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रुड़की। शहर को साफ -सुथरा और हरा-भरा बनाने का सपना दिखा नगर पालिका ने ‘ग्रीन सिटी-क्लीन सिटी’ का नारा तो दिया, लेकिन यह हकीकत में नहीं बदल पाया। पालिका के वर्तमान बोर्ड का कार्यकाल पूरा होने को है। इन पांच सालों में कूड़ा निस्तारण के मामले में पालिका एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकी। शहर से हर रोज निकलने वाला करीब एक टन से अधिक कूड़ा पहले सोनाली नदी के किनारे फेंका जाता था। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आपत्ति जताई तो अब कूड़े को सालियर में फेंका जा रहा है। यहां खुले में कूडे़ के ढेर लगे हैं, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है। जैविक और अजैविक कूड़े के अलग-अलग उठान की योजना भी परवान नहीं चढ़ पाई। शहर में भी कई जगह कूड़े के ढेर नजर आ जाते हैं। जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
रुड़की नगर पालिका प्रदेश की सबसे पुरानी नगर पालिका में शुमार है। अंग्रेजों के शासनकाल में भी पालिका क्षेत्र से निकलने वाले गंदे पानी की शहर से बाहर निकासी की सुविधा थी। आजादी के बाद पालिका क्षेत्र का विस्तार होता गया। अब नगर पालिका क्षेत्र की आबादी एक लाख पार कर चुकी है और क्षेत्र भी काफी बढ़ गया। उत्तराखंड बनने के बाद निकायों को ज्यादा धन मिलने लगा। लेकिन इसके बावजूद नगर पालिका रुड़की क्षेत्र की तस्वीर बदलती नहीं दिखाई दे रही है। पालिकाध्यक्ष प्रदीप बत्रा के पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में विधायक बनने के बाद तो शहर के लोगों को ज्यादा उम्मीद जगी थी। लेकिन इस उम्मीद पर पानी फिरता नजर आ रहा है। उनके चार साल पालिकाध्यक्ष और एक साल दोनों पदों पर काबिज होने के बाद भी शहर में कोई बदलाव नजर नहीं आया। शहर में कूड़ा निस्तारण के ठोस उपाय नहीं हो सके हैं। ट्रंचिंग ग्राउंड बनाने को लेकर पालिका गंभीर नहीं दिखी, जबकि ट्रंचिंग ग्राउंड बनाने के लिए उसके पास शहर से बाहर जमीन कमी नहीं है। इसके बाद भी अब तक इस पर काम शुरू नहीं हो सका है।
सोलानी नदी को किया गंदा
शहर से निकलने वाले कूड़े को नगर पालिका सालों से सोलानी नदी के किनारे डालती रही। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सख्ती के बाद यहां कूड़ा डालना बंद हुआ, लेकिन चोरी छिपे अब भी यहां कचरा फेंका जा रहा है। दिल्ली-हरिद्वार हाईवे पर सोलानी पुल के पास नदी और बाहर खाली प्लाट में शहर का कचरा फेंका जाता रहा है। यहां अब भी पुराने कूड़े के ढेर देखे जा सकते हैं। पूर्व में यहां सफाई कर्मचारी कूड़े के ढेर को आग के हवाले कर देते थे। यह कूड़ा बरसात के समय नदी में बह जाता है। जिससे नदी प्रदूषित होने का खतरा बना रहता है।
सालियर में खुले में फेंका जा रहा कूड़ा
सोलानी के बाद अब सालियर में खुले में कूड़ा फेंका जा रहा है। सालियर में नगर पालिका की कई बीघा जमीन है। भविष्य में यहीं ट्रंचिंग ग्राउंड बनेगा। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सख्ती के बाद अब पालिका ने सोलानी के बजाय यहां खुला फेंकना शुरू कर दिया है। यहां खुले में कूड़े के ढेर लगे हैं। खुले में कूड़े के ढेर लगे होने से पर्यावरण को नुकसान पहुंचना तय है। इसके अलावा बरसात के समय यह कूड़ा बहकर फिर नदियों में गिरेगा।
उपाय नहीं किए तो हो सकता है मुकदमा
सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार सभी निकायों को कूड़ा निस्तारण के उपाय करने जरूरी हैं। ऐसा नहीं करने वाली निकायों के खिलाफ प्रदूषण बोर्ड को सीबीआई की अदालत में मुकदमा दर्ज करने के अधिकार हैं। रुड़की नगर पालिका को भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नोटिस जारी किया हुआ है। यदि जल्द पालिका कूड़ा निस्तारण के ठोस उपाय नहीं करती है तो बोर्ड मुकदमा दर्ज कर सकता है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अभी तक जिले की कई निकायों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर चुका है।
अभी तक सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के तहत कूड़े का निस्तारण नहीं हो रहा है। जैविक और अजैविक कूड़ा अलग-अलग नहीं किया जा रहा है। फिलहाल ऐसी कोई व्यवस्था होने की उम्मीद भी नहीं है।
