हल्द्वानी। दबाव की राजनीति झेलने में माहिर हरीश रावत का दांव इस बार उल्टा पड़ गया। पार्टी आलाकमान उन्हें हरिद्वार से लड़ाना चाहता था मगर वे नैनीताल-ऊधमसिंह नगर के लिए अड़े रहे।
नैनीताल से पैनल में पूर्व सीएम रावत का नाम नहीं भेजा गया था। प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह, प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने टिकट वितरण के समय पूरा जोर लगाया कि डॉ. महेंद्र पाल सिंह को यहां से प्रत्याशी बनाया जाए। हरीश रावत को हरिद्वार से टिकट दिया जाए। बावजूद इसके शह और मात का खेल चलता रहा। 23 मार्च को प्रदेश से आठ विधायक रावत के पक्ष में खेमेबंदी करने के लिए दिल्ली पहुंच गए थे। विधायकों ने वहां राष्ट्रीय महासचिव संगठन केसी वेणुगोपाल से संपर्क साधा था। 23 की देर रात रावत के नाम पर आलाकमान ने मोहर लगा दी थी। खास बात यह रही कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी टिहरी, पौड़ी, हरिद्वार और पिथौरागढ़-अल्मोड़ा सीट पर प्रचार करने आए थे लेकिन नैनीताल में उनका कोई कार्यक्रम नहीं हुआ। माना जा रहा था कि नाराजगी के चलते ही राहुल नैनीताल-ऊधमसिंह नगर सीट पर प्रचार करने नहीं आए।
प्रदेश प्रभारी ने संदेश भिजवा दिया कि हरीश रावत प्रदेश के बड़े नेता हैं, उन्हें स्टार प्रचारकों की क्या जरूरत है। पूर्व प्रधामंत्री मनमोहन सिंह से लेकर पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के रुद्रपुर में कार्यक्रम लगने की बात आई मगर कोई नहीं पहुंचा। बड़े नेताओं में सिर्फ शर्मिष्ठा मुखर्जी ही प्रचार के लिए आई थीं। ऐसे में माना जा रहा है कि आलाकमान की नाराजगी भी हरीश रावत को भारी पड़ गई।
इस बार दबाव की राजनीति काम नहीं आई
कांग्रेस आलाकमान हरीश रावत को हरिद्वार से लड़ाना चाहता था मगर उन्होंने नहीं मानी
हल्द्वानी। दबाव की राजनीति झेलने में माहिर हरीश रावत का दांव इस बार उल्टा पड़ गया। पार्टी आलाकमान उन्हें हरिद्वार से लड़ाना चाहता था मगर वे नैनीताल-ऊधमसिंह नगर के लिए अड़े रहे।
नैनीताल से पैनल में पूर्व सीएम रावत का नाम नहीं भेजा गया था। प्रदेश प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह, प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने टिकट वितरण के समय पूरा जोर लगाया कि डॉ. महेंद्र पाल सिंह को यहां से प्रत्याशी बनाया जाए। हरीश रावत को हरिद्वार से टिकट दिया जाए। बावजूद इसके शह और मात का खेल चलता रहा। 23 मार्च को प्रदेश से आठ विधायक रावत के पक्ष में खेमेबंदी करने के लिए दिल्ली पहुंच गए थे। विधायकों ने वहां राष्ट्रीय महासचिव संगठन केसी वेणुगोपाल से संपर्क साधा था। 23 की देर रात रावत के नाम पर आलाकमान ने मोहर लगा दी थी। खास बात यह रही कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी टिहरी, पौड़ी, हरिद्वार और पिथौरागढ़-अल्मोड़ा सीट पर प्रचार करने आए थे लेकिन नैनीताल में उनका कोई कार्यक्रम नहीं हुआ। माना जा रहा था कि नाराजगी के चलते ही राहुल नैनीताल-ऊधमसिंह नगर सीट पर प्रचार करने नहीं आए।
प्रदेश प्रभारी ने संदेश भिजवा दिया कि हरीश रावत प्रदेश के बड़े नेता हैं, उन्हें स्टार प्रचारकों की क्या जरूरत है। पूर्व प्रधामंत्री मनमोहन सिंह से लेकर पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के रुद्रपुर में कार्यक्रम लगने की बात आई मगर कोई नहीं पहुंचा। बड़े नेताओं में सिर्फ शर्मिष्ठा मुखर्जी ही प्रचार के लिए आई थीं। ऐसे में माना जा रहा है कि आलाकमान की नाराजगी भी हरीश रावत को भारी पड़ गई।
इस बार दबाव की राजनीति काम नहीं आई
कांग्रेस आलाकमान हरीश रावत को हरिद्वार से लड़ाना चाहता था मगर उन्होंने नहीं मानी