अमर उजाला
Sat, 14 November 2020
रोम के कोलोजियम का नाम दुनिया के सात अजूबों में शामिल है
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यह रोमन आर्किटेक्चर और इंजीनियरिंग का उत्कृष्ट नमूना माना जाता है
इसका निर्माण सम्राट वेस्पियन ने 70-72 ईसवीं में शुरू करवाया था, जिसे उनके बाद सम्राट टाइटस ने 80 ईसवीं में पूरा किया
इसका नाम सम्राट वेस्पियन और टाइटस के पारिवारिक नाम फ्लेवियस के कारण एम्फीथिएटर फ्लावियम रखा गया
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कोलोजियम में योद्धा अपनी युद्धकला का प्रदर्शन करते थे
युद्ध कौशल के अलावा यहां समय-समय पर जंगली जानवरों की प्रदर्शनी भी लगाई जाती थी
कोलोजियम में एक-साथ 50 हजार लोग बैठकर युद्ध का आनंद ले सकते थे
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भूकंप और पत्थर-लुटेरों के कारण कोलोजियम का काफी हिस्सा बर्बाद हो गया
मध्य युग तक कोलोजियम का उपयोग एक किले के रूप में किया जाता था
16वीं और 17वीं शताब्दी में इस स्थान को ईसाई धर्म का पवित्र स्थल माना जाने लगा
इसकी बाहरी दीवार के ऊपरी हिस्से पर रोमन देवता 'ईरोस' को समर्पित एक संग्रहालय भी बनाया गया है
1980 में इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया गया
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