न्यूज डेस्क, अमर उजाला, रुद्रप्रयाग
Updated Mon, 02 Nov 2020 11:19 PM IST
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तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट चार नवंबर को विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। इसी दिन आराध्य की चल विग्रह उत्सव डोली शीतकालीन गद्दीस्थल मार्केण्डेय मंदिर मक्कूमठ के लिए प्रस्थान करते हुए पहले पड़ाव चोपता में रात्रि प्रवास करेगी। धाम में कपाट बंद करने की सभी तैयारियां की जा रही हैं।
इस वर्ष कोरोना काल में 20 मई को तृतीय केदार के कपाट खोले गए थे। बीते 12 जून से जिला स्तर यात्रा संचालन होने के बाद यहां नियमित रूप से श्रद्धालु पहुंचने लगे थे। चार हजार से अधिक यात्री इस वर्ष अभी तक तृतीय केदार के दर्शन कर चुके हैं।
शीतकाल के लिए धाम के कपाट बंद होने की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। मंदिर के प्रबंधक प्रकाश पुरोहित ने बताया कि विधि-विधान के साथ चार नवंबर को कपाट पूर्वान्ह 11.30 बजे बंद कर दिए जाएंगे।
मंदिर की परिक्रमा के बाद आराध्य तृतीय केदार की चल विग्रह उत्सव डोली शीतकालीन गद्दीस्थल मार्केण्डेय मंदिर मक्कूमठ के लिए प्रस्थान करते हुए रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंचेगी। पांच नवंबर को डोली भुनकन व छह को मार्केण्डेय मंदिर में छह माह की शीतकालीन पूजा-अर्चना के लिए डोली विराजमान हो जाएगी।
तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट चार नवंबर को विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। इसी दिन आराध्य की चल विग्रह उत्सव डोली शीतकालीन गद्दीस्थल मार्केण्डेय मंदिर मक्कूमठ के लिए प्रस्थान करते हुए पहले पड़ाव चोपता में रात्रि प्रवास करेगी। धाम में कपाट बंद करने की सभी तैयारियां की जा रही हैं।
इस वर्ष कोरोना काल में 20 मई को तृतीय केदार के कपाट खोले गए थे। बीते 12 जून से जिला स्तर यात्रा संचालन होने के बाद यहां नियमित रूप से श्रद्धालु पहुंचने लगे थे। चार हजार से अधिक यात्री इस वर्ष अभी तक तृतीय केदार के दर्शन कर चुके हैं।
शीतकाल के लिए धाम के कपाट बंद होने की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। मंदिर के प्रबंधक प्रकाश पुरोहित ने बताया कि विधि-विधान के साथ चार नवंबर को कपाट पूर्वान्ह 11.30 बजे बंद कर दिए जाएंगे।
मंदिर की परिक्रमा के बाद आराध्य तृतीय केदार की चल विग्रह उत्सव डोली शीतकालीन गद्दीस्थल मार्केण्डेय मंदिर मक्कूमठ के लिए प्रस्थान करते हुए रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंचेगी। पांच नवंबर को डोली भुनकन व छह को मार्केण्डेय मंदिर में छह माह की शीतकालीन पूजा-अर्चना के लिए डोली विराजमान हो जाएगी।