औद्योगिक नगरी सितारगंज की तर्ज पर अब खटीमा में भी उद्योग लगेंगे। इसके लिए सिडकुल ने कवायद शुरू कर दी है। सिडकुल के अधिकारियों ने खटीमा में 150 एकड़ राजस्व वन रक्षित जमीन का सर्वे किया और भूमि चयन की रिपोर्ट बनाकर शासन को भेजी है।
खटीमा कस्बा भारत-नेपाल सीमा के निकट है और उत्तर प्रदेश सीमा से भी सटा हुआ है। यहां से उत्तर प्रदेश राज्य के विभिन्न शहरों के लिए सड़क के साथ ही रेलमार्ग की भी सुविधा है। शासन की ओर से सितारगंज की तर्ज पर खटीमा को भी औद्योगिक नगरी बनाने के लिए प्रस्ताव मांगा गया था। सिडकुल के क्षेत्रीय प्रबंधक कमल किशोर कफल्टिया ने खटीमा एसडीएम विजयनाथ शुक्ला के साथ मेलाघाट मार्ग पर 150 एकड़ राजस्व और वन आरक्षित जमीन का सर्वे किया। आरएम कफल्टिया ने बताया कि खटीमा से करीब दो किलोमीटर दूर स्थित डेढ़ सौ एकड़ जमीन चयनित की गई है।
इस पर उद्योग लगाने का प्रस्ताव बनाकर सिडकुल मुख्यालय देहरादून को भेजा गया है। बताया कि सिडकुल की ओर से लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम वर्ग के उद्योगों को पहले जमीन मुहैया कराई जाएगी। खटीमा में उद्योग लगने से जहां कस्बे का विकास होगा, वहीं क्षेत्र के युवाओं को भी रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। इसके अलावा नेपाल में भी भारत के उत्पादों के निर्यात की संभावनाएं बढ़ेंगी।
पांच साल से उद्योगों की बाट जोह रहा सिडकुल फेज-टू
सितारगंज में औद्योगिक नगरी में करीब 2793 एकड़ में स्थापित एल्डिको सिडकुल एवं सिडकुल फेज टू में खाली पड़े प्लॉट उद्योगपतियों के आने की बाट जो रहे हैं। सरकार सितारगंज के सिडकुल फेज टू को विकसित करने में तो कोई रुचि दिखा नहीं रही और अब राज्य में सिडकुल की स्थापना के नाम नए-नए स्थानों पर जमीनों को बंजर बनाने का काम किया जा रहा है।
तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने यहां संपूर्णानंद शिविर (खुली जेल) की 1093 एकड़ भूमि पर वर्ष 2003 में एल्डिको सिडकुल की स्थापना की। नौ साल में एल्डिको सिडकुल में करीब 145 उद्योग पूरी तरह स्थापित भी हो गए और उत्पादन शुरू कर दिया। 2007 से 2012 तक भाजपा सत्ता में रही। इस बीच एल्डिको सिडकुल में ही उद्योगपतियों का आना लगा रहा। 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सत्ता संभाली और मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा सितारगंज से विधायक बने। बहुगुणा ने सीएम रहते जुलाई में सितारगंज को सिडकुल फेज-टू की सौगात दे दी और 25 अक्तूबर 2012 को संपूर्णानंद शिविर खुली जेल की 1700 एकड़ भूमि पर फेज-टू का शिलान्यास कर दिया। इसके बाद सिडकुल ने करीब 325 करोड़ रुपये से फेज-टू क्षेत्र में लगभग 22 किमी लंबी सड़कें, नाले, 12 एकड़ भूमि में ट्रांसपोर्ट हब, सीवर व पानी की लाइनों और तीन गेट का निर्माण किया।
वर्ष 2013 से फेज-टू में उद्योगपतियों का आना शुरू हो गया। 2013 से 2016 तक सिर्फ सात उद्योगों ने ही यहां 1700 एकड़ के फेज-टू में लगभग 422 एकड़ जमीन खरीदी है। शेष भूमि खाली पड़ी है, जिन पर अभी तक किसी भी उद्योगपति ने अपने उद्योग के लिए बुकिंग नहीं कराई है। सात उद्योगों में भी वर्ष 2015 में प्लॉट खरीदने वाली पारले एग्रो इंडस्ट्रीज ने ही अभी तक उद्योग लगाकर उत्पादन शुरू किया है। 2016 में आई योयो गो कंपनी अभी निर्माणाधीन है। सबसे पहले 2013 में जमीन खरीदने वाली गोल्डन इन्फ्राकॉन एवं डीएस ग्रुप ने तो अभी तक उद्योग निर्माण भी शुरू नहीं किया और अब शासन की ओर से खटीमा क्षेत्र में उद्योगों की स्थापना के लिए जमीन चिन्हित कराई गई है। अब देखने वाली बात यह होगी कि चिन्हित की गई 150 एकड़ जमीन पर उद्योग लगते हैं या वन विभाग की इस भूमि को भी बंजर बनाकर ही छोड़ दिया जाएगा।
