श्रीनगर। फरासू गांव के सात वर्षीय किसना को मौत के घाट उतारने वाला गुलदार बृहस्पतिवार शाम को चंगुल में फंस ही गया। वन विभाग ने इस गुलदार को पकड़ने के लिए तीन जगह पिंजरा लगाया था। गांव के पास लगे पिंजरे में शाम को गुलदार फंस गया, तो लोगों ने राहत की सांस ली। हालांकि बुधवार शाम को बच्चे को ले जाकर मारने वाले गुलदार के प्रति लोगों में इस कदर गुस्सा था कि जब वह पकड़ा गया, तो लोग उसे जलाने के लिए केरोसीन ले आए। हालांकि वन विभाग की टीम ने स्थिति संभाल ली।
इससे पहले, बृहस्पतिवार को सुबह किसना की हड्डियों और कुछ कपड़ों को बरामद कर लिया गया। हालांकि उसकी स्वेटर, चप्पल और शर्ट अभी नहीं मिली है। सब्जियों की खेती के लिए मशहूर फरासू गांव में इस वक्त गम और गुस्सा पसरा हुआ है। नैथाणा गांव की छह वर्षीय साक्षी की मौत के बाद गढ़वाल में गुलदार के हमले में मारे गए बच्चे का ये दूसरा मामला है। रानीहाट में आंतकी गुलदार को मार गिराने वाले शिकारी जॉय हुकिल और वन विभाग की टीम आज सुबह मौके पर पहुंची। डीएफओ राजमणि पांडे के निर्देश पर फरासू समेत तीन जगहों पर गुलदार को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाया गया। खच्चर चलाकर गुजर बसर करने वाले बृजलाल के पुत्र किसना को कल शाम फरासू गांव से गुलदार ले गया था।
आज सुबह, फरासू के गुस्साए ग्रामीणों ने बृहस्पतिवार को ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर चक्का जाम कर दिया। एक सप्ताह पूर्व स्थानीय प्रशासन के माध्यम से वन विभाग को ग्रामीणों ने गुलदार के आंतक की जानकारी दे दी थी, मगर एहतियातन कोई कार्रवाई नहीं हुई। गुस्साए ग्रामीणों ने एक घंटे तक राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम लगाए रखा। हालांकि बाद में बच्चे के शव की तलाश में हो रहे विलंब को देखते हुए जाम हटा लिया गया। जाम लगाने वालों में महिला मंगल दल की अध्यक्ष अनुराधा चमोली, पूर्व जिला पंचायत सदस्य लखपत भंडारी, कमला देवी, संजय कुमार, विजय बहुगुणा, कनिष्ठ प्रमुख सुषमा नेगी, पार्वती देवी, बीना देवी, जसोदा देवी, दीपा देवी आदि मौजूद थे।
परिवार को मिलेगा तीन लाख मुआवजा
गुलदार का शिकार बने किसना के परिवार को वन विभाग तीन लाख रूपए मुआवजा देगा। डीएफओ राजमणि पांडे ने बताया कि परिवार की फौरी सहायता के लिए पांच हजार रूपए दे दिए गए हैं, जबकि दो लाख 95 हजार रूपए चेक के माध्यम से परिजनों को दे दिए जाएंगे।
मैं तें ली जांदु, मेरू किसना की जगह
किसना की मौत के सदमे में किसना की मां बीना बार-बार बेहोश हो रही है, तो उसकी दादी कमली देवी के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। ग्रामीण भी कहते हैं कि हमें सुरक्षा चाहिए, मुआवजा किसी की जिंदगी नहीं लौटा सकता। अपने जिगर के टुकड़े को याद कर किसना की दादी कहती है कि तू जब रोटी मांगेगा, मैं तुझको बनाकर दूंगी। तू आ जा किसना, आ जा.....। फिर कहती है मैं तें लि जांदु, मेरू किशना तें छोड़ी जा ऐ बाघ। लगातार बह रहे आंसुओं के समंदर में उसके जिगर के टुकड़े के हमेशा के लिए दूर हो जाने की पीड़ा का साक्षात आभास हो रहा है।
बृजलाल का परिवार ही था निशाने पर
बृजलाल के परिवार पर खूंखार गुलदार का कहर बुधवार को लगातार टूटता रहा। सबसे पहले नदी की ओर से लौट रहे बृजलाल पर ही गुलदार ने झपट्टा मारने की कोशिश की, लेकिन वह शोर मचाते हुए भाग निकला। उसके 17 वर्षीय पुत्र पर भी बुधवार दोपहर गुलदार ने हमला करने की कोशिश की। वह भी किसी तरह शोर मचाकर दूर हो निकला। इसके बाद खेलकर लौट रहे किसना पर गुलदार का वार हुआ, जिसमें वह उसका निशाना बन ही गया।
प्रत्यक्षदर्शियों की जुबानी
-हम लोग घर की पास मैदान में पत्थरों पर बॉल मारकर पिटठू खेल रहे थे। हम घर की ओर आने लगे, तो रास्ते में गुलदार दिखा। हमें देखकर वह उठ खड़ा हुआ। हम तीनों एक-दूसरे से टकराए और गिर गए। हमारी आवाज नहीं निकल पाई। उठे और पड़ोस के घर की तरफ भागे। इसी समय गुलदार किसना को उठा ले गया।
मोहित कुमार, 12 वर्ष, आयुष कुमार 10 वर्ष
