पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
थल के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के भवन का उद्घाटन आज से ठीक 17 वर्ष पहले 11 अक्तूबर 2000 को तत्कालीन केंद्रीय मंत्री बची सिंह रावत ने किया था। उद्घाटन के दिन यह घोषणा की गई थी कि यह अस्पताल थल घाटी के लोगों को स्वास्थ्य की बेहतर सुविधा देगा। इसमें कई उपकरण रखे जाएंगे, ताकि लोगों को इलाज के लिए परेशान न होना पड़े, लेकिन इस घोषणा पर अब तक अमल नहीं हो पाया है। अस्पताल में मरीज तो जाते हैं, लेकिन गंभीर रोगियों को जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया जाता है। पिछले 17 वर्षों से अस्पताल में यही व्यवस्था चली आ रही है।
अस्पताल में एक्सरे मशीन, अल्ट्रासाउंड, पैथालॉजी की कोई सुविधा नहीं है। साधारण जांच के लिए भी लोगों को 50 किलोमीटर दूर जिला अस्पताल जाना पड़ता है। अस्पताल में दो डॉक्टर जरूर तैनात हैं, लेकिन जांच के उपकरण न होने के कारण वह मरीज को सही स्वास्थ्य सेवा नहीं दे पाते।
डॉक्टरों का मानना है कि यदि अस्पताल में कुछ उपकरण लग जाएं तो मरीजों को काफी राहत मिल जाती। इस संबंध में मुख्य चिकित्साधिकारी डा. उषा गुंज्याल का कहना है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में उपकरण उपलब्ध कराने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। उम्मीद है कि जल्द ही कुछ सामग्री मिल जाएगी।
जनता के साथ धोखा न किया जाए
थल निवासी दीपक भैंसोड़ा का कहना है कि स्वास्थ्य सेवा के नाम पर गरीब जनता के साथ धोखा न किया जाए। वह कहते हैं कि थल घाटी के 150 गांवों को स्वास्थ्य की सुविधा देने के लिए खोले गए इस अस्पताल से लोगों को कोई सुविधा नहीं मिलती। गरीबों को इस कारण सबसे ज्यादा कठिनाई होती है।
स्वास्थ्य सेवा को प्राथमिकता में रखें
सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश चंद का कहना है कि सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार को कभी प्राथमिकता में नहीं रखा। यही वजह है कि आज हर अस्पताल में भारी असुविधा है। ग्रामीण अंचलों के अस्पतालों में तो हालत ज्यादा खराब है। वह कहते हैं कि सरकार स्वास्थ्य सेवा को प्राथमिकता में रखे, ताकि स्वास्थ्य के नाम पर पलायन न बढ़े।
थल के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के भवन का उद्घाटन आज से ठीक 17 वर्ष पहले 11 अक्तूबर 2000 को तत्कालीन केंद्रीय मंत्री बची सिंह रावत ने किया था। उद्घाटन के दिन यह घोषणा की गई थी कि यह अस्पताल थल घाटी के लोगों को स्वास्थ्य की बेहतर सुविधा देगा। इसमें कई उपकरण रखे जाएंगे, ताकि लोगों को इलाज के लिए परेशान न होना पड़े, लेकिन इस घोषणा पर अब तक अमल नहीं हो पाया है। अस्पताल में मरीज तो जाते हैं, लेकिन गंभीर रोगियों को जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया जाता है। पिछले 17 वर्षों से अस्पताल में यही व्यवस्था चली आ रही है।
अस्पताल में एक्सरे मशीन, अल्ट्रासाउंड, पैथालॉजी की कोई सुविधा नहीं है। साधारण जांच के लिए भी लोगों को 50 किलोमीटर दूर जिला अस्पताल जाना पड़ता है। अस्पताल में दो डॉक्टर जरूर तैनात हैं, लेकिन जांच के उपकरण न होने के कारण वह मरीज को सही स्वास्थ्य सेवा नहीं दे पाते।
डॉक्टरों का मानना है कि यदि अस्पताल में कुछ उपकरण लग जाएं तो मरीजों को काफी राहत मिल जाती। इस संबंध में मुख्य चिकित्साधिकारी डा. उषा गुंज्याल का कहना है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में उपकरण उपलब्ध कराने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। उम्मीद है कि जल्द ही कुछ सामग्री मिल जाएगी।
जनता के साथ धोखा न किया जाए
थल निवासी दीपक भैंसोड़ा का कहना है कि स्वास्थ्य सेवा के नाम पर गरीब जनता के साथ धोखा न किया जाए। वह कहते हैं कि थल घाटी के 150 गांवों को स्वास्थ्य की सुविधा देने के लिए खोले गए इस अस्पताल से लोगों को कोई सुविधा नहीं मिलती। गरीबों को इस कारण सबसे ज्यादा कठिनाई होती है।
स्वास्थ्य सेवा को प्राथमिकता में रखें
सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश चंद का कहना है कि सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार को कभी प्राथमिकता में नहीं रखा। यही वजह है कि आज हर अस्पताल में भारी असुविधा है। ग्रामीण अंचलों के अस्पतालों में तो हालत ज्यादा खराब है। वह कहते हैं कि सरकार स्वास्थ्य सेवा को प्राथमिकता में रखे, ताकि स्वास्थ्य के नाम पर पलायन न बढ़े।