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हरिद्वार। सरकारी कामकाज का ऊपर वाला ही मालिक है। जिस बेसहारा और गरीब को सहायता की जरूरत होती है। उसे मदद को एड़ियां रगड़नी पड़ती है। जिसे जरूरत नहीं और सक्षम है उस पर इनकी मेहरबान रहती है। समाज कल्याण विभाग में वृद्धावस्था, विधवा और विकलांग पेंशन में यही नजर आ रहा है।
इन दिनों नगर निगम की टीम अपने क्षेत्र में सत्यापन अभियान चला रही है। जिसमें आए दिन चौंकानेे वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। एक व्यक्ति रहता छिद्दरवाला, (देहरादून) में हैं। पेंशन वह समाज कल्याण विभाग हरिद्वार से ले रहा है। पहाड़ी बाजार कनखल निवासी एक पेंशनर की मौत 17 साल पहले हो चुकी है, लेकिन समाज कल्याण विभाग इसे पेंशन अब तक भेज रहा है। उसके खाते में अब तक 65 हजार रुपये जमा हो चुके हैं। वर्ष 2008 में मृत (निवासी राजपूत धर्मशाला कनखल क्षेत्र) एक व्यक्ति के डाकघर कनखल के खाते में पेंशन के ही 23 हजार रुपये जमा हो चुके हैं। सप्तसरोवर मार्ग निवासी और वर्ष 2005 में मृत महिला को भी पेंशन अब तक भेजी जा रही है। चित्रा टाकीज के पास रहने वाले और वर्ष 2009 में मृत व्यक्ति को भी पेंशन दी जा रही है। हिल बाईपास नई बस्ती क्षेत्र में पांच विकलांग बताए गए हैं। लेकिन, अभी तक दो का ही पता चल पाया है। घर-घर जाकर भौतिक सत्यापन करने वाला नगर निगम कर्मचारी समाज कल्याण विभाग द्वारा पेंशनर का सही पता न देने से परेशान हैं। कर्मचारी ने बताया कि जाटोंवाला बाग में छह वृद्धावस्था और तीन विकलांग समाज कल्याण विभाग द्वारा दी गई सूची में पेंशनर के नाम हैं। लेकिन, इस नाम का पूरे शहर में कोई बाग नहीं है।
कोट
वृद्धावस्था पेंशन योजना का भौतिक सत्यापन घर-घर जाकर पारदर्शिता से कराया जा रहा है। इसके लिए और समय देने के लिए जिला प्रशासन को पत्र भेजा गया है। समाज कल्याण विभाग द्वारा पेंशनरों की सूची क्षेत्रवार न बनाए जाने से निगम कर्मियों को अधिक समय लग रहा है। लेकिन, समय जितना भी लगे भौतिक सत्यापन घर-घर जाकर कराया जाएगा। उसके बाद पूरी रिपोर्ट बनाकर जिला प्रशासन और शासन को भेजी जाएगी।
जीवन सिंह नागन्याल, सिटी मजिस्ट्रेट/नोडल अधिकारी
हरिद्वार। सरकारी कामकाज का ऊपर वाला ही मालिक है। जिस बेसहारा और गरीब को सहायता की जरूरत होती है। उसे मदद को एड़ियां रगड़नी पड़ती है। जिसे जरूरत नहीं और सक्षम है उस पर इनकी मेहरबान रहती है। समाज कल्याण विभाग में वृद्धावस्था, विधवा और विकलांग पेंशन में यही नजर आ रहा है।
इन दिनों नगर निगम की टीम अपने क्षेत्र में सत्यापन अभियान चला रही है। जिसमें आए दिन चौंकानेे वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। एक व्यक्ति रहता छिद्दरवाला, (देहरादून) में हैं। पेंशन वह समाज कल्याण विभाग हरिद्वार से ले रहा है। पहाड़ी बाजार कनखल निवासी एक पेंशनर की मौत 17 साल पहले हो चुकी है, लेकिन समाज कल्याण विभाग इसे पेंशन अब तक भेज रहा है। उसके खाते में अब तक 65 हजार रुपये जमा हो चुके हैं। वर्ष 2008 में मृत (निवासी राजपूत धर्मशाला कनखल क्षेत्र) एक व्यक्ति के डाकघर कनखल के खाते में पेंशन के ही 23 हजार रुपये जमा हो चुके हैं। सप्तसरोवर मार्ग निवासी और वर्ष 2005 में मृत महिला को भी पेंशन अब तक भेजी जा रही है। चित्रा टाकीज के पास रहने वाले और वर्ष 2009 में मृत व्यक्ति को भी पेंशन दी जा रही है। हिल बाईपास नई बस्ती क्षेत्र में पांच विकलांग बताए गए हैं। लेकिन, अभी तक दो का ही पता चल पाया है। घर-घर जाकर भौतिक सत्यापन करने वाला नगर निगम कर्मचारी समाज कल्याण विभाग द्वारा पेंशनर का सही पता न देने से परेशान हैं। कर्मचारी ने बताया कि जाटोंवाला बाग में छह वृद्धावस्था और तीन विकलांग समाज कल्याण विभाग द्वारा दी गई सूची में पेंशनर के नाम हैं। लेकिन, इस नाम का पूरे शहर में कोई बाग नहीं है।
कोट
वृद्धावस्था पेंशन योजना का भौतिक सत्यापन घर-घर जाकर पारदर्शिता से कराया जा रहा है। इसके लिए और समय देने के लिए जिला प्रशासन को पत्र भेजा गया है। समाज कल्याण विभाग द्वारा पेंशनरों की सूची क्षेत्रवार न बनाए जाने से निगम कर्मियों को अधिक समय लग रहा है। लेकिन, समय जितना भी लगे भौतिक सत्यापन घर-घर जाकर कराया जाएगा। उसके बाद पूरी रिपोर्ट बनाकर जिला प्रशासन और शासन को भेजी जाएगी।
जीवन सिंह नागन्याल, सिटी मजिस्ट्रेट/नोडल अधिकारी