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काशीपुर। परिवहन विभाग के अधिकारियों की अनदेखी के चलते एआरटीओ दफ्तर में लाखों की कीमत से लगाई गई सिम्युलेटर मशीन करीब एक साल से कार्यालय में धूल फांक रही है। चालकों के मैनुअल टेस्ट लेकर कार्यालय से ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए जा रहे हैं। विभागीय अधिकारी मशीन को ठीक कराने की जहमत भी उठाते हुए नहीं दिखाई दे रहे हैं।
एआरटीओ कार्यालय में जसपुर, काशीपुर और बाजपुर से रोजाना दर्जनों लोग डीएल के लिए आवेदन करते हैं। दो साल पहले एआरटीओ कार्यालय में लाखों की सिम्युलेटर मशीन लगाई गई थी। इसमें कार जैसी मशीन पर ड्राइविंग का वर्चुअल टेस्ट लिया जाता है। जानकारी के मुताबिक सिम्युलेटर मशीन कुछ महीने चलने के बाद देखरेख के अभाव में खराब हो गई। विभागीय अधिकारियों ने मशीन ठीक कराने का प्रयास नहीं किया। डीएल के आवेदकों को फिर से मैनुअल कार चलाकर दिखाने पर डीएल जारी किया जा रहा है। ऐसे में अनहोनी का डर बना रहता है, साथ ही डीएल जारी करने में फर्जीवाड़े की भी आशंका रहती है। विभागीय अधिकारी तकनीशियन नहीं आने की बात कहकर पल्ला झाड़ने में लगे हैं।
काशीपुर। परिवहन विभाग के अधिकारियों की अनदेखी के चलते एआरटीओ दफ्तर में लाखों की कीमत से लगाई गई सिम्युलेटर मशीन करीब एक साल से कार्यालय में धूल फांक रही है। चालकों के मैनुअल टेस्ट लेकर कार्यालय से ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए जा रहे हैं। विभागीय अधिकारी मशीन को ठीक कराने की जहमत भी उठाते हुए नहीं दिखाई दे रहे हैं।
एआरटीओ कार्यालय में जसपुर, काशीपुर और बाजपुर से रोजाना दर्जनों लोग डीएल के लिए आवेदन करते हैं। दो साल पहले एआरटीओ कार्यालय में लाखों की सिम्युलेटर मशीन लगाई गई थी। इसमें कार जैसी मशीन पर ड्राइविंग का वर्चुअल टेस्ट लिया जाता है। जानकारी के मुताबिक सिम्युलेटर मशीन कुछ महीने चलने के बाद देखरेख के अभाव में खराब हो गई। विभागीय अधिकारियों ने मशीन ठीक कराने का प्रयास नहीं किया। डीएल के आवेदकों को फिर से मैनुअल कार चलाकर दिखाने पर डीएल जारी किया जा रहा है। ऐसे में अनहोनी का डर बना रहता है, साथ ही डीएल जारी करने में फर्जीवाड़े की भी आशंका रहती है। विभागीय अधिकारी तकनीशियन नहीं आने की बात कहकर पल्ला झाड़ने में लगे हैं।