अमर उजाला
Thu, 25 May 2023
इतना सच बोल कि होंटों का तबस्सुम न बुझे
रौशनी ख़त्म न कर आगे अंधेरा होगा
~निदा फ़ाज़ली
जब भी जी चाहे नई दुनिया बसा लेते हैं लोग
एक चेहरे पर कई चेहरे लगा लेते हैं लोग
~साहिर लुधियानवी
मैं क्या करूँ मिरे क़ातिल न चाहने पर भी
तिरे लिए मिरे दिल से दुआ निकलती है
~ अहमद फ़राज़
कभी चट्टान के सीने से कभी बाज़ू से
बहते पानी की तरह राह बनाते जाओ
~सदा अम्बालवी
दोस्तों से इस क़दर सदमे उठाए जान पर
दिल से दुश्मन की अदावत का गिला जाता रहा
~ हैदर अली आतिश
Dagh Dehalvi Shayari: मोहब्बतों के शायर दाग़ देहलवी के अशआर