अमर उजाला
Mon, 12 September 2022
उनके बचपन का नाम पोथीराम उपाध्याय था। उनके पिता दिघोरी के मालगुजार थे, वे अपने पांच भाइयों में सबसे छोटे थे
आध्यात्म के मार्ग पर चलने के लिए उन्होंने 9 साल की उम्र में घर त्याग कर धर्मिक यात्राएं शुरू कर दीं थी
उन्होंने करपात्री जी महाराज के सानिध्य में अपने जीवन की पहली धाम यात्रा की थी और काशी पहुंचे थे
अंग्रेजों से भारत को आजाद कराने के लिए उन्होंने 1942 के आंदोलन में भाग लिया और जेल गए
19 साल की उम्र में स्वामी जी क्रांतिकारी साधु के रूप में प्रसिद्ध हुए, वे करपात्री महाराज के राजनीतिक दल राम राज्य परिषद के अध्यक्ष भी रहे
स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती महाराज को 1981 में शंकराचार्य की उपाधि मिली थी
इस किले में इंदिरा गांधी ने भेजी थी सेना