औद्योगिक नगरी सितारगंज की तर्ज पर अब खटीमा में भी उद्योग लगेंगे। इसके लिए सिडकुल ने कवायद शुरू कर दी है। सिडकुल के अधिकारियों ने खटीमा में 150 एकड़ राजस्व वन रक्षित जमीन का सर्वे किया और भूमि चयन की रिपोर्ट बनाकर शासन को भेजी है।
खटीमा कस्बा भारत-नेपाल सीमा के निकट है और उत्तर प्रदेश सीमा से भी सटा हुआ है। यहां से उत्तर प्रदेश राज्य के विभिन्न शहरों के लिए सड़क के साथ ही रेलमार्ग की भी सुविधा है। शासन की ओर से सितारगंज की तर्ज पर खटीमा को भी औद्योगिक नगरी बनाने के लिए प्रस्ताव मांगा गया था। सिडकुल के क्षेत्रीय प्रबंधक कमल किशोर कफल्टिया ने खटीमा एसडीएम विजयनाथ शुक्ला के साथ मेलाघाट मार्ग पर 150 एकड़ राजस्व और वन आरक्षित जमीन का सर्वे किया। आरएम कफल्टिया ने बताया कि खटीमा से करीब दो किलोमीटर दूर स्थित डेढ़ सौ एकड़ जमीन चयनित की गई है।
इस पर उद्योग लगाने का प्रस्ताव बनाकर सिडकुल मुख्यालय देहरादून को भेजा गया है। बताया कि सिडकुल की ओर से लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम वर्ग के उद्योगों को पहले जमीन मुहैया कराई जाएगी। खटीमा में उद्योग लगने से जहां कस्बे का विकास होगा, वहीं क्षेत्र के युवाओं को भी रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। इसके अलावा नेपाल में भी भारत के उत्पादों के निर्यात की संभावनाएं बढ़ेंगी।
पांच साल से उद्योगों की बाट जोह रहा सिडकुल फेज-टू
सितारगंज में औद्योगिक नगरी में करीब 2793 एकड़ में स्थापित एल्डिको सिडकुल एवं सिडकुल फेज टू में खाली पड़े प्लॉट उद्योगपतियों के आने की बाट जो रहे हैं। सरकार सितारगंज के सिडकुल फेज टू को विकसित करने में तो कोई रुचि दिखा नहीं रही और अब राज्य में सिडकुल की स्थापना के नाम नए-नए स्थानों पर जमीनों को बंजर बनाने का काम किया जा रहा है।
तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने यहां संपूर्णानंद शिविर (खुली जेल) की 1093 एकड़ भूमि पर वर्ष 2003 में एल्डिको सिडकुल की स्थापना की। नौ साल में एल्डिको सिडकुल में करीब 145 उद्योग पूरी तरह स्थापित भी हो गए और उत्पादन शुरू कर दिया। 2007 से 2012 तक भाजपा सत्ता में रही। इस बीच एल्डिको सिडकुल में ही उद्योगपतियों का आना लगा रहा। 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सत्ता संभाली और मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा सितारगंज से विधायक बने। बहुगुणा ने सीएम रहते जुलाई में सितारगंज को सिडकुल फेज-टू की सौगात दे दी और 25 अक्तूबर 2012 को संपूर्णानंद शिविर खुली जेल की 1700 एकड़ भूमि पर फेज-टू का शिलान्यास कर दिया। इसके बाद सिडकुल ने करीब 325 करोड़ रुपये से फेज-टू क्षेत्र में लगभग 22 किमी लंबी सड़कें, नाले, 12 एकड़ भूमि में ट्रांसपोर्ट हब, सीवर व पानी की लाइनों और तीन गेट का निर्माण किया।
वर्ष 2013 से फेज-टू में उद्योगपतियों का आना शुरू हो गया। 2013 से 2016 तक सिर्फ सात उद्योगों ने ही यहां 1700 एकड़ के फेज-टू में लगभग 422 एकड़ जमीन खरीदी है। शेष भूमि खाली पड़ी है, जिन पर अभी तक किसी भी उद्योगपति ने अपने उद्योग के लिए बुकिंग नहीं कराई है। सात उद्योगों में भी वर्ष 2015 में प्लॉट खरीदने वाली पारले एग्रो इंडस्ट्रीज ने ही अभी तक उद्योग लगाकर उत्पादन शुरू किया है। 2016 में आई योयो गो कंपनी अभी निर्माणाधीन है। सबसे पहले 2013 में जमीन खरीदने वाली गोल्डन इन्फ्राकॉन एवं डीएस ग्रुप ने तो अभी तक उद्योग निर्माण भी शुरू नहीं किया और अब शासन की ओर से खटीमा क्षेत्र में उद्योगों की स्थापना के लिए जमीन चिन्हित कराई गई है। अब देखने वाली बात यह होगी कि चिन्हित की गई 150 एकड़ जमीन पर उद्योग लगते हैं या वन विभाग की इस भूमि को भी बंजर बनाकर ही छोड़ दिया जाएगा।