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देवस्थानम बोर्ड पर गरमाई संतों की सियासत

Dehradun Bureau देहरादून ब्यूरो
Updated Thu, 25 Nov 2021 08:33 PM IST
The politics of saints heats up on Devasthanam board
देवस्थानम बोर्ड को लेकर धर्मनगरी में संतों की सियासत गरमाने लगी है। संत-महंत से लेकर तीर्थ पुरोहितों के बोर्ड भंग करने की पुरजोर मांग पर उठने पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के दोनों गुट कूद पड़े हैं। अखाड़ा परिषद के दोनों गुटों में मुद्दे को लपकने की होड़ शुरू हो गई है। इनमें एक गुट सरकार से बोर्ड भंग करवाने के लिए शांतिपूर्ण वार्ता तो दूसरा गुट 30 नवंबर के बाद आंदोलन शुरू करने का दबाव बना रहा है।

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में देवस्थानम बोर्ड गठित हुआ। इसमें मठ-मंदिरों पर सरकार का नियंत्रण किया गया। बोर्ड के विरोध में तीर्थ पुरोहित लगातार आंदोलन कर रहे हैं। पिछले ही दिनों पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को केदारनाथ मंदिर में दर्शनों से रोका गया। इसी सप्ताह तीर्थ पुरोहितों ने कैबिनेट मंत्रियों का घेराव किया। बोर्ड भंग करने के मुद्दे पर धर्मनगरी के मठ-मंदिर और अखाड़ा-आश्रमों में सियासत होने लगी है।

अखाड़ा परिषद में दो फाड़ हैं। इन्हीं परिषद के अधीन अखाड़ों के संत-महंत जुड़े हैं। दोनों गुटों की मांग बोर्ड भंग करने की है, लेकिन रास्ते अलग-अलग हैं। दोनों गुट इस मुद्दे को लपकना चाहते हैं। सरकार से लेकर संतों में अपने वजूद का दबदबा बनाना चाहते हैं। इनमें अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी (श्री निरंजनी) गुट सरकार से वार्ता कर बोर्ड भंग करवाने का दबाव बना रहा है। जबकि अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी (महानिर्वाणी) गुट सरकार को चरणबद्ध तरीके से आंदोलन की चेेतावनी दे चुका है।
- प्रदेश सरकार से वार्ता हो चुकी है। सरकार सकारात्मक है। सरकार के स्तर पर बोर्ड भंग करवाने की औपचारिकताएं की जा रही है। कभी भी बोर्ड भंग करने की घोषणा हो सकती है।
- श्रीमहंत रविंद्रपुरी, अध्यक्ष अखाड़ा परिषद (श्री निरंजनी अखाड़ा)
- बोर्ड बनने के साथ लगातार विरोध हो रहा है। सरकार को बोर्ड भंग कर देना चाहिए। सरकार 30 नवंबर तक बोर्ड भंग करने की घोषणा नहीं करती है तो चरणबद्ध आंदोलन होगा। शुरुआत में मुख्यमंत्री और मंत्रियों को ज्ञापन सौंपा जाएगा। इसके बाद आगे की रणनीति बनाई जाएगी।
- श्रीमहंत रविंद्रपुरी, अध्यक्ष अखाड़ा परिषद (महानिर्वाणी अखाड़ा)
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