उत्तरकाशी। प्रशासन लाख दावे करे लेकिन हकीकत में उपला टकनौर के हर्षिल, बगोरी व छोलमी गांव राहत के नाम पर राशन का एक दाना नहीं पहुंचा। इन गांवों में कैद ग्रामीण अपना दुखड़ा सुना रहे हैं, लेकिन उनकी आवाज प्रशासन के कानों तक नहीं पहुंच रही। तीर्थयात्रियों को निकालने के बाद सरकार ने ग्रामीणों को उनके हाल पर छोड़ दिया है। जिला मुख्यालय के आसपास के स्कूल खुलने वाले हैं, लेकिन छुट्टियों में अपने गांव गए बच्चे वहीं फंसकर रह गए हैं।
मुखबा निवासी पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष खुशहाल सिंह नेगी ने हर्षिल से फोन पर बताया कि उपला टकनौर के शेष गांवों तक तो राशन पहुंच गया है। लेकिन हर्षिल, बगोरी, छोलमी तक राहत के नाम पर एक दाना राशन का नहीं पहुंचा है। आपदा के दौरान हर्षिल व बगोरी के ग्रामीणों ने अपनी सारी रसद फंसे हुए तीर्थयात्रियों के लिए लगाए गए नि:शुल्क लंगरों में लगा दी। अब उनके सामने भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई है। फंसे हुए तीर्थयात्रियों को निकालने के बाद सरकार इस क्षेत्र की कोई सुध नहीं ले रही है।
गर्मियों की छुट्टियों में गांवों में पहुंचे स्कूली बच्चे एवं परिजन वहीं फंसकर रह गए हैं। हर्षिल नेगी, दिव्या, सिमरन पंवार, साक्षी, अभिषेक, अभिनव आदि स्कूली बच्चों ने बताया कि जिला मुख्यालय क्षेत्र में उनके स्कूल खुलने वाले हैं। यहां से पैदल लौटने के रास्ते बेहद जोखिम भरे हैं। ये बच्चे पूछ रहे हैं कि क्या जब तक सड़क बंद रहेगी हम स्कूल नहीं जा पाएंगे?
उत्तरकाशी। प्रशासन लाख दावे करे लेकिन हकीकत में उपला टकनौर के हर्षिल, बगोरी व छोलमी गांव राहत के नाम पर राशन का एक दाना नहीं पहुंचा। इन गांवों में कैद ग्रामीण अपना दुखड़ा सुना रहे हैं, लेकिन उनकी आवाज प्रशासन के कानों तक नहीं पहुंच रही। तीर्थयात्रियों को निकालने के बाद सरकार ने ग्रामीणों को उनके हाल पर छोड़ दिया है। जिला मुख्यालय के आसपास के स्कूल खुलने वाले हैं, लेकिन छुट्टियों में अपने गांव गए बच्चे वहीं फंसकर रह गए हैं।
मुखबा निवासी पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष खुशहाल सिंह नेगी ने हर्षिल से फोन पर बताया कि उपला टकनौर के शेष गांवों तक तो राशन पहुंच गया है। लेकिन हर्षिल, बगोरी, छोलमी तक राहत के नाम पर एक दाना राशन का नहीं पहुंचा है। आपदा के दौरान हर्षिल व बगोरी के ग्रामीणों ने अपनी सारी रसद फंसे हुए तीर्थयात्रियों के लिए लगाए गए नि:शुल्क लंगरों में लगा दी। अब उनके सामने भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई है। फंसे हुए तीर्थयात्रियों को निकालने के बाद सरकार इस क्षेत्र की कोई सुध नहीं ले रही है।
गर्मियों की छुट्टियों में गांवों में पहुंचे स्कूली बच्चे एवं परिजन वहीं फंसकर रह गए हैं। हर्षिल नेगी, दिव्या, सिमरन पंवार, साक्षी, अभिषेक, अभिनव आदि स्कूली बच्चों ने बताया कि जिला मुख्यालय क्षेत्र में उनके स्कूल खुलने वाले हैं। यहां से पैदल लौटने के रास्ते बेहद जोखिम भरे हैं। ये बच्चे पूछ रहे हैं कि क्या जब तक सड़क बंद रहेगी हम स्कूल नहीं जा पाएंगे?