उत्तरकाशी। एक ओर भटवाड़ी में बंधक अधिकारी रिहा हुए, वहीं दूसरी ओर जोशियाड़ा में डूब क्षेत्र प्रभावितों ने पुनर्वास एवं मुआवजे की मांग पर जल विद्युत निगम के अधिकारियों को बंधक बनाया। एसडीएम की ओर से इस मामले में प्रशासन की मध्यस्थता का भरोसा दिलाए जाने पर ढाई घंटे बाद अधिकारियों को रिहा किया गया।
मनेरीभाली स्टेज टू परियोजना के बैराज जलाशय में जोशियाड़ा के 61 परिवार डूब क्षेत्र में आ रहे हैं। वर्ष 2007 से इनके पुनर्वास एवं मुआवजे का मामला अधर में लटका है। दो वर्षों से इस बस्ती पर भागीरथी में जलमग्न होने का खतरा मंडरा रहा है। जिससे प्रभावितों का सब्र जवाब देने लगा है। 16-17 जून की बाढ़ में भी इस बस्ती में पानी भरने से भारी नुकसान हुआ। इन दिनों में प्रभावित तीन बार जल विद्युत निगम के अधिकारियों का घेराव कर चुके हैं। छह जुलाई को निगम कार्यालय पर तालाबंदी किए जाने पर डीजीएम एससी बलूनी ने हर हाल में 8 जुलाई से मुआवजा भुगतान की कार्रवाई का लिखित आश्वासन दिया था।
इस पर कार्रवाई न होने से गुस्साए प्रभावितों ने मंगलवार की शाम चार बजे निगम कार्यालय में तालाबंदी कर यहां निगम के डायरेक्टर ऑपरेशन संदीप सिंघल, डीजीएम एसी.बलूनी सहित पूरे स्टाफ को बंधक बनाया। मामले की गंभीरता को देखते हुए एसडीएम भटवाड़ी केके सिंह ने मौके पर पहुंचकर प्रभावितों को प्रशासन की मध्यस्थता में समाधान का भरोसा दिलाया। शाम साढ़े छह बजे अफसरों को रिहा किया गया। इस दौरान ग्राम प्रधान विजेंद्री भट्ट, सुशीला पंवार, विकास कलूड़ा, विजेंद्र रांगड़, ऋषिराम सेमवाल आदि सभी प्रभावित शामिल थे।
निगम छह वर्षों से पुनर्वास एवं मुआवजे का मामला लटका रहा है। डूब क्षेत्र वाली बस्ती पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है तथा दो बार पूरी बस्ती में पानी घुस चुका है। अब भी यदि कार्रवाई नहीं हुई तो प्रभावित उग्र आंदोलन को विवश होंगे। - विकास कलूड़ा, सचिव संघर्ष समिति
प्रभावितों का स्टेंड बार-बार बदलने से पुनर्वास एवं मुआवजा भुगतान में दिक्कत आ रही है। पहले वर्ष 2010 की दरों के अनुसार मुआवजे पर सहमति बनी थी। अब वे 2013 के हिसाब से मुआवजा मांग रहे हैं। पहले अधिकांश प्रभावित भरान के बाद उसी जगह बसने को तैयार थे। अब वे अन्यत्र पुनर्वास चाह रहे हैं। इसकी वजह से दिक्कतें आ रही हैं। - एससी बलूनी, डीजीएम जल विद्युत निगम
उत्तरकाशी। एक ओर भटवाड़ी में बंधक अधिकारी रिहा हुए, वहीं दूसरी ओर जोशियाड़ा में डूब क्षेत्र प्रभावितों ने पुनर्वास एवं मुआवजे की मांग पर जल विद्युत निगम के अधिकारियों को बंधक बनाया। एसडीएम की ओर से इस मामले में प्रशासन की मध्यस्थता का भरोसा दिलाए जाने पर ढाई घंटे बाद अधिकारियों को रिहा किया गया।
मनेरीभाली स्टेज टू परियोजना के बैराज जलाशय में जोशियाड़ा के 61 परिवार डूब क्षेत्र में आ रहे हैं। वर्ष 2007 से इनके पुनर्वास एवं मुआवजे का मामला अधर में लटका है। दो वर्षों से इस बस्ती पर भागीरथी में जलमग्न होने का खतरा मंडरा रहा है। जिससे प्रभावितों का सब्र जवाब देने लगा है। 16-17 जून की बाढ़ में भी इस बस्ती में पानी भरने से भारी नुकसान हुआ। इन दिनों में प्रभावित तीन बार जल विद्युत निगम के अधिकारियों का घेराव कर चुके हैं। छह जुलाई को निगम कार्यालय पर तालाबंदी किए जाने पर डीजीएम एससी बलूनी ने हर हाल में 8 जुलाई से मुआवजा भुगतान की कार्रवाई का लिखित आश्वासन दिया था।
इस पर कार्रवाई न होने से गुस्साए प्रभावितों ने मंगलवार की शाम चार बजे निगम कार्यालय में तालाबंदी कर यहां निगम के डायरेक्टर ऑपरेशन संदीप सिंघल, डीजीएम एसी.बलूनी सहित पूरे स्टाफ को बंधक बनाया। मामले की गंभीरता को देखते हुए एसडीएम भटवाड़ी केके सिंह ने मौके पर पहुंचकर प्रभावितों को प्रशासन की मध्यस्थता में समाधान का भरोसा दिलाया। शाम साढ़े छह बजे अफसरों को रिहा किया गया। इस दौरान ग्राम प्रधान विजेंद्री भट्ट, सुशीला पंवार, विकास कलूड़ा, विजेंद्र रांगड़, ऋषिराम सेमवाल आदि सभी प्रभावित शामिल थे।
निगम छह वर्षों से पुनर्वास एवं मुआवजे का मामला लटका रहा है। डूब क्षेत्र वाली बस्ती पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है तथा दो बार पूरी बस्ती में पानी घुस चुका है। अब भी यदि कार्रवाई नहीं हुई तो प्रभावित उग्र आंदोलन को विवश होंगे। - विकास कलूड़ा, सचिव संघर्ष समिति
प्रभावितों का स्टेंड बार-बार बदलने से पुनर्वास एवं मुआवजा भुगतान में दिक्कत आ रही है। पहले वर्ष 2010 की दरों के अनुसार मुआवजे पर सहमति बनी थी। अब वे 2013 के हिसाब से मुआवजा मांग रहे हैं। पहले अधिकांश प्रभावित भरान के बाद उसी जगह बसने को तैयार थे। अब वे अन्यत्र पुनर्वास चाह रहे हैं। इसकी वजह से दिक्कतें आ रही हैं। - एससी बलूनी, डीजीएम जल विद्युत निगम