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चंबा (टिहरी)। जौनपुर क्षेत्र के 135 गांवों को विनोगा हिल ईको सेसेंटिव जोन में शामिल करने पर प्रभावितों ने विरोध शुरू कर दिया है। जौनपुर रवांल्टा संघर्ष समिति ने बकायदा बैठक कर कहा कि ईको सेंसेटिव जोन में गांवों को शामिल करने का फैसला वापस नहीं लेने पर आंदोलन किया जाएगा।
मंगलवार को धनोल्टी में हुई बैठक में वक्ताओं ने कहा कि वन विभाग ने जौनपुर क्षेत्र से लगे कई गांवों को ईको सेंसेटिव जोन घोषित किया है। वन विभाग ने विनोगा हिल्स से 10 किमी हवाई रेंज को मानक मानते हुए ईको सेंसेटिव जोन का निर्धारिण किया है। इसमें जौनपुर क्षेत्र के अधिकांश गांव आ रहे है। समिति के संरक्षक सिया सिंह चौहान ने कहा कि गांवों को सेंसेटिव जोन में शामिल करने से ग्रामीणों के हक-हकूकों में डाका डालने की कोशिश की गई है। जिसे बरदाश्त नहीं किया जाएगा। इस नियम के लागू होने से लोगों को कई समस्याओं से जूझना पड़ेगा। कांग्रेस नेता मनमोहन सिंह मल्ल ने कहा कि पशुओं के लिए घास और चारा-पत्ती जैसे हक-हकूकों पर अंकुश लगाना उचित नहीं है। ईको सेंसेटिव जोन में शामिल हकरने से पर्यटन क्षेत्रों पर बुरा असर पड़ेगा। जिससे लोगों का रोजगार भी प्रभावित होगा। कहा कि इस पर पुनर्विचार न किया गया तो ग्रामीण सडकों पर उतरने को मजबूर होंगे। बैठक में राजेंद्र पंवार, प्रदीप कवि, मेघ सिंह कंडारी, जगत पंवार, आनंद सिंह रावत और राधेश्याम भी उपस्थित थे।
चंबा (टिहरी)। जौनपुर क्षेत्र के 135 गांवों को विनोगा हिल ईको सेसेंटिव जोन में शामिल करने पर प्रभावितों ने विरोध शुरू कर दिया है। जौनपुर रवांल्टा संघर्ष समिति ने बकायदा बैठक कर कहा कि ईको सेंसेटिव जोन में गांवों को शामिल करने का फैसला वापस नहीं लेने पर आंदोलन किया जाएगा।
मंगलवार को धनोल्टी में हुई बैठक में वक्ताओं ने कहा कि वन विभाग ने जौनपुर क्षेत्र से लगे कई गांवों को ईको सेंसेटिव जोन घोषित किया है। वन विभाग ने विनोगा हिल्स से 10 किमी हवाई रेंज को मानक मानते हुए ईको सेंसेटिव जोन का निर्धारिण किया है। इसमें जौनपुर क्षेत्र के अधिकांश गांव आ रहे है। समिति के संरक्षक सिया सिंह चौहान ने कहा कि गांवों को सेंसेटिव जोन में शामिल करने से ग्रामीणों के हक-हकूकों में डाका डालने की कोशिश की गई है। जिसे बरदाश्त नहीं किया जाएगा। इस नियम के लागू होने से लोगों को कई समस्याओं से जूझना पड़ेगा। कांग्रेस नेता मनमोहन सिंह मल्ल ने कहा कि पशुओं के लिए घास और चारा-पत्ती जैसे हक-हकूकों पर अंकुश लगाना उचित नहीं है। ईको सेंसेटिव जोन में शामिल हकरने से पर्यटन क्षेत्रों पर बुरा असर पड़ेगा। जिससे लोगों का रोजगार भी प्रभावित होगा। कहा कि इस पर पुनर्विचार न किया गया तो ग्रामीण सडकों पर उतरने को मजबूर होंगे। बैठक में राजेंद्र पंवार, प्रदीप कवि, मेघ सिंह कंडारी, जगत पंवार, आनंद सिंह रावत और राधेश्याम भी उपस्थित थे।