रुद्रपुर। हैदराबाद की घटना के विरोध में बुधवार को अमर उजाला अपराजिता 100 मिलियन स्माइल्स के बैनर तले रुद्रपुर के कोलंबस पब्लिक स्कूल की छात्राओं ने जागरूकता रैली निकाली। छात्राओं ने एक स्वर में कहा कि कब तक निर्भया? उन्होंने दुष्कर्मियों के लिए खाड़ी देशों की तर्ज पर सख्त से सख्त सजा की मांग की।
स्कूल की शिक्षिकाओं और 84 छात्राओं ने हैदराबाद में हुई घटना पर गहरा दु:ख व्यक्त करते हुए आरोपियों के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया। उन्होंने आरोपियों को विदेशों की भांति कठोर कठोर सजा देने की मांग उठाई। साथ ही भारत में कानूनों के लचीलेपन पर भी सवाल उठाए। छात्राओं ने बेटी है तो कल है, बेटी को अधिकार दो बेटे जैसा प्यार दो, जैसे करते हो खुद की रक्षा ऐसी ही करो बेटी की सुरक्षा, बेटी नहीं है किसी से कम मिटा दो अपने सारे भ्रम आदि स्लोगनों के साथ नारे लगाते हुए मॉडल कालोनी में जागरूकता रैली निकाली। छात्राओं ने कहा कि समाज से जब तक बेटी और बेटे में भेदभाव खत्म नहीं होगा इस तरह की घटनाएं बढ़ती रहेंगी।
हैवानियत के आरोपियों को विदेशों की भांति सख्त सजा मिलनी चाहिए। ताकि ऐसा कृत्य करने से पहले सोचकर कर ही लोगों की रूह कांप उठे।
डॉ. कामेश मित्तल, उप प्रधानाचार्य
महिलाओं को अपनी रक्षा के लिए मार्शल आर्ट जैसी कलाओं का प्रशिक्षण लेना चाहिए। ताकि वह आरोपियों की मौके पर ही पिटाई कर कड़ा सबक सिखा सकें।
जसवंत कौर, शिक्षिका
हैदराबाद के आरोपियों को जनाक्रोश के बावजूद अभी तक सख्त सजा नहीं मिल सकी है। एक तरह से वह सुरक्षित हैं। इसके लिए हमारे देश का लचीला कानून जिम्मेदार है।
सीमा बिष्ट, शिक्षिका
समाज में आज भी बेटियों के लिए नियम-कायदे अधिक हैं। जबकि लड़के खुलेआम बेतहाशा आजाद घूमते हैं। लड़कों पर रोकटोक न होने से ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं।
रिदिमा कपूर
हैदराबाद में महिला चिकित्सक के साथ जानवरों से भी बुरा व्यवहार किया गया। आरोपियों को चौराहे पर खुलेआम गोली मार देनी चाहिए। इससे अन्य को भी सबक मिलेगा।
दीपांशी नयाल
जब भी निर्भया कांड जैसी घटनाएं होती हैं, कुछ दिन आक्रोश के बाद लोग शांत हो जाते हैं। इसलिए दुष्कर्म के आरोपियों के लिए सख्त कानून होने चाहिए, ताकि वह बच न सकें।
मान्या आनंद
इस तरह के कृत्यों के लिए अशिक्षा व रूढ़ीवादिता भी प्रमुख कारण हैं। समाज को बेटियों के प्रति सोच बदलने की जरूरत है। बेटियां बेटों से कम नहीं हैं।
तन्वी राठी
देश में सरकारें बदलती हैं, लेकिन कानून नहीं बदलते। पुराने व लचीले कानूनों का फायदा हमेशा आरोपियों को मिलता है। दुष्कर्म के आरोपियों को तुरंत सजा दिलाने के लिए नया कानून बनना चाहिए।
अश्विंदर कौर
रुद्रपुर। हैदराबाद की घटना के विरोध में बुधवार को अमर उजाला अपराजिता 100 मिलियन स्माइल्स के बैनर तले रुद्रपुर के कोलंबस पब्लिक स्कूल की छात्राओं ने जागरूकता रैली निकाली। छात्राओं ने एक स्वर में कहा कि कब तक निर्भया? उन्होंने दुष्कर्मियों के लिए खाड़ी देशों की तर्ज पर सख्त से सख्त सजा की मांग की।
स्कूल की शिक्षिकाओं और 84 छात्राओं ने हैदराबाद में हुई घटना पर गहरा दु:ख व्यक्त करते हुए आरोपियों के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया। उन्होंने आरोपियों को विदेशों की भांति कठोर कठोर सजा देने की मांग उठाई। साथ ही भारत में कानूनों के लचीलेपन पर भी सवाल उठाए। छात्राओं ने बेटी है तो कल है, बेटी को अधिकार दो बेटे जैसा प्यार दो, जैसे करते हो खुद की रक्षा ऐसी ही करो बेटी की सुरक्षा, बेटी नहीं है किसी से कम मिटा दो अपने सारे भ्रम आदि स्लोगनों के साथ नारे लगाते हुए मॉडल कालोनी में जागरूकता रैली निकाली। छात्राओं ने कहा कि समाज से जब तक बेटी और बेटे में भेदभाव खत्म नहीं होगा इस तरह की घटनाएं बढ़ती रहेंगी।
हैवानियत के आरोपियों को विदेशों की भांति सख्त सजा मिलनी चाहिए। ताकि ऐसा कृत्य करने से पहले सोचकर कर ही लोगों की रूह कांप उठे।
डॉ. कामेश मित्तल, उप प्रधानाचार्य
महिलाओं को अपनी रक्षा के लिए मार्शल आर्ट जैसी कलाओं का प्रशिक्षण लेना चाहिए। ताकि वह आरोपियों की मौके पर ही पिटाई कर कड़ा सबक सिखा सकें।
जसवंत कौर, शिक्षिका
हैदराबाद के आरोपियों को जनाक्रोश के बावजूद अभी तक सख्त सजा नहीं मिल सकी है। एक तरह से वह सुरक्षित हैं। इसके लिए हमारे देश का लचीला कानून जिम्मेदार है।
सीमा बिष्ट, शिक्षिका
समाज में आज भी बेटियों के लिए नियम-कायदे अधिक हैं। जबकि लड़के खुलेआम बेतहाशा आजाद घूमते हैं। लड़कों पर रोकटोक न होने से ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं।
रिदिमा कपूर
हैदराबाद में महिला चिकित्सक के साथ जानवरों से भी बुरा व्यवहार किया गया। आरोपियों को चौराहे पर खुलेआम गोली मार देनी चाहिए। इससे अन्य को भी सबक मिलेगा।
दीपांशी नयाल
जब भी निर्भया कांड जैसी घटनाएं होती हैं, कुछ दिन आक्रोश के बाद लोग शांत हो जाते हैं। इसलिए दुष्कर्म के आरोपियों के लिए सख्त कानून होने चाहिए, ताकि वह बच न सकें।
मान्या आनंद
इस तरह के कृत्यों के लिए अशिक्षा व रूढ़ीवादिता भी प्रमुख कारण हैं। समाज को बेटियों के प्रति सोच बदलने की जरूरत है। बेटियां बेटों से कम नहीं हैं।
तन्वी राठी
देश में सरकारें बदलती हैं, लेकिन कानून नहीं बदलते। पुराने व लचीले कानूनों का फायदा हमेशा आरोपियों को मिलता है। दुष्कर्म के आरोपियों को तुरंत सजा दिलाने के लिए नया कानून बनना चाहिए।
अश्विंदर कौर