हाउस ऑफ पार्लियामेंट में किया गया। कार्यक्रम की मेजबानी ब्रिटिश हिन्दुओं के एपीपीजी समूह के सर्वदलीय संसदीय अध्यक्ष बॉब ब्लैकमैन ने की।
26 अक्तूबर को 11,000 से ज्यादा कश्मीरी पंडितों का हुआ था नरसंहार
नरसंहार को लेकर क्रॉस-पार्टी सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित एक अर्ली डे मोशन पेश किया गया। जिसका उद्देश्य नरसंहार से पीड़ित लोगों को न्याय दिलाना है बॉब ब्लैकमैन ने भारत और कश्मीरी हिंदू समुदाय के प्रति समर्थन को दोहराया। उन्होंने याद दिलाया कि बारामूला में 26 अक्तूबर को 11,000 से ज्यादा कश्मीरी पंडितों का नरसंहार हुआ था।
कश्मीरी पंडितों के नरसंहार को याद किया
यह कार्यक्रम लंदन के हाउस ऑफ पार्लियामेंट में हुआ और इसकी मेजबानी ब्रिटिश हिन्दुओं के एपीपीजी समूह के सर्वदलीय संसदीय अध्यक्ष बॉब ब्लैकमैन ने की। एक अर्ली डे मोशन (ईडीएम) भी कश्मीरी पंडितों के नरसंहार की याद में पेश किया गया था, जिस पर क्रॉस-पार्टी सांसदों द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे, यह याद दिलाते हुए कि अभी न्याय किया जाना बाकी है।
बॉब ब्लैकमैन ने भारत और कश्मीरी हिंदू समुदाय के लिए अपने समर्थन को दोहराया और याद दिलाया कि यह कश्मीर पर पाकिस्तान का आक्रमण था जिसके कारण तत्कालीन महाराजा भारत में शामिल हुए थे। 26 अक्तूबर को बारामूला में 11,000 लोग आक्रमणकारियों द्वारा मारे गए। महाराजा हरि सिंह ने स्थिति को शांत करने और आक्रमण को दबाने के लिए भारत से सशस्त्र हस्तक्षेप का अनुरोध किया था।
परिग्रहण के साधन पर हरि सिंह ने हस्ताक्षर किए और जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय हो गया। भारतीय सेना ने 27 अक्तूबर को अपने सैनिकों को कश्मीर में एयरलिफ्ट किया और दो सप्ताह के भीतर आक्रमणकारियों को रोक दिया। नेशनल कांफ्रेंस ने भी पश्तूनों को खदेड़ने में भारतीय सेना का समर्थन किया था।
कश्मीरी पंडितों के हितों की रक्षा होनी चाहिए
कार्यक्रम में बोलते हुए सांसद जोनाथन लॉर्ड वोकिंग ने कहा कि जिस तरह हमें प्रलय के बारे में कभी नहीं भूलना चाहिए, उसी तरह हमें इस नरसंहार को भी नहीं भूलना चाहिए। भारतीय उच्चायोग में प्रथम सचिव (राजनीतिक, प्रेस और सूचना), सर्वजीत सूदन ने कश्मीरी पंडितों की भावना को सलाम किया साथ ही उन्होंने पलायन के बाद अपनी यादों को याद किया। उन्होंने आगे कहा कि लोगों के बलिदान को याद किया जाना चाहिए और उनकी कहानियों को सुना जाना चाहिए। उनके हितों की रक्षा करनी चाहिए।
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