काशीपुर। काशीपुर चीनी मिल पर किसानों का 28 करोड़ रुपया बकाया है, जबकि किसानों का बकाया भुगतान कराने की सहकारी गन्ना समिति की जिम्मेदारी बनती है, जिस पर गन्ना विकास विभाग का नियंत्रण में होता है, इसका प्रशासक सहायक गन्ना आयुक्त है।
किसान गन्ना समिति द्वारा पर्चियों पर लगाए खरीद केंद्रों पर ही गन्ना देते हैं। चीनी मिल सीधे किसानों को भुगतान नहीं करती है। वह गन्ना समिति को भुगतान करती है और गन्ना सहकारी समिति को कमीशन भी देती है, ताकि वह किसानों का बकाया भुगतान करे। अब सवाल यह उठता है कि जब गन्ना विकास विभाग के प्रस्ताव पर सरकार प्रतिवर्ष सहकारी चीनी मिलों के बकाया करोड़ों का भुगतान कर रही है, तब मात्र 28 करोड़ का भुगतान क्यों नहीं हो रहा।
वहीं, प्रशासन ने किसानों के बकाया भुगतान के लिए चीनी मिल से वसूली को जारी आरसी पर मिल की कुर्की और नीलामी की कार्यवाही आरंभ कर दी है, परंतु मिल और साढ़े तीन एकड़ भूमि की नीलामी के बाद भी किसानों का बकाया वसूल होना असंभव है। इस पेराई सत्र में मिल नहीं चली, जिससे नियमित 80 कर्मचारियों को दो माह से वेतन नहीं मिला। लगभग छह सौ सीजनल कर्मचारी घर बैठे हैं।
किसान नहीं चाहते मिल बंद हो
काशीपुर। काशीपुर चीनी मिल के नहीं चलने से किसानों को गन्ना सप्लाई में कठिनाई हो रही है, अगर अगले साल भी चीनी मिल नहीं चली तो क्षेत्र के किसान उत्पादन कम कर देंगे। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सतनाम सिंह चीमा ने कहा किसान नहीं चाहते काशीपुर चीनी मिल बंद हो। किसानों ने बकाया भुगतान के साथ ही सरकार से रिसीवर बैठाकर मिल चालू करने की मांग की है। चीमा ने कहा महज किसानों के दबाव पर प्रशासन ने चीनी मिल से बकाया वसूली को आरसी जारी की। अब नीलामी की कार्रवाई पर टालमटोल कर रही है, अगर प्रशासन मिल को नीलाम कर बकाया वसूल नहीं कर सकता तो आरसी वापस लौटा दे। तब किसान गन्ना आयुक्त कार्यालय में तालाबंदी कर देंगे।