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श्रीनगर। वीर चंद्र सिंह गढ़वाली आयुर्विज्ञान एवं शोध संस्थान में तीन दिनी निरीक्षण पूरा कर एमसीआई की टीम बृहस्पतिवार की शाम को दिल्ली लौट गई। गत दो दिनों के भीतर निरीक्षण में टीम ने जो जाना, समझा और जुटाया, उसकी रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। टीम के सदस्यों ने आज सुबह रिपोर्ट बनाना शुरू किया और शाम को सब कुछ फाइनल करके टीम दिल्ली लौट गई। जांच रिपोर्ट को यहीं से सीलबंद कर टीम दिल्ली स्थित एमसीआई केंद्र में जमा करेगी, जहां कालेज को स्थायी मान्यता पर एमसीआई बोर्ड फैसला लेगा। एमसीआई के निरीक्षण दल का चार सदस्यीय दल मंगलवार 22 जनवरी की सुबह यहां पहुंचा था।
बेस अस्पताल, मेडिकल कालेज से जुड़े टीचिंग विभाग, पैरामेडिकल सेवाएं, इमरजेंसी, ओटी, ओपीडी, भर्ती वार्ड, बर्न वार्ड, लॉड्री, ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र तथा शहरी विकास केंद्र, नर्सिंग स्टाफ समेत तमाम सभी विभागों में एमसीआई के निरीक्षक दल को ऑन पेपर सभी काम चाक-चौबंद मिला, लेकिन कई सारे सवालों के जवाब कालेज प्रशासन से नहीं मिल पाए। ड्यूटी रोस्टरों पर तो कई ऐसे रिकार्डों पर उन्होंने सवाल दागे, जो संदेहजनक थे। 100 एमबीबीएस इंटर्न हॉस्टल, 200 बेडेड अस्पताल तथा ऑडिटोरियम संबंधी निर्माण कार्यों को भी कालेज प्रशासन निर्माणाधीन स्थिति में दिखाने में सफल रहा, लेकिन मानकों के अनुसार, ये सभी कार्य पूर्ण होकर चालू स्थिति में होने चाहिए थे।
इनसेट---
सभी 42 सरकारी डॉक्टर लौटे वापस
उत्तराखंड के विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों से एमसीआई के निरीक्षण के दौरान राजकीय मेडिकल कालेज भेजे गए सभी डॉक्टर टीम से पहले ही अपने-अपने मूल स्थानों पर लौट गए। ये डॉक्टर अपने-अपने अस्पतालों से तो रिलीव ऑर्डर लेकर मेडिकल कालेज पहुंचे थे, लेकिन मेडिकल कालेज से उन्हें बिना किसी रिलीविंग ऑर्डर के ही निकलना पड़ा। क्योंकि जब ये डाक्टर निकले, उस वक्त तक मेडिकल कालेज से एमसीआई टीम रवाना नहीं हुई थी। हालांकि एजेंट के माध्यम से हायर किए गए डॉक्टर तीसरे दिन भी डेरा जमाए रहे। शुक्रवार तक उनके भी लौट जाने की संभावना है।
यूं बीते एमसीआई टीम के तीन दिन
22 जनवरी-
बेस चिकित्सालय में सामान्य निरीक्षण, ग्रामीण और शहरी स्वास्थ्य केंद्रों का निरीक्षण, फैकल्टी से संबंधित दस्तावेजी पड़ताल, प्रयोगात्मक परीक्षाओं की जांच।
23 जनवरी-
फैकल्टी और उनके डिक्लरेशन फार्म की सत्यता की जांच, बेस चिकित्सालय का गहन निरीक्षण। मेडिकल कालेज के शैक्षणिक विभागों की पड़ताल की। सभी निर्माणाधीन कार्यों का जायजा लिया।
24 जनवरी
मेडिकल कालेज के प्रशासनिक भवन में दो दिनी निरीक्षण के फीडबैक के आधार पर रिपोर्ट की तैयार। शाम को साढे़ चार बजे दिल्ली रवाना।
प्रत्येक सत्र के विद्यार्थियों से किए सवाल
एमसीआई की टीम के सदस्यों ने कक्षाओं के निरीक्षण के दौरान सभी सत्रों के एमबीबीएस विद्यार्थियों से उनके विषय से संदर्भित सवाल भी पूछे। कई कक्षाओं में उन्हें संतोषजनक जवाब मिले, लेकिन कहीं आसान सवालों के भी जवाब न मिलने पर हैरानी जरूर हुई। मेडिकल कालेज के विद्यार्थियों ने अपने प्रजेंटेंशन, हार्ट डे के अवसर पर किए गए सेमीनार तथा अनेक स्तरीय जर्नल्स में प्रकाशित शोध पत्र भी एमसीआई के समक्ष प्रस्तुत किए।
