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कार्तिक स्वामी जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए अब रात्रि प्रवास में आसानी होगी। दरअसल, चमोली और रुद्रप्रयाग की सीमा पर स्थित कनकचौरी में पांच वर्ष से लटका गढ़वाल मंडल विकास निगम का दो मंजिला विश्राम गृह का निर्माण अब जल्द पूरा हो जाएगा। शासन ने निर्माण के कार्य के लिए 98 लाख रुपये जारी हो चुके हैं। निगम द्वारा एक सप्ताह पूर्व कार्य भी शुरू कर दिया गया है।
वन भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद जीएमवीएन द्वारा कार्य शुरू कर दिया है। लगभग छह माह में कार्य पूरा होने की उम्मीद है। प्री-फ्रेबिकेटेड दो मंजिला भवन में यात्रियों के प्रवास समेत मीटिंग हॉल का निर्माण होगा। इस भवन के बनने से यहां पहुंचने वाले पर्यटकों के साथ ही कार्तिक स्वामी जाने वाले श्रद्धालुओं को भी रात्रि प्रवास में आसानी होगी। वर्ष 2015 में उत्तराखंड शासन द्वारा कनकचौरी में गढ़वाल मंडल विकास के लिए प्री-फेब्रिकेटेड दो मंजिला भवन स्वीकृत किया गया था। इसके निर्माण के लिए 198 लाख रुपये जारी किए थे। निगम द्वारा 68 लाख रुपये खर्च कर भवन का ढांचा ख़ड़ा कर दिया गया था, लेकिन वन भूमि हस्तांतरण नहीं होने से वन विभाग ने कार्य पर रोक लगा दी थी। इसके बाद लगभग साढ़े तीन वर्ष तक काम अधर में लटका रहा। अब राज्य सरकार द्वारा भी विश्राम गृह को पूरा करने के लिए 98 लाख रुपये जारी किए गए हैं।
कार्तिक स्वामी जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए अब रात्रि प्रवास में आसानी होगी। दरअसल, चमोली और रुद्रप्रयाग की सीमा पर स्थित कनकचौरी में पांच वर्ष से लटका गढ़वाल मंडल विकास निगम का दो मंजिला विश्राम गृह का निर्माण अब जल्द पूरा हो जाएगा। शासन ने निर्माण के कार्य के लिए 98 लाख रुपये जारी हो चुके हैं। निगम द्वारा एक सप्ताह पूर्व कार्य भी शुरू कर दिया गया है।
वन भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद जीएमवीएन द्वारा कार्य शुरू कर दिया है। लगभग छह माह में कार्य पूरा होने की उम्मीद है। प्री-फ्रेबिकेटेड दो मंजिला भवन में यात्रियों के प्रवास समेत मीटिंग हॉल का निर्माण होगा। इस भवन के बनने से यहां पहुंचने वाले पर्यटकों के साथ ही कार्तिक स्वामी जाने वाले श्रद्धालुओं को भी रात्रि प्रवास में आसानी होगी। वर्ष 2015 में उत्तराखंड शासन द्वारा कनकचौरी में गढ़वाल मंडल विकास के लिए प्री-फेब्रिकेटेड दो मंजिला भवन स्वीकृत किया गया था। इसके निर्माण के लिए 198 लाख रुपये जारी किए थे। निगम द्वारा 68 लाख रुपये खर्च कर भवन का ढांचा ख़ड़ा कर दिया गया था, लेकिन वन भूमि हस्तांतरण नहीं होने से वन विभाग ने कार्य पर रोक लगा दी थी। इसके बाद लगभग साढ़े तीन वर्ष तक काम अधर में लटका रहा। अब राज्य सरकार द्वारा भी विश्राम गृह को पूरा करने के लिए 98 लाख रुपये जारी किए गए हैं।