हल्द्वानी। 120 करोड़ के स्टेट कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट को भारत सरकार ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है। इंस्टीट्यूट का प्रस्ताव भाभा रिसर्च एटामिक सेंटर को भेजा गया है। कैंसर के मरीजों को बेहतर इलाज और सुविधा देने के लिए स्वामी राम कैंसर इंस्टीट्यूट को स्टेट कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट बनाने की बात चल रही थी। दो माह पूर्व एक टीम ने दौरा कर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। 120 करोड़ के इस प्रोजेक्ट में मशीन लगने के साथ ही कई फैकल्टी भी बनेंगी। भारत सरकार से सैद्धांतिक स्वीकृति मिलने के बाद रेडियोथैरेपी यूनिट के लिए बनने वाले बंकरों का ब्योरा भाभा रिसर्च एटामिक सेंटर को भेजा है। भाभा से स्वीकृति मिलने के बाद केंद्र सरकार अपनी अंतिम मोहर लगा देगी। इस संबंध में चिकित्सा-शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ. आरपी भट्ट ने बताया कि वित्तीय स्वीकृति मिलने के बाद दो-तीन माह में काम शुरू हो जाएगा। इसको पूरा होने में लगभग दो वर्ष का समय लगेगा। उन्होंने कहा कि प्रयास किया जाएगा कि स्टेट कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट में गामा नाइफ जैसे उपकरण हों, जिससे मरीजों का बिना चीरा लगाए आपरेशन हो सके और रेडिएशन भी दिया जा सके।
हल्द्वानी। 120 करोड़ के स्टेट कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट को भारत सरकार ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है। इंस्टीट्यूट का प्रस्ताव भाभा रिसर्च एटामिक सेंटर को भेजा गया है। कैंसर के मरीजों को बेहतर इलाज और सुविधा देने के लिए स्वामी राम कैंसर इंस्टीट्यूट को स्टेट कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट बनाने की बात चल रही थी। दो माह पूर्व एक टीम ने दौरा कर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। 120 करोड़ के इस प्रोजेक्ट में मशीन लगने के साथ ही कई फैकल्टी भी बनेंगी। भारत सरकार से सैद्धांतिक स्वीकृति मिलने के बाद रेडियोथैरेपी यूनिट के लिए बनने वाले बंकरों का ब्योरा भाभा रिसर्च एटामिक सेंटर को भेजा है। भाभा से स्वीकृति मिलने के बाद केंद्र सरकार अपनी अंतिम मोहर लगा देगी। इस संबंध में चिकित्सा-शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ. आरपी भट्ट ने बताया कि वित्तीय स्वीकृति मिलने के बाद दो-तीन माह में काम शुरू हो जाएगा। इसको पूरा होने में लगभग दो वर्ष का समय लगेगा। उन्होंने कहा कि प्रयास किया जाएगा कि स्टेट कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट में गामा नाइफ जैसे उपकरण हों, जिससे मरीजों का बिना चीरा लगाए आपरेशन हो सके और रेडिएशन भी दिया जा सके।