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रुड़की। नगर पालिका के वर्तमान बोर्ड का कार्यकाल पूरा होने को है। लेकिन इन पांच सालों में एक भी ऐसा काम नहीं हुआ, जिसे शहर के लोग याद रख सकें। उल्टा इन वर्षों में शहर की तस्वीर बद से बदतर होती चली गई। सड़कों पर अतिक्रमण और ज्यादा पसर गया तो अवैध निर्माण की भी बाढ़ आ गई। अतिक्रमणकारियों और अवैध निर्माण करने वालों के हौसले बुलंद हैं। लेकिन पालिका ने आंखें मूंद रखी हैं। मानो इन लोगों को पालिका ने मौन स्वीकृति दे रखी हो। पालिकाध्यक्ष और अफसरों की इस कार्यशैली का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है।
शहर के अंदर की सड़केें अतिक्रमण से लगातार सिकुड़ रही हैं। जिसके चलते लोगों का सड़कों पर पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है। पालिका क्षेत्र से गुजरने वाले दोनों हाईवे भी अतिक्रमण की चपेट में हैं। शहर के प्रमुख बाजारों से निकलना मुश्किल हो जाता है। दोनों हाईवे पर सुबह से शाम तक जाम की स्थिति बनी रहती है। लेकिन पालिका ने कभी सड़कों को अतिक्रमण से मुक्त करने के लिए ठोस अभियान नहीं चलाया। बस कभी कभार चालान काटकर अभियान की इतिश्री कर दी जाती है। इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है।
कहां कहां है अतिक्रमण
पालिका क्षेत्र में सिविल लाइन बाजार, मेन बाजार, अनाज मंडी, बीटीगंज बाजार, रामनगर, मक्तूलपुरी रोड, मलकपुर चुंगी, टेलीफोन एक्सचेंज रोड पर जगह-जगह अतिक्रमण पसरा हुआ है।
सड़क पर बना दी सीढ़ियां, देखती रही पालिका
सड़कों पर अवैध निर्माण करने वालों के हौसले किस कदर बुलंद हैं इसकी बानगी देखिए। रामनगर में पालिका की दो मंजिला दुकानों पर ऊपर जाने के लिए दुकानदारों ने सड़क पर ही जीना खड़ा कर दिया। इस बात की जानकारी पालिका को है, लेकिन आज तक इस अवैध निर्माण को तोड़ा नहीं गया। पालिका के अधिकारी चुपचाप देखते रहे और निर्माण होता रहा। ऐसे ही अवैध निर्माणों से शहर की तस्वीर बदहाल होती जा रही है।
मिट्टी के भाव क्यों बेच दी दुकानें
नगर पालिका ने अपनी लाखों की दुकानों को मिट्टी के भाव बेच दिया। इससे साफ है कि पालिका को अपने राजस्व की चिंता नहीं। रामनगर में नगर पालिका की कुछ दुकानें हैं। पिछले साल इन दुकानों की छतों को पालिका नीचे की दुकान खरीदने वालों को बेच दी। इन दुकानों की छतों को मात्र 75 हजार रुपये में बेच दिया गया। जबकि रामनगर में दुकानों की कीमत 20 से 25 लाख रुपये है। उक्त दुकानों को आसानी से दुकानदार 5 से 10 लाख में भी खरीद देते। लेकिन पालिका ने मात्र 75 हजार रुपये में बेचकर राजस्व का भारी नुकसान उठाया। अब सवाल खड़ा होता है कि आखिर पालिका ने इतने सस्ते में दुकानें क्यों बेची?
कोट...
