उत्तरकाशी। पहले गर्मियों की छुट्टियां और अब आपदा के चलते जिले के स्कूल बंद पड़े हैं। बरसात होने से अब प्रशासन ने छुट्टियां 14 जुलाई तक बढ़ा दी हैं। ऐसे में अभिभावकों को नौनिहालों के भविष्य की चिंता सताने लगी है।
पहले ही शिक्षा की बदहाली के चलते पहाड़ों से पलायन बढ़ रहा है। अब शिक्षा व्यवस्था पर भी आपदा की मार पड़ने से स्थिति चिंताजनक होती जा रही है। बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित लोग दूसरे शहरों के लिए पलायन को मजबूर हैं। 25 दिनों बाद भी व्यवस्थाएं पटरी पर नहीं लौटी। रास्ते अवरुद्ध पड़े हैं। रास्ते खुलें तो शिक्षक और विद्यार्थी स्कूलों तक पहुंचे और पठन-पाठन शुरू हो। इस सीमांत जनपद के कुल 1107 सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों पर 14 जुलाई तक ताले पड़े रहेंगे।
बच्चों को शिक्षित कर सुनहरे भविष्य के सपने बुन रहे अभिभावक इस स्थिति से खासे चिंतित हैं। अलग-थलग पड़े भटवाड़ी क्षेत्र के लोगों का कहना है कि यदि शिक्षक गांवों में ही रहें तो स्कूलों में पढ़ाई सुचारु ढंग से चल सकती है। साथ ही सरकार को पहाड़ों में बरसात के दौरान बरसने वाली आफत से सबक लेकर गर्मी और सर्दी के बजाय बरसात में छुट्टियों की नीति बनानी चाहिए ताकि नौनिहालों की शिक्षा प्रभावित न हो।
राहत राशि नहीं पढ़ाई पर ध्यान दो
उत्तरकाशी। सरकार ने जिले के आपदा प्रभावित 282 गांवों के स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों को 500-500 रुपये राहत राशि देने का निर्णय लिया है। इसके लिए बाकायदा सूची तैयार की जा रही है। अभिभावकों का कहना है कि राहत राशि के बजाय सरकार स्कूल शीघ्र खोलने पर ध्यान दे तो यह बच्चों के लिए ज्यादा फायदेमंद होगा।
कोट..........
आपदा के चलते शासन द्वारा 9 जुलाई तक अवकाश घोषित किया गया था। अभी हालात सामान्य न होने पर छुट्टी 14 जुलाई तक बढ़ाई गई है। इसके बाद राहत शिविर वाले स्कूलों को छोड़ शेष स्कूल खोल दिए जाएंगे। फिलहाल सभी शिक्षकों को अपने स्कूलों में जाने के निर्देश दिए गए हैं।
एसपी सेमवाल, अपर जिला शिक्षा अधिकारी उत्तरकाशी।
उत्तरकाशी। पहले गर्मियों की छुट्टियां और अब आपदा के चलते जिले के स्कूल बंद पड़े हैं। बरसात होने से अब प्रशासन ने छुट्टियां 14 जुलाई तक बढ़ा दी हैं। ऐसे में अभिभावकों को नौनिहालों के भविष्य की चिंता सताने लगी है।
पहले ही शिक्षा की बदहाली के चलते पहाड़ों से पलायन बढ़ रहा है। अब शिक्षा व्यवस्था पर भी आपदा की मार पड़ने से स्थिति चिंताजनक होती जा रही है। बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित लोग दूसरे शहरों के लिए पलायन को मजबूर हैं। 25 दिनों बाद भी व्यवस्थाएं पटरी पर नहीं लौटी। रास्ते अवरुद्ध पड़े हैं। रास्ते खुलें तो शिक्षक और विद्यार्थी स्कूलों तक पहुंचे और पठन-पाठन शुरू हो। इस सीमांत जनपद के कुल 1107 सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों पर 14 जुलाई तक ताले पड़े रहेंगे।
बच्चों को शिक्षित कर सुनहरे भविष्य के सपने बुन रहे अभिभावक इस स्थिति से खासे चिंतित हैं। अलग-थलग पड़े भटवाड़ी क्षेत्र के लोगों का कहना है कि यदि शिक्षक गांवों में ही रहें तो स्कूलों में पढ़ाई सुचारु ढंग से चल सकती है। साथ ही सरकार को पहाड़ों में बरसात के दौरान बरसने वाली आफत से सबक लेकर गर्मी और सर्दी के बजाय बरसात में छुट्टियों की नीति बनानी चाहिए ताकि नौनिहालों की शिक्षा प्रभावित न हो।
राहत राशि नहीं पढ़ाई पर ध्यान दो
उत्तरकाशी। सरकार ने जिले के आपदा प्रभावित 282 गांवों के स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों को 500-500 रुपये राहत राशि देने का निर्णय लिया है। इसके लिए बाकायदा सूची तैयार की जा रही है। अभिभावकों का कहना है कि राहत राशि के बजाय सरकार स्कूल शीघ्र खोलने पर ध्यान दे तो यह बच्चों के लिए ज्यादा फायदेमंद होगा।
कोट..........
आपदा के चलते शासन द्वारा 9 जुलाई तक अवकाश घोषित किया गया था। अभी हालात सामान्य न होने पर छुट्टी 14 जुलाई तक बढ़ाई गई है। इसके बाद राहत शिविर वाले स्कूलों को छोड़ शेष स्कूल खोल दिए जाएंगे। फिलहाल सभी शिक्षकों को अपने स्कूलों में जाने के निर्देश दिए गए हैं।
एसपी सेमवाल, अपर जिला शिक्षा अधिकारी उत्तरकाशी।