नगर निगम अंतर्गत राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में नौनिहाल जर्जर भवनों में अक्षर बांच रहे हैं। विद्यालय की दीवारों पर कहीं दरारें पड़ी हुई हैं तो कई लोहे के खंभों के सहारे भवन की छत को रोका गया है। शौचालयों में सफाई न होने से नौनिहालों के बीमार होने का डर बना हुआ है।
शनिवार को पहले राजकीय प्राथमिक विद्यालय नंबर सात की पड़ताल की गई। पता चला कि यह विद्यालय ऋषिकेश का सबसे पुराना विद्यालय है। वर्ष 1935 में यह विद्यालय खुला था। जिसके चलते अब यह विद्यालय जीर्णशीर्ण हालत में है। भवन में जगह-जगह दरारें पड़ी हुई हैं। विद्यालय भवन का द्वितीय तल बदहाल बना हुआ है। यहां बना एक शौचालय और स्नानघर खंडहर में तब्दील है।
विद्यालय की प्रधानाचार्य ममता गौड़ से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि इस विद्यालय में 77 छात्र संख्या है। विद्यालय को संवारने के लिए उन्होंने अपने स्तर से कई प्रयास किए। लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। उसके बाद टीम ने देहरादून रोड स्थित कोतवाली के समीप राजकीय प्राथमिक विद्यालय नंबर एक का निरीक्षण किया। यहां विद्यालय की दीवार का प्लास्टर उखड़ा हुआ था। जगह-जगह विद्यालय की दीवारों पर दरारें पड़ी हुई थी। शौचालय बदहाल बना हुआ था।
प्रधानाचार्य सुल्तान जेरा ने बताया कि विद्यालय में 122 छात्र संख्या है। बदहाल विद्यालय को दुरुस्त करने के लिए शासन-स्तर से प्रक्रिया चल रही है। इसके बाद टीम ने चंद्रेश्वरनगर स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय नंबर छह का निरीक्षण किया। यहां देखा तो एक विद्यालय का एक कक्ष बंद था। कक्ष बंद होने का जब शिक्षक से कारण पूछा गया तो पता चला कि भवन की छत लोहे के खंभे के सहारे खड़ी हुई है। जो कभी भी नौनिहालों के सिर पर गिर सकती है, इसके लिए इस कक्ष पर ताला लगाया हुआ है।
इसके अलावा विद्यालय परिसर में दो शौचालयों पर भी ताले लटके हुए मिले। जब इस बारे में पूछा गया तो पता चला कि यह शौचालय विद्यालय स्टाफ का है, जबकि यह शौचालय नौनिहालों के लिए बनाए गए हैं। उसके बाद टीम ने देहरादून रोड स्थित राजकीय बालिका इंटर कॉलेज का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान पता चला कि विद्यालय के कई भवनों के छत का प्लास्टर गिर रहा है। जिससे छत में जगह-जगह सीलन आ रही है।
ऋषिकेश के जर्जर विद्यालयों की स्थिति सुधारा जाएगा, इसके लिए विभागीय स्तर पर प्रक्रिया चल रही है।
-उमा पंवार, खंड शिक्षा अधिकारी डोईवाला।