शहर में अतिक्रमण के खिलाफ समय-समय पर अभियान चलाया जाता है। जहां तक रामनगर में दुकानों के लिए सीढ़ियां सड़क पर बनाने का मामला है यह मेरे संज्ञान में नहीं है। मेरे कार्यकाल में ऐसा कोई निर्माण नहीं हुआ है।
- उत्तम सिंह नेगी, ईओ, नगर पालिका रुड़की
रुड़की। नगर पालिका के वर्तमान बोर्ड का कार्यकाल पूरा होने को है। लेकिन इन पांच सालों में एक भी ऐसा काम नहीं हुआ, जिसे शहर के लोग याद रख सकें। उल्टा इन वर्षों में शहर की तस्वीर बद से बदतर होती चली गई। सड़कों पर अतिक्रमण और ज्यादा पसर गया तो अवैध निर्माण की भी बाढ़ आ गई। अतिक्रमणकारियों और अवैध निर्माण करने वालों के हौसले बुलंद हैं। लेकिन पालिका ने आंखें मूंद रखी हैं। मानो इन लोगों को पालिका ने मौन स्वीकृति दे रखी हो। पालिकाध्यक्ष और अफसरों की इस कार्यशैली का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है।
शहर के अंदर की सड़केें अतिक्रमण से लगातार सिकुड़ रही हैं। जिसके चलते लोगों का सड़कों पर पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है। पालिका क्षेत्र से गुजरने वाले दोनों हाईवे भी अतिक्रमण की चपेट में हैं। शहर के प्रमुख बाजारों से निकलना मुश्किल हो जाता है। दोनों हाईवे पर सुबह से शाम तक जाम की स्थिति बनी रहती है। लेकिन पालिका ने कभी सड़कों को अतिक्रमण से मुक्त करने के लिए ठोस अभियान नहीं चलाया। बस कभी कभार चालान काटकर अभियान की इतिश्री कर दी जाती है। इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है।
कहां कहां है अतिक्रमण
पालिका क्षेत्र में सिविल लाइन बाजार, मेन बाजार, अनाज मंडी, बीटीगंज बाजार, रामनगर, मक्तूलपुरी रोड, मलकपुर चुंगी, टेलीफोन एक्सचेंज रोड पर जगह-जगह अतिक्रमण पसरा हुआ है।
सड़क पर बना दी सीढ़ियां, देखती रही पालिका
सड़कों पर अवैध निर्माण करने वालों के हौसले किस कदर बुलंद हैं इसकी बानगी देखिए। रामनगर में पालिका की दो मंजिला दुकानों पर ऊपर जाने के लिए दुकानदारों ने सड़क पर ही जीना खड़ा कर दिया। इस बात की जानकारी पालिका को है, लेकिन आज तक इस अवैध निर्माण को तोड़ा नहीं गया। पालिका के अधिकारी चुपचाप देखते रहे और निर्माण होता रहा। ऐसे ही अवैध निर्माणों से शहर की तस्वीर बदहाल होती जा रही है।
मिट्टी के भाव क्यों बेच दी दुकानें
नगर पालिका ने अपनी लाखों की दुकानों को मिट्टी के भाव बेच दिया। इससे साफ है कि पालिका को अपने राजस्व की चिंता नहीं। रामनगर में नगर पालिका की कुछ दुकानें हैं। पिछले साल इन दुकानों की छतों को पालिका नीचे की दुकान खरीदने वालों को बेच दी। इन दुकानों की छतों को मात्र 75 हजार रुपये में बेच दिया गया। जबकि रामनगर में दुकानों की कीमत 20 से 25 लाख रुपये है। उक्त दुकानों को आसानी से दुकानदार 5 से 10 लाख में भी खरीद देते। लेकिन पालिका ने मात्र 75 हजार रुपये में बेचकर राजस्व का भारी नुकसान उठाया। अब सवाल खड़ा होता है कि आखिर पालिका ने इतने सस्ते में दुकानें क्यों बेची?
कोट...
शहर में अतिक्रमण के खिलाफ समय-समय पर अभियान चलाया जाता है। जहां तक रामनगर में दुकानों के लिए सीढ़ियां सड़क पर बनाने का मामला है यह मेरे संज्ञान में नहीं है। मेरे कार्यकाल में ऐसा कोई निर्माण नहीं हुआ है।
- उत्तम सिंह नेगी, ईओ, नगर पालिका रुड़की