मैं सच्चा तू झूठा…
क्या तूने सिर्फ यही रटना रटाना सीखा है,
तू पूछता है मुझ में तुझ में फर्क क्या है…
तूने दूसरों के दुख पर सिर्फ हंसना और मैंने उन्हें बाटना सिखा है।
~स्वस्तिक त्रिपाठी
- हम उम्मीद करते हैं कि यह पाठक की स्वरचित रचना है। अपनी रचना भेजने के लिए यहां क्लिक करें।
कमेंट
कमेंट X