हल्द्वानी। मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए वन विभाग प्रोजेक्ट एसोसिएट तैनात करेगा। बचाव अभियान में मदद के लिए स्थानीय लोगों को भी जोड़ा जाएगा। प्रोजेक्ट एसोसिएट मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं का अध्ययन और आंकड़ों का विश्लेषण करने से लेकर भविष्य में घटनाओं की रोकथाम के लिए भी सुझाव देंगे। पश्चिमी वृत्त में पशु चिकित्सक को भी तैनात किया जाएगा। इसके लिए बजट की व्यवस्था गौला कार्पस फंड से होगी।
पश्चिमी वृत्त के अंतर्गत आने वाले वन प्रभागों में मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं बढ़ी हैं। इसी वर्ष फतेहपुर रेंज में बाघ के हमले में कई लोग मारे गए। हाथियों ने आबादी वाले इलाके में उत्पात मचाया हुआ है, वे कुछ नए इलाकों की तरफ भी रुख कर रहे हैं। ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए तात्कालिक तौर पर तो जंगलात कदम उठाता है, लेकिन भविष्य की रोकथाम के लिए ठोस कदम नहीं उठ पाते हैं। अगर सोलर फेंसिंग आदि लगाई भी गई तो उसका प्रभाव कितना रहा है, उसका आकलन भी जंगलात नहीं कर पाता है। ऐसे में वन विभाग में घटनाओं के कारणों के अध्ययन से लेकर भविष्य में उठाये जाने वाले कदमों की रूपरेखा तैयार करने के लिए प्रोजेक्ट एसोसिएट को तैनात करने का फैसला किया है।
पहली बार तैनात करने का फैसला
डीएफओ तराई पूर्वी वन प्रभाग संदीप कुमार कहते हैं कि किस रेंज में कितनी घटनाएं हुई हैं, घटनाओं के कारण, संवेदनशील, अतिसंवेदनशील जगहों को चिह्नित करने से लेकर कॉरिडोर मैनेजमेंट प्लान को तैयार करने में प्रोजेक्ट एसोसिएट मदद करेंगे। गौला कार्पस फंड से पहली बार सीनियर प्रोजेक्ट एसोसिएट और प्रोजेक्ट एसोसिएट तैनात किए जाएंगे। विशेषज्ञों की रिपोर्ट के आधार पर वाइल्ड लाइफ मैनेजमेंट प्लान को और बेहतर करने में मदद मिलेगी।
स्थानीय बचाव कर्मी को रखा जाएगा
हल्द्वानी। गौला कार्पस के तहत मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए चलने वाले अभियान आदि में मदद के लिए स्थानीय स्तर पर बचाव कर्मी को रखने का भी फैसला किया गया है। पश्चिम वृत्त (रामनगर, हल्द्वानी, तराई पूर्वी, तराई पश्चिम, तराई केंद्रीय वन प्रभाग) में स्थानीय स्तर पर करीब 30 कर्मियों को रखा जाएगा। इसके साथ एक पशु चिकित्सक की तैनाती करने का फैसला किया गया है।
कुछ व्यवस्था को हटाया गया
हल्द्वानी। मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं प्रसन्न पात्रो कहते हैं कि गौला कार्पस के तहत कुछ कार्य तय हैं, इसमें जंगल की आग के लिए बजट की व्यवस्था है जबकि यह बजट शासन स्तर पर भी जारी होता है। ऐसी व्यवस्थाओं को हटाया गया है। प्रमुख वन संरक्षक (वन्यजीव) समीर सिन्हा कहते हैं कि गौला कार्पस के माध्यम से मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए और बेहतर कार्य करने की योजना बनाई गई है।