आवास विकास स्थित सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज में शनिवार को पावन चिंतन धारा आश्रम और स्वदेशी जागरण मंच के संयुक्त तत्वाधान में कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान उत्तराखंड के 22 वर्ष पर भविष्य एवं चुनौतियां विषय पर वक्ताओं ने विचार व्यक्त किए।
डाॅ. पवन सिन्हा ने कहा कि उत्तराखंड में चुम्बकीय शक्ति है, यह ऊर्जा का केंद्र है। यहां की प्राणवायु में लोग चिंतन करने आते हैं, क्योंकि मानसिक योग की शक्ति यहीं है। प्राचीन कालीन गुफाएं यहां हैं। आज लोगों को जानकारी नहीं है कि त्रिवेणी का महत्व क्या है, हमारी संस्कृति का महत्व क्या है। अंग्रेजों ने यहां की संस्कृति को, यहां की जड़ी बूटियों को और यहां के प्राकृतिक स्थलों को नष्ट करने का प्रयत्न किया। आज सबसे ज्यादा खतरा है कि हम लोग पलायन करके अपने घर, स्थान को छोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज आवश्यकता हम सबको अपने पुराने घरों में फिर विस्थापित होने की है।
महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने कहा कि संस्कृति और संस्कारों को बचाने की आवश्यकता है, जिसके कारण हमारी भूमि को देवभूमि कहा जाता है। यह चिंता का विषय है कि हम अपने घरों को छोड़ कर शहरों की ओर बढ़ रहे हैं। अपनी खेती अपनी जमीन छोड़कर हम पुरानी संस्कृति को भूल गए है। हमें अपनी नई पीढ़ी को संस्कारों की शिक्षा देने की विशेष आवश्यकता है। हमें अपनी देव शक्तियों की जगहों को पर्यटन से जोड़ने के साथ वहां पर गलत गतिविधियां न हो इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है।
प्रांत संयोजक सुरेंद्र सिंह ने कहा कि उत्तराखंड संत और तपस्वियों की भूमि है। इसको अलग बनाने के तीन प्रमुख उद्देश्य रहे है। प्रथम तो चीन से लगती उत्तराखंड की सीमा, दूसरा पलायन पर रोक और तीसरा इसका 80 प्रतिशत भाग पर्वतीय है। इन्ही तीन कारणों पर सरकार कार्य कर रही है। इससे पूर्व राष्ट्रवादी संत डाॅ. पवन सिन्हा, उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल, स्वदेशी जागरण मंच के प्रांत संयोजक सुरेंद्र सिंह और आईएएस अधिकारी ललित मोहन रयाल ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस मौके पर विद्यालय के प्रधानाध्यापक राजेंद्र पांडे, प्रवीन पुरोहित, आशीष रावत, पालक अग्रवाल, राहुल त्रिपाठी, अम्बुज सिंह आदि उपस्थित थे।