नई टिहरी। भारत-पाकिस्तान के वर्ष 1971 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना से लोहा लेते हुए टिहरी जिले के 11 वीर सैनिक भी शहीद हुए थे। जिन्हें मंगलवार को विजय दिवस के मौके पर श्रद्धांजलि अर्पित कर आश्रितों को सम्मानित किया जाएगा।
जिला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास विभाग मंगलवार सुबह 11 बजे शहीद स्मारक में शहीद सैनिकों को श्रद्धा सुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि दी जाएगी। स्कूलाें में प्रभात फेरी, गोष्ठियां और प्रतियोगिताओं के माध्यम से भारत-पाकिस्तान युद्ध की जानकारी दी जाएगी। जिला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास अधिकारी दीपक खंडूड़ी ने बताया कि शहीदों के परिजनों को कार्यक्रम में आमंत्रण भेज दिया गया है।
शहीद सैनिक
ले. बीएस राणा, गढ़ डांगचौरा
नायब सूबेदार वीर सिंह ग्राम पटूड़ी चंबा
राइफल मैन महिमानंद बटखेम चंबा।
रा.मैन ब्रिज लाल खाडकारी
रा.मैन नारायण सिंह, त्यूड़ी
सिपाही सोहन लाल, स्वाड़ी चंबा
सू.मेजर जेके सेमवाल, बणगांव चमियाला
ले.सूरत सिंह, कोटी कोडियाला
रा.मैन धन सिंह, कोड़ियाला
ले.बचन सिंह नेगी, थाती बूढ़केदार
पीसीआर हर सिंह, गुमाल गांव नरेंद्रनगर।
विजय दिवस पर विशेष
प्रथम विश्व युद्ध में 22 सैनिकों ने दी थी शहादत
कर्णप्रयाग। प्रथम विश्व युद्ध हो, आजादी की लड़ाई या देश की सीमाओं की रक्षा। सेना के पराक्रम में चमोली जिले का कोई सानी नहीं है। यहां के वीर सपूतों ने हर कदम पर अपने साहस और शौर्य का लोहा मनवाया है। प्रथम विश्व युद्ध में जहां देवाल ब्लाक के सवाड़ गांव के 22 सैनिकों ने अपनी शहादत दी थी। वहीं 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में चमोली के 50 जवान शहीद हुए थे। इन्हीं सैनिकों से प्रेरणा लेकर यहां के युवाओं में सेना का हिस्सा बनने का उत्साह आज भी देखने को मिल रहा है।
प्राण किए न्यौछावर पर नहीं करती सरकार याद
गोपेश्वर। 16 दिसंबर 1971 को भारत ने पाकिस्तान से युद्ध जीतकर बांग्लादेश को अलग राष्ट्र के रूप में स्थापित किया था। इस दिन को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस युद्ध में चमोली जिले के 51 रणबांकुरों ने अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया था। इनमें से नोला गांव के अनसूया प्रसाद को महावीर चक्र, करछूना गांव के देवेंद्र सिंह और कर्णप्रयाग के मकर सिंह को वीर चक्र प्राप्त हुआ था। मगर जिले में इन वीर सैनिकों की याद में न तो कोई कार्यक्रम किया जाता है और न ही कलक्ट्रेट परिसर में लगे शहीद स्मारक का स्मरण किया जाता है।
नई टिहरी। भारत-पाकिस्तान के वर्ष 1971 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना से लोहा लेते हुए टिहरी जिले के 11 वीर सैनिक भी शहीद हुए थे। जिन्हें मंगलवार को विजय दिवस के मौके पर श्रद्धांजलि अर्पित कर आश्रितों को सम्मानित किया जाएगा।
जिला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास विभाग मंगलवार सुबह 11 बजे शहीद स्मारक में शहीद सैनिकों को श्रद्धा सुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि दी जाएगी। स्कूलाें में प्रभात फेरी, गोष्ठियां और प्रतियोगिताओं के माध्यम से भारत-पाकिस्तान युद्ध की जानकारी दी जाएगी। जिला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास अधिकारी दीपक खंडूड़ी ने बताया कि शहीदों के परिजनों को कार्यक्रम में आमंत्रण भेज दिया गया है।
शहीद सैनिक
ले. बीएस राणा, गढ़ डांगचौरा
नायब सूबेदार वीर सिंह ग्राम पटूड़ी चंबा
राइफल मैन महिमानंद बटखेम चंबा।
रा.मैन ब्रिज लाल खाडकारी
रा.मैन नारायण सिंह, त्यूड़ी
सिपाही सोहन लाल, स्वाड़ी चंबा
सू.मेजर जेके सेमवाल, बणगांव चमियाला
ले.सूरत सिंह, कोटी कोडियाला
रा.मैन धन सिंह, कोड़ियाला
ले.बचन सिंह नेगी, थाती बूढ़केदार
पीसीआर हर सिंह, गुमाल गांव नरेंद्रनगर।
विजय दिवस पर विशेष
प्रथम विश्व युद्ध में 22 सैनिकों ने दी थी शहादत
कर्णप्रयाग। प्रथम विश्व युद्ध हो, आजादी की लड़ाई या देश की सीमाओं की रक्षा। सेना के पराक्रम में चमोली जिले का कोई सानी नहीं है। यहां के वीर सपूतों ने हर कदम पर अपने साहस और शौर्य का लोहा मनवाया है। प्रथम विश्व युद्ध में जहां देवाल ब्लाक के सवाड़ गांव के 22 सैनिकों ने अपनी शहादत दी थी। वहीं 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में चमोली के 50 जवान शहीद हुए थे। इन्हीं सैनिकों से प्रेरणा लेकर यहां के युवाओं में सेना का हिस्सा बनने का उत्साह आज भी देखने को मिल रहा है।
प्राण किए न्यौछावर पर नहीं करती सरकार याद
गोपेश्वर। 16 दिसंबर 1971 को भारत ने पाकिस्तान से युद्ध जीतकर बांग्लादेश को अलग राष्ट्र के रूप में स्थापित किया था। इस दिन को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस युद्ध में चमोली जिले के 51 रणबांकुरों ने अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया था। इनमें से नोला गांव के अनसूया प्रसाद को महावीर चक्र, करछूना गांव के देवेंद्र सिंह और कर्णप्रयाग के मकर सिंह को वीर चक्र प्राप्त हुआ था। मगर जिले में इन वीर सैनिकों की याद में न तो कोई कार्यक्रम किया जाता है और न ही कलक्ट्रेट परिसर में लगे शहीद स्मारक का स्मरण किया जाता है।