श्रीनगर। वीर चंद्र सिंह गढ़वाली आयुर्विज्ञान एवं शोध संस्थान में तीन दिनी निरीक्षण पूरा कर एमसीआई की टीम बृहस्पतिवार की शाम को दिल्ली लौट गई। गत दो दिनों के भीतर निरीक्षण में टीम ने जो जाना, समझा और जुटाया, उसकी रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। टीम के सदस्यों ने आज सुबह रिपोर्ट बनाना शुरू किया और शाम को सब कुछ फाइनल करके टीम दिल्ली लौट गई। जांच रिपोर्ट को यहीं से सीलबंद कर टीम दिल्ली स्थित एमसीआई केंद्र में जमा करेगी, जहां कालेज को स्थायी मान्यता पर एमसीआई बोर्ड फैसला लेगा। एमसीआई के निरीक्षण दल का चार सदस्यीय दल मंगलवार 22 जनवरी की सुबह यहां पहुंचा था।
बेस अस्पताल, मेडिकल कालेज से जुड़े टीचिंग विभाग, पैरामेडिकल सेवाएं, इमरजेंसी, ओटी, ओपीडी, भर्ती वार्ड, बर्न वार्ड, लॉड्री, ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र तथा शहरी विकास केंद्र, नर्सिंग स्टाफ समेत तमाम सभी विभागों में एमसीआई के निरीक्षक दल को ऑन पेपर सभी काम चाक-चौबंद मिला, लेकिन कई सारे सवालों के जवाब कालेज प्रशासन से नहीं मिल पाए। ड्यूटी रोस्टरों पर तो कई ऐसे रिकार्डों पर उन्होंने सवाल दागे, जो संदेहजनक थे। 100 एमबीबीएस इंटर्न हॉस्टल, 200 बेडेड अस्पताल तथा ऑडिटोरियम संबंधी निर्माण कार्यों को भी कालेज प्रशासन निर्माणाधीन स्थिति में दिखाने में सफल रहा, लेकिन मानकों के अनुसार, ये सभी कार्य पूर्ण होकर चालू स्थिति में होने चाहिए थे।
इनसेट---
सभी 42 सरकारी डॉक्टर लौटे वापस
उत्तराखंड के विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों से एमसीआई के निरीक्षण के दौरान राजकीय मेडिकल कालेज भेजे गए सभी डॉक्टर टीम से पहले ही अपने-अपने मूल स्थानों पर लौट गए। ये डॉक्टर अपने-अपने अस्पतालों से तो रिलीव ऑर्डर लेकर मेडिकल कालेज पहुंचे थे, लेकिन मेडिकल कालेज से उन्हें बिना किसी रिलीविंग ऑर्डर के ही निकलना पड़ा। क्योंकि जब ये डाक्टर निकले, उस वक्त तक मेडिकल कालेज से एमसीआई टीम रवाना नहीं हुई थी। हालांकि एजेंट के माध्यम से हायर किए गए डॉक्टर तीसरे दिन भी डेरा जमाए रहे। शुक्रवार तक उनके भी लौट जाने की संभावना है।
यूं बीते एमसीआई टीम के तीन दिन
22 जनवरी-
बेस चिकित्सालय में सामान्य निरीक्षण, ग्रामीण और शहरी स्वास्थ्य केंद्रों का निरीक्षण, फैकल्टी से संबंधित दस्तावेजी पड़ताल, प्रयोगात्मक परीक्षाओं की जांच।
23 जनवरी-
फैकल्टी और उनके डिक्लरेशन फार्म की सत्यता की जांच, बेस चिकित्सालय का गहन निरीक्षण। मेडिकल कालेज के शैक्षणिक विभागों की पड़ताल की। सभी निर्माणाधीन कार्यों का जायजा लिया।
24 जनवरी
मेडिकल कालेज के प्रशासनिक भवन में दो दिनी निरीक्षण के फीडबैक के आधार पर रिपोर्ट की तैयार। शाम को साढे़ चार बजे दिल्ली रवाना।
प्रत्येक सत्र के विद्यार्थियों से किए सवाल
एमसीआई की टीम के सदस्यों ने कक्षाओं के निरीक्षण के दौरान सभी सत्रों के एमबीबीएस विद्यार्थियों से उनके विषय से संदर्भित सवाल भी पूछे। कई कक्षाओं में उन्हें संतोषजनक जवाब मिले, लेकिन कहीं आसान सवालों के भी जवाब न मिलने पर हैरानी जरूर हुई। मेडिकल कालेज के विद्यार्थियों ने अपने प्रजेंटेंशन, हार्ट डे के अवसर पर किए गए सेमीनार तथा अनेक स्तरीय जर्नल्स में प्रकाशित शोध पत्र भी एमसीआई के समक्ष प्रस्तुत किए।