श्रीनगर। फरासू गांव के सात वर्षीय किसना को मौत के घाट उतारने वाला गुलदार बृहस्पतिवार शाम को चंगुल में फंस ही गया। वन विभाग ने इस गुलदार को पकड़ने के लिए तीन जगह पिंजरा लगाया था। गांव के पास लगे पिंजरे में शाम को गुलदार फंस गया, तो लोगों ने राहत की सांस ली। हालांकि बुधवार शाम को बच्चे को ले जाकर मारने वाले गुलदार के प्रति लोगों में इस कदर गुस्सा था कि जब वह पकड़ा गया, तो लोग उसे जलाने के लिए केरोसीन ले आए। हालांकि वन विभाग की टीम ने स्थिति संभाल ली।
इससे पहले, बृहस्पतिवार को सुबह किसना की हड्डियों और कुछ कपड़ों को बरामद कर लिया गया। हालांकि उसकी स्वेटर, चप्पल और शर्ट अभी नहीं मिली है। सब्जियों की खेती के लिए मशहूर फरासू गांव में इस वक्त गम और गुस्सा पसरा हुआ है। नैथाणा गांव की छह वर्षीय साक्षी की मौत के बाद गढ़वाल में गुलदार के हमले में मारे गए बच्चे का ये दूसरा मामला है। रानीहाट में आंतकी गुलदार को मार गिराने वाले शिकारी जॉय हुकिल और वन विभाग की टीम आज सुबह मौके पर पहुंची। डीएफओ राजमणि पांडे के निर्देश पर फरासू समेत तीन जगहों पर गुलदार को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाया गया। खच्चर चलाकर गुजर बसर करने वाले बृजलाल के पुत्र किसना को कल शाम फरासू गांव से गुलदार ले गया था।
आज सुबह, फरासू के गुस्साए ग्रामीणों ने बृहस्पतिवार को ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर चक्का जाम कर दिया। एक सप्ताह पूर्व स्थानीय प्रशासन के माध्यम से वन विभाग को ग्रामीणों ने गुलदार के आंतक की जानकारी दे दी थी, मगर एहतियातन कोई कार्रवाई नहीं हुई। गुस्साए ग्रामीणों ने एक घंटे तक राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम लगाए रखा। हालांकि बाद में बच्चे के शव की तलाश में हो रहे विलंब को देखते हुए जाम हटा लिया गया। जाम लगाने वालों में महिला मंगल दल की अध्यक्ष अनुराधा चमोली, पूर्व जिला पंचायत सदस्य लखपत भंडारी, कमला देवी, संजय कुमार, विजय बहुगुणा, कनिष्ठ प्रमुख सुषमा नेगी, पार्वती देवी, बीना देवी, जसोदा देवी, दीपा देवी आदि मौजूद थे।
परिवार को मिलेगा तीन लाख मुआवजा
गुलदार का शिकार बने किसना के परिवार को वन विभाग तीन लाख रूपए मुआवजा देगा। डीएफओ राजमणि पांडे ने बताया कि परिवार की फौरी सहायता के लिए पांच हजार रूपए दे दिए गए हैं, जबकि दो लाख 95 हजार रूपए चेक के माध्यम से परिजनों को दे दिए जाएंगे।
मैं तें ली जांदु, मेरू किसना की जगह
किसना की मौत के सदमे में किसना की मां बीना बार-बार बेहोश हो रही है, तो उसकी दादी कमली देवी के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। ग्रामीण भी कहते हैं कि हमें सुरक्षा चाहिए, मुआवजा किसी की जिंदगी नहीं लौटा सकता। अपने जिगर के टुकड़े को याद कर किसना की दादी कहती है कि तू जब रोटी मांगेगा, मैं तुझको बनाकर दूंगी। तू आ जा किसना, आ जा.....। फिर कहती है मैं तें लि जांदु, मेरू किशना तें छोड़ी जा ऐ बाघ। लगातार बह रहे आंसुओं के समंदर में उसके जिगर के टुकड़े के हमेशा के लिए दूर हो जाने की पीड़ा का साक्षात आभास हो रहा है।
बृजलाल का परिवार ही था निशाने पर
बृजलाल के परिवार पर खूंखार गुलदार का कहर बुधवार को लगातार टूटता रहा। सबसे पहले नदी की ओर से लौट रहे बृजलाल पर ही गुलदार ने झपट्टा मारने की कोशिश की, लेकिन वह शोर मचाते हुए भाग निकला। उसके 17 वर्षीय पुत्र पर भी बुधवार दोपहर गुलदार ने हमला करने की कोशिश की। वह भी किसी तरह शोर मचाकर दूर हो निकला। इसके बाद खेलकर लौट रहे किसना पर गुलदार का वार हुआ, जिसमें वह उसका निशाना बन ही गया।
प्रत्यक्षदर्शियों की जुबानी
-हम लोग घर की पास मैदान में पत्थरों पर बॉल मारकर पिटठू खेल रहे थे। हम घर की ओर आने लगे, तो रास्ते में गुलदार दिखा। हमें देखकर वह उठ खड़ा हुआ। हम तीनों एक-दूसरे से टकराए और गिर गए। हमारी आवाज नहीं निकल पाई। उठे और पड़ोस के घर की तरफ भागे। इसी समय गुलदार किसना को उठा ले गया।
मोहित कुमार, 12 वर्ष, आयुष कुमार 10 वर्ष