शाम फिर से एक दफा अंधेरों में ढल जाएगी
ख़बर ना थी हमें कि वो ऐसे बदल जाएगी
किसी और के साथ बेशक़ आज वो खुश हो मगर
एक न एक दिन कमी उसे हमारी खल जाएगी
-अमन शुक्ला
-उन्नाव (उ०प्र०)
- हम उम्मीद करते हैं कि यह पाठक की स्वरचित रचना है। अपनी रचना भेजने के लिए यहां क्लिक करें।
कमेंट
कमेंट X