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काशीपुर। अपनी संस्कृृति और परंपरा को विकसित करने के लिए समय या उम्र किसी तरह की रुकावट पैदा नहीं कर सकती। इसकी मिसाल काशीपुर के 84 वर्षीय होलियार मदन मोहन पंत ने पेश की है। मदन मोहन पिछले 64 वर्षों से निरंतर बैठकी होली में गायन करते आ रहे हैं। इनसे प्रेरणा लेकर कई और लोग भी होली गायन से जुडे़े हैं।
काशीपुर खालसा मोहल्ले के रहने वाले मदन मोहन पंत का पैतृक गांव खूंट, अल्मोड़ा है। वह सिंचाई विभाग से सेवानिवृत्त हैं। करीब 20 वर्ष की उम्र से मदन मोहन ने होली गायन शुरू किया था। होली गायन के लिए वह रामनगर, खटीमा, रुद्रपुर आदि शहरों तक जाते थे। अपनी संस्कृति और कला से मदन मोहन को इतना लगाव है कि वह लंबे समय से रामलीला से भी जुड़े हैं। उन्होंने कई बार भगवान राम और माता कौशल्या का किरदार निभाया है। मदन बताते हैं कि उनके दौर की और आज की बैठकी होली में एक अंतर यह है कि तब बैठकी होली अधिक घरों में होती थी लेकिन आज सीमित परिवार इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। उम्र अधिक होने के कारण मदन मोहन करीब तीन माह से बीमार हैं लेकिन फिर भी वह काशीपुर की बैठकी होलियों में शिरकत कर पूरे जोश के साथ गायन कर रहे हैं। मदन के पुत्र मनोज पंत भी इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए होली गायन कर रहे हैं। वह भी रामलीला में भगवान राम, भरत और दशरथ का किरदार निभाते हैं। मदन मोहन का कहना है कि इस परंपरा को बढ़ाने के लिए युवाओं को आगे आना चाहिए।
काशीपुर। अपनी संस्कृृति और परंपरा को विकसित करने के लिए समय या उम्र किसी तरह की रुकावट पैदा नहीं कर सकती। इसकी मिसाल काशीपुर के 84 वर्षीय होलियार मदन मोहन पंत ने पेश की है। मदन मोहन पिछले 64 वर्षों से निरंतर बैठकी होली में गायन करते आ रहे हैं। इनसे प्रेरणा लेकर कई और लोग भी होली गायन से जुडे़े हैं।
काशीपुर खालसा मोहल्ले के रहने वाले मदन मोहन पंत का पैतृक गांव खूंट, अल्मोड़ा है। वह सिंचाई विभाग से सेवानिवृत्त हैं। करीब 20 वर्ष की उम्र से मदन मोहन ने होली गायन शुरू किया था। होली गायन के लिए वह रामनगर, खटीमा, रुद्रपुर आदि शहरों तक जाते थे। अपनी संस्कृति और कला से मदन मोहन को इतना लगाव है कि वह लंबे समय से रामलीला से भी जुड़े हैं। उन्होंने कई बार भगवान राम और माता कौशल्या का किरदार निभाया है। मदन बताते हैं कि उनके दौर की और आज की बैठकी होली में एक अंतर यह है कि तब बैठकी होली अधिक घरों में होती थी लेकिन आज सीमित परिवार इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। उम्र अधिक होने के कारण मदन मोहन करीब तीन माह से बीमार हैं लेकिन फिर भी वह काशीपुर की बैठकी होलियों में शिरकत कर पूरे जोश के साथ गायन कर रहे हैं। मदन के पुत्र मनोज पंत भी इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए होली गायन कर रहे हैं। वह भी रामलीला में भगवान राम, भरत और दशरथ का किरदार निभाते हैं। मदन मोहन का कहना है कि इस परंपरा को बढ़ाने के लिए युवाओं को आगे आना चाहिए।