- उत्तम सिंह नेगी, ईओ नगर पालिका
रुड़की। शहर को साफ -सुथरा और हरा-भरा बनाने का सपना दिखा नगर पालिका ने ‘ग्रीन सिटी-क्लीन सिटी’ का नारा तो दिया, लेकिन यह हकीकत में नहीं बदल पाया। पालिका के वर्तमान बोर्ड का कार्यकाल पूरा होने को है। इन पांच सालों में कूड़ा निस्तारण के मामले में पालिका एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकी। शहर से हर रोज निकलने वाला करीब एक टन से अधिक कूड़ा पहले सोनाली नदी के किनारे फेंका जाता था। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आपत्ति जताई तो अब कूड़े को सालियर में फेंका जा रहा है। यहां खुले में कूडे़ के ढेर लगे हैं, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है। जैविक और अजैविक कूड़े के अलग-अलग उठान की योजना भी परवान नहीं चढ़ पाई। शहर में भी कई जगह कूड़े के ढेर नजर आ जाते हैं। जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
रुड़की नगर पालिका प्रदेश की सबसे पुरानी नगर पालिका में शुमार है। अंग्रेजों के शासनकाल में भी पालिका क्षेत्र से निकलने वाले गंदे पानी की शहर से बाहर निकासी की सुविधा थी। आजादी के बाद पालिका क्षेत्र का विस्तार होता गया। अब नगर पालिका क्षेत्र की आबादी एक लाख पार कर चुकी है और क्षेत्र भी काफी बढ़ गया। उत्तराखंड बनने के बाद निकायों को ज्यादा धन मिलने लगा। लेकिन इसके बावजूद नगर पालिका रुड़की क्षेत्र की तस्वीर बदलती नहीं दिखाई दे रही है। पालिकाध्यक्ष प्रदीप बत्रा के पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में विधायक बनने के बाद तो शहर के लोगों को ज्यादा उम्मीद जगी थी। लेकिन इस उम्मीद पर पानी फिरता नजर आ रहा है। उनके चार साल पालिकाध्यक्ष और एक साल दोनों पदों पर काबिज होने के बाद भी शहर में कोई बदलाव नजर नहीं आया। शहर में कूड़ा निस्तारण के ठोस उपाय नहीं हो सके हैं। ट्रंचिंग ग्राउंड बनाने को लेकर पालिका गंभीर नहीं दिखी, जबकि ट्रंचिंग ग्राउंड बनाने के लिए उसके पास शहर से बाहर जमीन कमी नहीं है। इसके बाद भी अब तक इस पर काम शुरू नहीं हो सका है।
सोलानी नदी को किया गंदा
शहर से निकलने वाले कूड़े को नगर पालिका सालों से सोलानी नदी के किनारे डालती रही। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सख्ती के बाद यहां कूड़ा डालना बंद हुआ, लेकिन चोरी छिपे अब भी यहां कचरा फेंका जा रहा है। दिल्ली-हरिद्वार हाईवे पर सोलानी पुल के पास नदी और बाहर खाली प्लाट में शहर का कचरा फेंका जाता रहा है। यहां अब भी पुराने कूड़े के ढेर देखे जा सकते हैं। पूर्व में यहां सफाई कर्मचारी कूड़े के ढेर को आग के हवाले कर देते थे। यह कूड़ा बरसात के समय नदी में बह जाता है। जिससे नदी प्रदूषित होने का खतरा बना रहता है।
सालियर में खुले में फेंका जा रहा कूड़ा
सोलानी के बाद अब सालियर में खुले में कूड़ा फेंका जा रहा है। सालियर में नगर पालिका की कई बीघा जमीन है। भविष्य में यहीं ट्रंचिंग ग्राउंड बनेगा। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सख्ती के बाद अब पालिका ने सोलानी के बजाय यहां खुला फेंकना शुरू कर दिया है। यहां खुले में कूड़े के ढेर लगे हैं। खुले में कूड़े के ढेर लगे होने से पर्यावरण को नुकसान पहुंचना तय है। इसके अलावा बरसात के समय यह कूड़ा बहकर फिर नदियों में गिरेगा।
उपाय नहीं किए तो हो सकता है मुकदमा
सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार सभी निकायों को कूड़ा निस्तारण के उपाय करने जरूरी हैं। ऐसा नहीं करने वाली निकायों के खिलाफ प्रदूषण बोर्ड को सीबीआई की अदालत में मुकदमा दर्ज करने के अधिकार हैं। रुड़की नगर पालिका को भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नोटिस जारी किया हुआ है। यदि जल्द पालिका कूड़ा निस्तारण के ठोस उपाय नहीं करती है तो बोर्ड मुकदमा दर्ज कर सकता है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अभी तक जिले की कई निकायों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर चुका है।
अभी तक सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के तहत कूड़े का निस्तारण नहीं हो रहा है। जैविक और अजैविक कूड़ा अलग-अलग नहीं किया जा रहा है। फिलहाल ऐसी कोई व्यवस्था होने की उम्मीद भी नहीं है।
- उत्तम सिंह नेगी, ईओ नगर पालिका