पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
हरिद्वार। प्रयाग कुंभ में न आने की हठ पाल बैठे अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदास मान गए। वे 28 जनवरी को गंगा सागर छोड़ेंगे और अयोध्या होते हुए एक फरवरी को प्रयाग पहुंचेंगे। छह अखाड़ों और कुंभ मेला प्रशासन के प्रतिनिधि मंडल ने गंगा सागर जाकर ज्ञानदास को मनाया है। श्रीमहंत बलवंत सिंह की अध्यक्षता वाली अखाड़ा परिषद ने चेतावनी दी है यदि 13 अखाड़ों की मुकामी परिषद के अलावा ज्ञानदास को अधिमान दिया गया तो मेला प्रशासन सहित उत्तर प्रदेश सरकार का विरोध होगा।
एक सप्ताह पहले ज्ञानदास समर्थक छह अखाड़ों के प्रतिनिधियों ने मेला बैठक में मेला प्रशासन पर दबाव डाला था कि प्रशासन खुद गंगा सागर जाकर ज्ञानदास को लेकर आएं। बैठक में इसका कड़ा विरोध सात अखाड़ों की दूसरी परिषद के प्रतिनिधि श्रीमहंत रविंद्र पुरी, श्रीमहंत रामानंद पुरी एवं बागंबरी पीठ के अध्यक्ष श्रीमंहत नरेंद्र गिरि ने किया था। उन्होंने साफ-साफ कहा था अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष बलवंत सिंह हैं और उन्हीं से दिशा-निर्देश लिया जाए। यदि प्रशासन ने ज्ञानदास को अल्पमत में होते हुए महत्ता दी तो सात अखाड़े स्नान का बहिष्कार तक का निर्णय ले सकते हैं। प्रशासन ने दो दिन प्रयास करने के बाद सात अखाड़ों के प्रतिनिधियों को मनाया और आश्वस्त किया कि उनका सम्मान यथावत जारी रहेगा। बाद में जूना, अग्नि, आवाहन, दिगंबर, निर्वाणी अणी और निर्मोही अखाड़े से एक-एक प्रतिनिधि को सात लेकर मेला प्रशासन के दो अधिकारी सरकारी विमान से गंगा सागर पहुंचे और ज्ञानदास को मना लिया। अब एक फरवरी को ज्ञानदास के प्रयाग पहुंचने के बाद अखाड़ा परिषद की राजनीति नए सिरे से गरमाएगी।
हरिद्वार। प्रयाग कुंभ में न आने की हठ पाल बैठे अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदास मान गए। वे 28 जनवरी को गंगा सागर छोड़ेंगे और अयोध्या होते हुए एक फरवरी को प्रयाग पहुंचेंगे। छह अखाड़ों और कुंभ मेला प्रशासन के प्रतिनिधि मंडल ने गंगा सागर जाकर ज्ञानदास को मनाया है। श्रीमहंत बलवंत सिंह की अध्यक्षता वाली अखाड़ा परिषद ने चेतावनी दी है यदि 13 अखाड़ों की मुकामी परिषद के अलावा ज्ञानदास को अधिमान दिया गया तो मेला प्रशासन सहित उत्तर प्रदेश सरकार का विरोध होगा।
एक सप्ताह पहले ज्ञानदास समर्थक छह अखाड़ों के प्रतिनिधियों ने मेला बैठक में मेला प्रशासन पर दबाव डाला था कि प्रशासन खुद गंगा सागर जाकर ज्ञानदास को लेकर आएं। बैठक में इसका कड़ा विरोध सात अखाड़ों की दूसरी परिषद के प्रतिनिधि श्रीमहंत रविंद्र पुरी, श्रीमहंत रामानंद पुरी एवं बागंबरी पीठ के अध्यक्ष श्रीमंहत नरेंद्र गिरि ने किया था। उन्होंने साफ-साफ कहा था अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष बलवंत सिंह हैं और उन्हीं से दिशा-निर्देश लिया जाए। यदि प्रशासन ने ज्ञानदास को अल्पमत में होते हुए महत्ता दी तो सात अखाड़े स्नान का बहिष्कार तक का निर्णय ले सकते हैं। प्रशासन ने दो दिन प्रयास करने के बाद सात अखाड़ों के प्रतिनिधियों को मनाया और आश्वस्त किया कि उनका सम्मान यथावत जारी रहेगा। बाद में जूना, अग्नि, आवाहन, दिगंबर, निर्वाणी अणी और निर्मोही अखाड़े से एक-एक प्रतिनिधि को सात लेकर मेला प्रशासन के दो अधिकारी सरकारी विमान से गंगा सागर पहुंचे और ज्ञानदास को मना लिया। अब एक फरवरी को ज्ञानदास के प्रयाग पहुंचने के बाद अखाड़ा परिषद की राजनीति नए सिरे से गरमाएगी।