पिथौरागढ़। कुमाऊंनी कवि जनार्दन उप्रेती ‘जन्नू दा’ की किताब ‘कि कूंणान आंखर’ का रविवार को उत्सहगृह में समारोहपूर्वक विमोचन हुआ। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्यकार और अधिकारी उपस्थित थे। किताब के विमोचन अवसर पर डीएम सी रविशंकर ने कहा कि यह किताब उन लोगों के लिए भी उपयोगी है जो कुमाऊंनी नहीं जानते।
मुख्य शिक्षा अधिकारी वीपी सिमल्टी ने कहा कि आज कई लोग अपनी भाषा, बोली, संस्कृति के संरक्षण में लगे हैं। उनके प्रयास से बोली, कथाएं लिपिबद्ध हो जाएंगी। लेखक जन्नू दा ने कहा कि किताब में कुमाऊंनी किस्से कहानियों को समेटने का प्रयास किया गया है। अंग्रेजी में अनुवाद करने वाले चिंतामणि जोशी ने कहा कि अनुवाद के समय मूल भावार्थ को हूबहू रखने की कोशिश की गई है।
इस मौके पर डॉ. गुरुकुलानंद कच्चाहारी, डॉ. अशोक पंत, एसडीएम एसके पांडे, डॉ. पीतांबर अवस्थी, मोहन चंद्र पंत, प्रकाश जोशी शूल आदि मौजूद थे। बाद में कवि गोष्ठी का आयोजन हुआ। इसमें कई रचनाकारों ने रचनाएं सुनाई।
पिथौरागढ़। कुमाऊंनी कवि जनार्दन उप्रेती ‘जन्नू दा’ की किताब ‘कि कूंणान आंखर’ का रविवार को उत्सहगृह में समारोहपूर्वक विमोचन हुआ। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्यकार और अधिकारी उपस्थित थे। किताब के विमोचन अवसर पर डीएम सी रविशंकर ने कहा कि यह किताब उन लोगों के लिए भी उपयोगी है जो कुमाऊंनी नहीं जानते।
मुख्य शिक्षा अधिकारी वीपी सिमल्टी ने कहा कि आज कई लोग अपनी भाषा, बोली, संस्कृति के संरक्षण में लगे हैं। उनके प्रयास से बोली, कथाएं लिपिबद्ध हो जाएंगी। लेखक जन्नू दा ने कहा कि किताब में कुमाऊंनी किस्से कहानियों को समेटने का प्रयास किया गया है। अंग्रेजी में अनुवाद करने वाले चिंतामणि जोशी ने कहा कि अनुवाद के समय मूल भावार्थ को हूबहू रखने की कोशिश की गई है।
इस मौके पर डॉ. गुरुकुलानंद कच्चाहारी, डॉ. अशोक पंत, एसडीएम एसके पांडे, डॉ. पीतांबर अवस्थी, मोहन चंद्र पंत, प्रकाश जोशी शूल आदि मौजूद थे। बाद में कवि गोष्ठी का आयोजन हुआ। इसमें कई रचनाकारों ने रचनाएं सुनाई।